Monday, December 23, 2024
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अब गन्ने से बनेगा एथेनॉल, प्रदेश सरकार ने प्लांट लगाने के लिए 6 कंपनियों से किया एमओयू

रायपुर (खटपट न्यूज)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अब धान के साथ गन्ने से भी एथेनॉल बनाया जाएगा। प्रदेश की सरकार ने प्लांट लगाने के लिए 6 कंपनियों से एमओयू किया है। करीब एक साल के भीतर प्रदेश में प्लांट लग जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में धान का ज्यादा उत्पादन होता है। केंद्र ने शक्कर उत्पादन पर भी पाबंदी लगाई थी कि तय मात्रा से ज्यादा उत्पादन नहीं कर सकते, तो इस पाबंदी के बाद हम शक्कर से भी एथेनॉल बनाएंगे। सरकार इसे लेकर केंद्र सरकार के लगातार संपर्क में थी। अब एथेनॉल खरीदी का रेट 54 रुपए प्रति लीटर तय कर दिया गया है। कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में संयुक्त पत्रकारवार्ता में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्री रविंद्र चौबे और खाद्यमंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर धान से एथेनॉल बनाने की परियोजना को केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। धान से एथेनॉल बनाने की उनकी पहल को आखिरकार केंद्र सरकार ने सही मान लिया है और इस दिशा में संयंत्र लगाने के लिए राशि निवेश करने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिश है कि सिर्फ एफसीआई से नहीं, बल्कि राज्य सरकार के पास जो सरप्लस चावल है, उससे भी एथेनॉल बनाने के लिए उपयोग करने के लिए केंद्र सरकार स्वीकृति दे। मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा भी इस दौरान उपस्थित थे।
0 तो नोबल पुरस्कार मिल जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार धान से फ्यूल बनाने के मुद्दे पर काम करती रही। लोगों ने कहा कि अगर ऐसा हुआ, तो भूपेश बघेल की सरकार को नोबल पुरस्कार मिलेगा। शुरुआत में भाजपा इसका विरोध करती रही। कल जब पेट्रोलियम मंत्री ने घोषणा की, तो सब बैठकर सुनते रहे। जो विरोध कर रहे थे, अब वो इसका श्रेय लेने की कोशिश में हैं। इसका प्रयास हमने ही किया, ऐसे कैसे कोई श्रेय ले लेगा। पिछले साल से इस पर चर्चा शुरू की, अधिकारियों ने प्रोजेक्ट बनाए, रविवि की यूनिवर्सिटी में प्रयोग हुए, पंजाब में हमने प्रयोग किए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि तीन साल तक पूरे हिंदुस्तान को चावल खिला सकें, उतना धान हमारे पास है। इसका क्या करना है, केंद्र सरकार इसके बारे कुछ नहीं सोच रही
एथेनॉल ईको-फ्रैंडली फ्यूल एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनो ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है। एथेनॉल ईको-फ्रैंडली फ्यूल है और पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित रखता है। राज्य के साथ मिलकर केंद्र लगाए प्लांट कृषिमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि एफसीआई द्वारा छत्तीसगढ़ के खरीफ और रबी फसल को खरीदा जाए। धान का 2500 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदकर भुगतान करे, वरना सिर्फ और सिर्फ ये बात कहने की रह जायेगी। छत्तीसगढ़ के किसानों को लाभ देने की बात केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कही है, लेकिन जब उचित मूल्य पर खरीफ और रबी फसल की खरीदी के लिए मेकेनिज्म डेवलप करें, तभी किसनों को इसका लाभ मिल पायेगा। केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार के साथ मिलकर केंद्र सरकार वहां प्लांट लगाए जिन जिलों में उत्पादन ज्यादा होता है।
0 ये होगा फायदा
मुख्यमंत्री ने कहा कि एथेनाल उस धान से बनेगा जो सेंट्रल पूल और स्टेट पूल में खरीदी के बाद भी बच जाता है। इससे किसानों को धान बेचने के साथ अतिरिक्त आय होगी। जहां प्लांट लगेगा, वहां लोगों को रोजगार मिलेगा। किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। बारदाने की कमी से छत्तीसगढ़ में धान खरीदी 1 दिसंबर से छत्तीसगढ़ में इस साल न्यूनतम सर्मथन मूल्य (एमएसपी) पर धान खरीदी 1 दिसंबर से होगी। बताया गया है कि राज्य को इस साल केंद्र सरकार से धान खरीदी के लिए बारदाना (बोरा) नहीं मिल पाया है। यही कारण है कि धान खरीदी में पिछले वर्षों की अपेक्षा देर हो रही है। दूसरी ओर राज्य में इस साल अनुकूल बारिश होने से धान की बंपर फसल होने की संभावना है। माना जा रहा है कि इस साल सवा लाख करोड़ मीट्रिक टन धान की पैदावार हो सकती है।

