Sunday, September 8, 2024
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59 लाख का बीमा फर्जीवाड़ा : महिला ने जनगणना पत्रक में बदला अपने माता-पिता का नाम, मृतक के आवेदन से अपनी पुत्री का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा कंपनी के सांठगांठ से 59 लाख 66 हजार रुपये हड़पे

कोरबा(खटपट न्यूज़)। एक महिला ने जनगणना पत्रक में अपने माता-पिता का नाम बदलकर , दूसरी महिला के मृतक पति को अपना पति बताकर मृतक के आवेदन से अपनी पुत्री का दूसरा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। फर्जी दस्तावेजों को जीवन बीमा निगम एवं शासन के समक्ष प्रस्तुत कर षडयंत्र पूर्वक मृतक की बीमा राशि 59 लाख 66 हजार 337 रुपये को अवैध रूप से प्राप्त कर वास्तविक वारिसानों को क्षति पहुंचाई है । विवेचक एएसआई मेलाराम कठौतिया की विवेचना बाद सिटी कोतवाली पुलिस ने इस मामले में आवेदिका डॉ. श्रीमती रीता पांडेय की रिपोर्ट पर जालसाज लता वर्मा उर्फ मधु पाण्डेय, -पता क्वार्टर नं. EWS 146 महाराणा प्रताप नगर के विरुध्द (दस्तावेज को कूटरचित जानते हुए भी उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना) के आरोप में भादवि की धारा 474 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है।

फर्जी दस्तावेज तैयार कर मृतक नरेन्द्र पान्डेय की बीमा राशि को अवैध रूप से छल कपट पूर्वक प्राप्त कर उनके विधिक उत्तराधिकारी को क्षति पहुंचाने की शिकायत पत्नी डॉ.रीता पांडेय, निवासी वार्ड क्र. 20 महावीर भवन मार्ग ,महासमुन्द ने की है। शिकायत में उल्लेख है कि दिनांक 30.01.2019 को रजिस्ट्रार जन्म मृत्यु शाखा नगर पालिका निगम, कोरबा में नरेन्द्र पाण्डेय द्वारा अदिति के जन्म प्रमाण पत्र हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया है जबकि आवेदक नरेंद्र की मृत्यु 26.01.2019 को हो गई थी । अब मृत व्यक्ति आवेदन कैसे कर सकता है ? आवेदन में अंकित है कि 09.04.2005 को अदिति कोरबा में पैदा हुई जिसके आधार पर नगर पालिका निगम द्वारा 04.02.2019 को जन्म प्रमाण पत्र जारी किया गया जिसका पंजीयन क्र. 2019-2-000593 है। कोरबा नगर निगम से प्राप्त फर्जी जन्म प्रमाण को मधु पान्डेय द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत कर एवं फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर जीवन बीमा निगम, कोरबा द्वारा मधु पान्डेय एवं उसकी पुत्री अदिति को 59 लाख 66 हजार 337 रुपया गलत भुगतान किया गया। दूसरी तरफ 01 जनवरी 2019 को नरेन्द्र पान्डेय के शपथपत्र अनुसार अदिति का जन्म नगर पालिक निगम, भिलाई जिला दुर्ग में 09.04.2005 को हुआ है, जो रजिस्टार योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग छ.ग. शासन नगर पालिका निगम भिलाई द्वारा 07.05.2005 को जारी हुआ जिसका पंजीयन क्रमांक 2640 है। इधर मधु पान्डेय ने प्राचार्य शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय को पत्र लिखा है जिसमें स्वीकारा है कि उसकी पुत्री का जन्म 09.04.2005 को भिलाई में हुआ। अब एक ही व्यक्ति का एक ही समय में अलग-अलग दो स्थानों पर जन्म कैसे हो सकता है ? जन्म मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1969 अध्याय 5(21) के अनुसार जिस परिक्षेत्र में व्यक्ति निवास करता है, बच्ची का जन्म हुआ वह उसी क्षेत्र के रजिस्ट्रार को प्रमाण प्रस्तुत कर जन्म प्रमाण पत्र बनाता है । यहां पर मधु पान्डेय द्वारा फर्जी तरीके से साक्ष्य को छुपाने की कोशिश की गई एवं दो अलग-अलग स्थानों से जन्म प्रमाण पत्र बनवाया है जो कि गंभीर अपराध है। जन्म मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1999 की कंडिका 11 (6) में यह नियम है कि जब आवेदक का जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्ति हेतु कोई प्रविष्टी कपटपूर्ण या अनुचित रूप से करता है तो कार्य पालिका दण्डाधिकारी उसकी रिपोर्ट तैयार कर आवश्यक ब्यौरो सहित धारा 25 के अधिन दोषी व्यक्ति के विरूद्ध प्रावधानों दण्डित करने सहित समस्त कार्यवाही कर सकता है । मधु पाण्डेय द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत 2011 के एसईसीसी के जनगणना पत्रक में गलत जानकारी देकर अपने पिता का नाम बी.पी. पान्डेय एवं माता का नाम डी.पान्डेय अंकित करवाया गया है । मधु ने प्राचार्य भारसाधक मिनीमाता कन्या महाविद्यालय, कोरबा में प्रस्तुत आवेदन में अपना पूर्व नाम लता वर्मा बताया है । लता वर्मा ऊर्फ मधु पाण्डेय के पं. रविशंकर शुक्ल वि.वि.रायपुर के शैक्षिणिक नामांकन पत्र में उसके पिता आनंदिलाल वर्मा अंकित हैं एवं 18.11.10 को मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डी. एन. भगत को उसकी माता के दिये बयान में सिरमौतिन बाई अंकित है जिसमें उन्होंने ने स्वीकारा है कि उनकी पुत्री का नाम लता वर्मा है जबकि लता वर्मा वर्ष 2005 में अपनी पुत्री अदिति के जन्म में अपना नाम मधु बता रही है । मधु पान्डेय द्वारा स्वय एवं माता-पिता का नाम बदल कर शासन को गुमराह कर भारतीय जीवन बीमा निगम से सांठगांठ करके 59 लाख 66 हजार 337 रूपया हासिल कर आवेदिका के दो बच्चे सूरज पाण्डेय (रितेन्द्र पान्डेय) एवं अदिति पाण्डेय (उम्र 18 वर्ष ) को हक से वंचित किया है ।

