0 सूने और सूखे पड़े गौठान में आखिर कौन खरीद रहा गोबर?
कोरबा(खटपट न्यूज)। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुके छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन में अभी भी कई जगह कोताही बरती जा रही है। मुख्यमंत्री के लगातार निर्देशों और उसके पालन में जिला प्रशासन द्वारा समीक्षा बैठकों में बार-बार गौठानों में गोबर की खरीदी, वर्मी कंपोस्ट का निर्माण एवं विक्रय आदि के विषय में निर्देश दिए जा रहे हैं। अनेक गौठान क्रियाशील हैं तो इस बीच एक ऐसे गौठान की जानकारी सामने आई है जहां वर्मी कंपोस्ट से लेकर कोटना तक सूखे पड़े हैं। गौठान में कोई हलचल नजर नहीं आ रही और ना ही यहां पर मवेशियों अथवा किसानों के आवाजाही के प्रमाण मिल रहे हैं।
ऐसे सूखे और सूने पड़े करतला विकासखंड के ग्राम पंचायत कलगामार के गौठान में गोबर की खरीदी बताई जा रही है। हालांकि 1 मई 2023 से 21 जून 2023 के मध्य यहां हितग्राहियों द्वारा गोबर की बिक्री किया जाना रिकार्ड में बताया गया है।अधिकारी की बात मानें तो इस अवधि में यहां गोबर विक्रेताओं ने गोबर बेचा है और इसके एवज में रुपए का भुगतान किया गया है।
आंकड़ों में इसे सच मान लिया जाए तो भी जब गौठान की हकीकत बयां होती है तो ऐसे में गोबर की खरीदी पर संदेह उत्पन्न हो रहा है कि आखिर यहां गोबर खरीद कौन रहा है! गौठान में मवेशियों के रखने के संबंध में कोई प्रमाण नजर नहीं आ रहे हैं, यहां गोवंश को रखे जाने की स्थिति में उन्हें पानी पिलाने, चारा खिलाने में प्रयुक्त होने वाला कोटना खाली व सूखा है। शेड के नीचे निर्मित वर्मी टांके भी सूखे हैं। पूरे परिसर में कहीं भी गोबर का नामोनिशान नजर नहीं आ रहा तो आखिर गोबर की खरीदी गौठान को छोड़कर कहां हो रही है? स्पष्ट निर्देश है कि गौठानों में गोबर की खरीदी किया जाना है लेकिन यहां पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है। हमारे सूत्र ने जब यहां बुधवार को दस्तक दी तो सब कुछ सूना और सूखा-सूखा मिला। ऐसे में सवाल जायज है कि क्या गोबर खरीदी के नाम पर प्रशासन और शासन को इस गौठान के द्वारा गलत जानकारी दी जा रही है, या फिर आधिकारिक स्तर पर यह बोगस खरीदी कोपभाजन होने से बचने के लिए कागजों में दिखाई जा रही है। आखिर ये लोग क्यों सरकार की आंख में धूल झोंककर किरकिरी करा रहे हैं?