Friday, December 27, 2024
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KORBA:एक स्मारक के लिए तरस गया शहीद आदित्य का परिवार,दो-दो विधायक भी नहीं बनवा सके….

0 घोषणावीरों के लिए 7 साल भी कम पड़ गए शहीद को सम्मान देने के लिए, प्रशासन ने भी सुधि नहीं ली कभी
0 ग्राम चनवारीपारा के शहीद के परिजनों ने कभी नहीं की कोई मांग,पर उम्मीद कायम
कोरबा(खटपट न्यूज़)। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा…. बेशक यह पंक्तियां देश पर कुर्बान होने वालों के सम्मान में गर्व से सिर ऊंचा करती हैं लेकिन राजनीति और प्रशासनिक तंत्र में उलझ कर सम्मान की यह लाइन भी कहीं ना कहीं दफन हो जाती है। कुछ इसी तरह अपने कर्तव्य का निर्वहन कर नक्सलियों से लड़ते हुए शहीद हुए कोरबा जिले के पाली के लाल आदित्य  शरण प्रताप सिंह तंवर का एक स्मारक और मूर्ति की घोषण शहादत के 7 साल बाद भी पूरी नहीं की जा सकी है। हर साल यह कमी उसके परिजनों सहित गांव वालों को पीड़ा देती है कि आखिर घोषणा करने के बाद उसे पूरा क्यों नहीं किया जा रहा? इस बीच 7 साल में विधायक रामदयाल उइके के बाद मोहित राम केरकेट्टा चुनाव जीत कर आए लेकिन वह भी इस विषय में कुछ नहीं कर सके। शहीदों के सम्मान की बात करने वाला जिला प्रशासन भी इस और इतने लंबे समय से नज़रें फेरे हुए है तो स्थानीय प्रशासन ने भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

पाली विकासखंड व थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत बतरा के ग्राम चनवारीपारा के निवासी भानू प्रताप सिंह तंवर के 3 संतानों में दूसरे क्रम के आदित्य शरण प्रताप सिंह तंवर की पोस्टिंग दंतेवाड़ा जिले में थी। अगस्त 2016 में बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त आदित्य ने अपने छोटे से गांव का नाम हमेशा के लिए रौशन किया। यहां की मिट्टी में पले-बढ़े आदित्य शरण की शहादत को गांव के युवाओं ने प्रेरणा का स्त्रोत बताया। 18 अगस्त 2016 को शहीद हुए आदित्य के पार्थिव देह जब गांव में लाई गई तब समूचा गांव रो पड़ा। शहीद का अंतिम संस्कार उसके स्कूल प्राथमिक शाला के पास किया गया और यहीं पर पिता ने मठ का निर्माण कराया।

उपस्थित जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने भी उन्हें नम आंखों से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान शहीद की गांव से जुड़ी स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए तत्कालीन सांसद डॉ. बंशीलाल महतो व संसदीय सचिव लखनलाल देवांगन ने पचरी व सामुदायिक भवन निर्माण की घोषणा की थी। तत्कालीन पाली-तानाखार विधायक रामदयाल उइके ने समाधि स्थल पर चबुतरा और स्मारक बनाने की घोषणा की थी लेकिन दुर्भाग्य है कि 7 साल के बाद भी यह घोषणा मूर्त रूप नहीं ले सकी है। गांव में सामुदायिक भवन तो बना दिया गया जो शहीद आदित्य शरण के नाम पर है किंतु उसकी समाधि स्थल पर चबुतरा और स्मारक (मूर्ति) आज तक नहीं स्थापित की जा सकी है। हर साल यहां श्रद्धांजलि देने के लिए परिजन व क्षेत्रवासी पहुंचते हैं। पिछले महीने ही भारतीय जनता युवा मोर्चा ने पार्टी के एक कार्यक्रम के तहत शहीदों के गांव की मिट्टी एकत्र करने का अभियान चलाया तो शहीद आदित्य के गांव की भी मिट्टी दिल्ली भेजी गई।
0 छोटे भाई को मिली अनुकम्पा नियुक्ति, शासन-प्रशासन से क्या मॉंगूं?
शहीद आदित्य शरण के पिता भानु प्रताप सिंह ने पुत्र को याद करते हुए भरे गले से कहा कि उसके जाने के बाद पुलिस विभाग में आदित्य के छोटे भाई टिपेन्द्र कुमार तंवर को आरक्षक की नौकरी अनुकम्पा के तौर पर प्रदान की गई है। इसके अलावा हमने आज तक शासन-प्रशासन से कभी भी कुछ नहीं मांगा है। उसका स्टैच्यू आज तक क्यों नहीं बनवा पाए, यह बात हमें जरूर पीड़ा देती है लेकिन नहीं भी बनवाएंगे तो हम क्या कर सकते हैं?

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