0 लीगल नोटिस को बीमा अधिकारियों ने नहीं दी तवज्जो

आवेदिका रीता पांडेय ने सही स्थिति स्पष्ट करने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम को अपने अधिवक्ता के माध्यम से लीगल नोटिस पंजीकृत डाक से प्रेषित किया था, उसके बाद भी बीमा कंपनी के द्वारा दस्तावेजों की जांच किये बिना भुगतान किया गया। आरोपी मधु पाण्डेय के द्वारा प्रस्तुत नरेन्द्र पाण्डेय के मृत्यु प्रमाण पत्र में एवं शासकीय सेवा पुस्तिका में पत्नी में रीता पान्डेय (आवेदिका ) का नाम है, मधु पाण्डेय का नहीं किन्तु सांठ गांठ की वजह से बिना किसी जांच व उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के दस्तावेजों की छानबीन किये बिना मधु पाण्डेय को षडयंत्र पूर्वक अधर्मज सन्तान अदिति को संरक्षिका बनाकर उक्त रकम प्रदान कर दिया गया ।

0 विधिवत ब्याहता पत्नी हैं रीता पांडेय

इस बारे में डॉ. श्रीमती रीता पांडेय पिता रामकृष्ण मिश्रा मूल निवासी रायपुर ने बताया कि वो नरेंद्र पांडेय की ब्याहता पत्नी हैं। जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा गट्टानी चौक निवासी नरेंद्र पांडेय पिता रामसेवक पांडेय के साथ रायपुर में वर्ष 1995 में विवाह हुआ था। बाद में नरेंद्र का तबादला मिनीमाता कन्या महाविद्यालय, कोरबा में हुआ जहां वे स्पोर्ट्स आफिसर थे। रीता पांडेय की दो संतान सूरज व अदिति पांडेय हैं। आरोपी मधु ने भी अपनी पुत्री का नाम अदिति रखा है जिसकी भी उम्र 18 वर्ष है। रीता का कहना है कि वही एकमात्र नरेंद्र पांडेय की विधिवत विवाहिता पत्नी हैं जबकि लता उर्फ मधु ने किस आधार पर नरेंद्र पांडेय के नाम का उपयोग अपने पति के रूप में किया, वे नहीं जानतीं।

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