0 अप्रत्याशित घोषणा ने बिगाड़े राजनीतिक पंडितों के आंकलन
कोरबा(खटपट न्यूज)। छत्तीसगढ़ राज्य में आसन्न विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही आंतरिक तैयारियों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने टिकट वितरण में बाजी मार ली। भाजपा ने राज्य के उन 21 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी अप्रत्याशित तरीके से और समय से काफी पहले घोषित किए हैं जहां पर उन्हें अपनी जीत हर तरह से सुनिश्चित करनी है। प्रत्याशियों के नाम की घोषणा खुद पार्टीजनों के लिए भी अप्रत्याशित ही रही। प्रत्याशी की घोषणा किए जाने को लेकर केंद्रीय चुनाव समिति की दूरदर्शिता को जहां सराहा जा रहा है वहीं टिकट वितरण के पहले पायदान के बाद कहीं खुशी- कहीं गम का माहौल है।
बात करें कोरबा जिले के कोरबा विधानसभा क्षेत्र की तो यहां पार्टी के ही मंथनकर्ताओं को अप्रत्याशित झटका लगा है। टिकट की दौड़ में जो नाम सबसे आगे फिर क्रमशः चल रहे थे और शहर भर में उनके नाम का डंका भी बजाया जा रहा था, उन लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके नाम पर मुहर नहीं लगेगी। लखन लाल देवांगन के नाम की घोषणा होने और सूची जारी होने के काफी देर तक लोग इसे फेक वायरल सूची मान कर एक- दूसरे से इस बात की पुष्टि भी कर रहे थे कि क्या वाकई में लखन लाल देवांगन को कोरबा से टिकट मिल गई है? यह हाल आम जनता का नहीं बल्कि पार्टी के ही पदाधिकारियों का भी था। लखनलाल को टिकट मिलने के साथ ही भाजपा खेमे में भी एकबारगी सन्नाटा पसरा रहा, हालांकि इस सन्नाटे को जाहिर नहीं होने दिया गया लेकिन एक कसक और टीस तो भीतर ही भीतर रह गई कि काश, हमें भी टिकट मिल जाता।
टिकट घोषणा के कुछ घंटे बाद ही लखन देवांगन ने प्रेस वार्ता कर ली लेकिन इस वार्ता में मुट्ठी भर लोग नजर आए। पार्टी सूत्रों की माने तो टिकट की दौड़ में शामिल कुछ कद्दावर नेता शहर और आसपास के क्षेत्र में ही थे लेकिन वह पार्टी कार्यालय नहीं पहुंचे। अब यह उनकी व्यस्तता की मजबूरी थी या तात्कालिक तौर पर मिले झटके के कारण वह खुद को सहज नहीं कर पाए और वार्ता में शामिल होने से दूर रहे, यह तो वही जान सकते हैं लेकिन इस बात की चर्चा तो जरूर है कि लखन को टिकट देने से दूसरों में मायूसी है।
वैसे इस बार के चुनाव में केंद्रीय चुनाव समिति ने संचालन अपने हाथ में ले रखा है और प्रदेश स्तर के साथ-साथ विधानसभा व जिला स्तर पर निगरानी भी केंद्रीय पदाधिकारियों की देखरेख में राज्य से कराई जा रही है। त्रिस्तरीय बाहरी निगरानी समिति ने ऐसा जाल बुना है कि चाह कर भी विरोध का झंडा बुलंद नहीं कर सकते। शीर्ष नेताओं ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी सूरत में पार्टी का प्रत्याशी जीत से वंचित नहीं रहना चाहिए। पार्टी सूत्र बताते हैं कि इसके लिए व्यापक तौर पर सर्वे कराए गए हैं और लगातार सर्वे का दौर भी जारी है ताकि जहां-जहां भी वोट के गड्ढों को पाटने की गुंजाइश हो, वहां मुस्तैदी दिखाई जा सके।
0 इधर-उधर किया तो संगठन का डंडा….
वैसे लखन लाल देवांगन न सिर्फ कोरबा विधानसभा बल्कि पार्टी में वह चेहरा हैं जिनके नाम को लेकर कहीं भी कोई विरोध की सुगबुगाहट दिखाई और सुनाई नहीं देती। यही वजह है कि पार्टी ने अपने आंतरिक सर्वे में अच्छे-अच्छे और दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर लखनलाल पर दांव खेला है। अब चूंकि पार्टी ने मुहर लगा दी है तो कहीं खुशी-कहीं गम के बावजूद पार्टी के पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ता भी, ना जुदा होंगे हम…. का राग अलाप रहे हैं। संगठन के डंडे की मार से हर किसी को बचना है और जरा सा भी इधर-उधर नजर फेरे या फिर राज्य से होते हुए शीर्ष संगठन तक बात पहुंची तो पार्टी से निष्कासन तय है।
0 बची हुई सीटों के प्रत्याशियों पर नजर
कोरबा के बाद अब जिले की रामपुर,कटघोरा और पाली-तानाखार विधानसभा के लिए संगठन किसे प्रत्याशित घोषित करेगा,इसे लेकर नजरें अगली घोषणा पर टिकी हुई है। कोरबा के नाम के बाद अब वे लोग अपने आप को लूप लाइन में चले जाना मान रहे हैं जो दावेदारी ठोकने में खुद को मजबूत बता रहे थे। कोई बड़ी बात नहीं कि जब इन तीनों विधानसभा सीटों पर पार्टी ऐसे व्यक्ति का नाम घोषित कर दे जो जमीन से जुड़ा हुआ हो, संगठन में सक्रिय हो लेकिन उसके नाम की कल्पना भाजपाईयों ने ही ना की हो।
0 कांग्रेस का भी गणित गड़बड़ाया
भारतीय जनता पार्टी से किस-किस चेहरे को मैदान में उतारा जा रहा है,इसे लेकर कांग्रेस जनों में भी मंथन चलता रहा। खासकर कोरबा बहू प्रतिष्ठित विधानसभा सीट को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे और जो नाम पार्टीजनों ने सोच रखा था,उससे काफी अलग नाम सामने आने पर कांग्रेस खेमे में भी राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि लखन लाल देवांगन का नाम घोषित होने के बाद न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस खेमे में भी सन्नाटे की लहर एक बारगी दौड़ पड़ी। मुकाबला रोचक और दिलचस्प होने वाला है क्योंकि व्यक्तित्व और कृतित्व के मामले में मौजूदा विधायक राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल और भाजपा के प्रत्याशी लखनलाल देवांगन दोनों ही मजबूत हैं। अब यह तो मतदाताओं पर निर्भर करेगा कि वह किस पर भरोसा जताएंगे।
(सत्या पाल)