राज्य सरकार ने इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। राज्य में इस साल धान की बंपर फसल होने की संभावना के बीच प्रदेश के कई इलाकों में कम अवधि में पकने वाले धान की कटाई भी शुुरू हो गई है। राजधानी रायपुर से लगे जिले के ग्रामीण इलाकों में धान की कटाई शुरू हो गई है। किसानों ने अपना धान काटकर खेतों में सूखने के लिए बिछा रखा है। धान सूखने के बाद किसान उसे अपने घरों में ले आएंगे। धान की मिंजाई के बाद बोरों में भरकर धान बिकने के लिए तैयार भी हो जाएगा, लेकिन धान खरीदी में देर से किसानों के लिए परेशानी हो सकती है।

इस साल अब तक बढ़े 71 हजार नए किसान

छत्तीसगढ़ में इस साल एमएसपी पर धान बेचने के लिए 71 हजार 342 नए किसानों ने अब तक पंजीयन कराया है। पंजीयन कराने के लिए सरकार ने 31 अक्टूबर तक का समय दिया है। माना जा रहा है कि नया पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या और बढ़ सकती है। साथ ही नए किसानों की धान की फसल का रकबा भी 79 हजार 392 हेक्टेयर बढ़ा है। जाहिर है, नए किसानों की धान भी बिक्री के लिए आएगा और धान का उत्पादन भी बढ़ेगा। पिछले साल एमएसपी पर धान बेचने के लिए 19 लाख 55 हजार 230 किसानों ने पंजीयन करवाया था। पिछले साल करीब 83 लाख मीट्रिक टन धान एमएसपी पर खरीदा गया था। बारदाने की कमी की वजह से देर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि केंद्र सरकार से जितनी संख्या में बारदाने की मांग की गई थी, उतना नहीं मिल पा रहा है। बताया गया है कि कोरोना की वजह से बारदाना तैयार नहीं हो पाया है। राज्य सरकार अपनी ओर से व्यवस्था करने में लगी है। इसी वजह से धान खरीदी शुरू करने में देर हो रही है।

ख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र : छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप अधिशेष चावल से एथेनॉल उत्पादन की दर 54 रूपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित करने के निर्णय के लिए दिया धन्यवाद
छत्तीसगढ़ के किसानों से खरीदे गए अधिशेष धान को सीधे एथेनॉल संयत्रों को जैव ईधन उत्पादन की अनुमति प्रदान करने की रखी मांग
इससेे राज्य में लगने वाले एथेनॉल संयंत्रों को किसानों द्वारा सीधे धान का विक्रय किया जा सकेगा
छत्तीसगढ़ सरकार के 18 माह के प्रयासों को मिली सफलतामुख्यमंत्री ने कहा: अधिशेष धान से सीधे एथेनॉल उत्पादन की अनुमति राज्य के किसानो की आर्थिक उन्नति में होगी सहायक

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ सरकार प्रयासों के फलस्वरूप अधिशेष चावल से एथेनॉल उत्पादन की दर 54 रूपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित करने के निर्णय के लिए धन्यवाद दिया है साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों से खरीदे गए अधिशेष धान को सीधे एथेनॉल संयत्रों को जैव ईधन उत्पादन की अनुमति प्रदान करने की मांग भी की है, जिससे राज्य में लगने वाले एथेनॉल संयंत्रों को किसानों द्वारा सीधे धान का विक्रय किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है – छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय जैव नीति 2018 एवं उसके लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य में उत्पादित अतिरिक्त धान से बायो-एथेनॉल उत्पादन की अनुमति के लिए विगत 18 माह से लगातार प्रयास किए गए।
राज्य शासन के इन प्रयासों के फलस्वरूप आपके द्वारा लिए गए निर्णय के लिए अनुसार तेल वितरण कंपनियों द्वारा अधिशेष चॉवल (एफसीआई के गोदाम के माध्यम से प्राप्त) से एथेनॉल उत्पादन की दर 54 रूपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित की गई है। इस निर्णय हेतु आपको कोटि-कोटि धन्यवाद।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि- राज्य शासन की मांग है कि राज्य के किसानो से खरीदे गए अतिशेष धान को सीधे एथेनॉल संयत्रों को जैव ईधन उत्पादन हेतु अनुमति प्रदान की जाए, इससे राज्य में लगने वाले एथेनॉल संयत्रों को किसानों द्वारा सीधे धान का विक्रय किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा है कि अतिशेष धान से सीधे एथेनॉल उत्पादन की अनुमति राज्य के किसानो की आर्थिक उन्नति के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।

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