0 निर्माण के कुछ माह बाद ही खुली गुणवत्ताहीन कार्यों की पोल
0 रेंजर की देखरेख में ठेकेदार ने कराया निर्माण, वन अधिकारियों ने नहीं निभाई जिम्मेदारी
कोरबा(खटपट न्यूज़)। वन विभाग के द्वारा जंगलों के भीतर कराए जाने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। कटघोरा वन मंडल हो या कोरबा वन मंडल, दोनों ही नरवा विकास, कैम्पा मद और अन्य मदों से होने वाले निर्माण कार्यों को लेकर सवालों में रहे हैं।
अभी ताजा मामला कोरबा वन मंडल के पसरखेत रेंज अंतर्गत सोलवां सर्किल के फुलसरिया बारहमासी नाला पर बनाए गए जलाशय के बहने का है। यह जलाशय अपने निर्माण के करीब डेढ़ माह बाद से ही भ्रष्टाचार की रंगत दिखाने लग गया था। छोटी-छोटी दरारें पड़ने लग गई थी जिससे ग्रामीणों ने इस बात पर संभावना जाहिर की थी कि बरसात में यह जलाशय फूट जाएगा और हुआ भी यही। सावन माह में पिछले 3 दिनों से हो रही बारिश के कारण जलभराव को यह जलाशय बर्दाश्त नहीं कर पाया और फूट गया। अब इस पूरे मामले में रेंजर से लेकर एसडीओ और वन अधिकारी लीपापोती करने में जुट गए हैं। कहीं ना कहीं ठेकेदार का बचाव करते वन अधिकारी नजर आ रहे हैं।
सोलवां में 65 लाख की लागत से उक्त जलाशय का निर्माण कराया था। यह जलाशय निर्माण कार्य पूर्ण होने के महज डेढ़ माह बाद 48 घंटे हुई बारिश से फूट गया। टूटे हुए हिस्से को बचाने के लिए तिरपाल का सहारा लिया जा रहा है। बता दें कि अमृत सरोवर योजना के नरवा विकास योजना अंतर्गत कैम्पा मद से 65 लाख की स्वीकृति जलाशय निर्माण हेतु प्रदान की गई थी। वर्ष 2021-22 मई में स्वीकृत कार्य को फरवरी 2023 में ठेकेदार के माध्यम से शुरू कराया गया और मई में पूर्ण कर लिया। इस निर्माण की पोल बारिश ने खोल दी।
फुलसरिया नाले पर निर्मित जलाशय में जलभराव होने पर निकासी के लिए बनाया गया नहर दबाव नहीं सह सका और पानी के तेज बहाव में नहर का पूरा स्ट्रक्चर ही बह गया। इधर जलाशय में काफी ऊंचाई तक मिट्टी डालकर बंड तैयार किया गया था जिसमें जगह-जगह दरारे आ गई। कई स्थानों पर बंड पूरी तरह मिट्टी धसान के कारण कमजोर हो गया। अब ठेकेदार द्वारा जलाशय को बचाने का प्रयास तिरपाल और रेत से भरी बोरियां रखकर किया जा रहा है, जहां मिट्टी धसान के कारण जलाशय पूरी तरह से कमजोर हो गया है।
0 पुरानी नाली को ही दिया नहर का रूप
फुलसरिया मुड़ा बारहमासी नाला था जिसे बंधान कर जलाशय का रूप दिया गया है। बारहमासी नाला होने के कारण इसमें आसपास के नालों से आने वाला पानी एकत्र होता रहा है। जंगल से प्रवाहित होने वाले पानी को जलाशय में थामने और नहर बनाकर खेतों तक सिंचाई के लिए पहुंचाने की योजना पर काम किया गया। हालांकि इस जलाशय का पानी खेतों तक पहुंचाने के लिए छोटा सा नाला पहले बनाया गया था और इसी नाली को ठेकेदार के द्वारा नहर का रूप दे दिया गया। निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया जिसके कारण मिट्टी दबने से पत्थर भी धँसते चले गए। जलाशय का निर्माण के डेढ़ माह बाद से ही दरार आनी शुरू हो गई थी और अब बारिश में यह क्षतिग्रस्त हो गया।
ग्रामीणों ने इसकी आशंका पहले ही जाहिर कर दी थी कि यह बारहमासी जलाशय बरसात के पानी का दबाव सहन नहीं कर पाएगा और गुणवत्ताहीन निर्माण के कारण ज्यादा दिन तक टिकेगा नहीं। इस निर्माण में स्थानीय रेंजर से लेकर वन विभाग के तकनीकी अमले और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से इनकार नहीं किया जा सकता और इसे नकारा भी नहीं जाना चाहिए। यह देखने वाली बात होगी कि शासन की महत्वाकांक्षी नरवा विकास योजना और कैम्पा मद में हुए भ्रष्टाचार पर कार्यवाही किस पर, और किस हद तक, तब तक तय हो पाएगी?