कोरबा(खटपट न्यूज़)। हर दिल अजीज अंचल के गायक कलाकार जाकिर हुसैन ने सबको अलविदा कह दिया। महज 46 साल की उम्र में जाकिर हुसैन ने नई ऊंचाइयों को न सिर्फ हासिल किया बल्कि अपने हुनर की बदौलत छत्तीसगढ़ और कोरबा का नाम देश भर में रोशन किया है।
कोरबा जिले के पुरानी बस्ती धनुहार मोहल्ला में रहने वाले एसईसीएल कर्मी पिता मोहम्मद हुसैन, मां स्व. फिरोजा खातून के घर 17 सितंबर 1977 को जन्मे जाकिर हुसैन बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गए। उनके हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया तो परिवार वाले चिंतित हुए। अस्पताल में डॉक्टरों ने भी जवाब देना शुरू कर दिया। इस बीच बंजारी वाले बाबा के बारे में पता चला तो वहां गए और बंजारी वाले बाबा की कृपा से जाकिर ठीक तो हो गया लेकिन उसके दोनों पैरों ने काम नहीं किया और वह पैर से दिव्यांग हो गया। बैसाखी उसका सहारा बनी। बैसाखी के सहारे वह स्कूल जाने लगा। जाकिर के प्रारंभिक गुरु फूफा शमशेर खान उसकी फर्श से अर्श की ऊंचाई तक पहुंचने में बराबर के सहयोगी रहे। शमशेर खान के मार्गदर्शन में जाकिर में गाना सीखा। स्कूल में पहला गाना गाया और पहला ईनाम जीता इसके बाद स्कूली स्तर पर कोरबा के अलावा दूसरे जिलों में भी प्रस्तुति देने लगे और अव्वल आते रहे।जाकिर हुसैन ने शमशेर खान के अलावा सुषमा पोद्दार, देवव्रत राठौर विश्वजीत चक्रवर्ती, अमित बनर्जी से भी गीत संगीत की शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने राइजिंग स्टार ग्रुप का आर्केस्ट्रा गठित किया। दिव्यांग जनों के लिए भी वह काम करते रहे। आर्केस्ट्रा के जरिए अनेक कार्यक्रमों में उन्होंने अपने गायकी से मुकाम हासिल किया।
0 जिंदगी का नया मुकाम
वर्ष 2008-09 उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा जब अमूल स्टार वॉइस ऑफ इंडिया सीजन-2 में उन्होंने टॉप 5 में अपनी जगह सुनिश्चित की।छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिला से वह प्रतिभागी बनकर मंच पर पहुंचे तो कोरबा भी गौरवान्वित हुआ। जगह-जगह बैनर, पोस्टर लगाकर उनके बेहतर प्रदर्शन और जीत की कामना की गई। जाकिर हुसैन ने विभिन्न बॉलीवुड स्टारों के साथ भी काम किया। प्रसिद्ध गायक राहत फतेह अली खान, शफकत, अमानत अली, कुणाल गंजावाला, सोनू निगम जैसे गायकों के साथ भी उन्होंने प्रस्तुति दी। राष्ट्रगान पर आधारित फिल्म जन गण मन में भी उनकी आवाज शामिल है। कोरबा जिले के मतदान जागरूकता के डिस्ट्रिक्ट आइकॉन वे रहे हैं। पुलिस के निजात अभियान में भी उन्होंने जनता के बीच जाकर नशा के विरुद्ध अपनी सहभागिता दर्ज की। वर्ष 2016 में मुंबई में आयोजित सिर्फ रफी कार्यक्रम में पूरे भारत से पहुंचे 500 कलाकारों से आगे निकल कर पहला स्थान प्राप्त किया। 2 सितंबर 2016 को उन्होंने पहली बार बॉलीवुड फ़िल्म कुटुंब द फैमिली में गीत गाया। उनके साथ कुमार शानू, जावेद अली, अलका याग्निक ने भी गीत गाया। किन्नरों पर आधारित फ़िल्म हंसा एक संयोग में भी उन्होंने अपने स्वर दिए हैं।
0 संगीत अकादमी के था सपना
जाकिर हुसैन संगीत को एक ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत रहे। अपने संगीत साधना को आगे बढ़ाने के लिए और नवोदित कलाकारों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की मदद से संगीत अकादमी बनाने की उनकी इच्छा थी ताकि गीत-संगीत के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के बच्चों को भी मौका मिले और वे नाम रोशन कर सकें। छत्तीसगढ़ सरकार के संस्कृति विभाग के साथ भी मिलकर उन्होंने विभिन्न अवसरों पर प्रस्तुतियां दी है। विभिन्न जिलों में आयोजित महोत्सव कार्यक्रमों में भी उन्होंने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी है। शारीरिक कमजोरी और जिंदगी के झंझावतों से जूझते हुए लोगों के तानों और चुनौतियों को पार कर जाकिर हुसैन ने जो मुकाम हासिल किया है, वह सबके लिए एक मिसाल है। आवाज के इस जादूगर ने 20 जून 2023 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
0 संगीत जगत में शोक की लहर
जाकिर हुसैन के दिवंगत होने की खबर मिलने से ही उनके मुरीद लोगों सहित गायक कलाकारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। बड़े गमगीन माहौल में पुरानी बस्ती वार्ड 4 के ईदगाह कब्रिस्तान में 21 जून को उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अल्लाह उन्हें जन्नत दे और वे फिर से कोरबा की धरती पर जन्म लें,यही कामना यहां मौजूद हर लोगों ने की। इस वक्त लोगों की आंखें नम रहीं। वरिष्ठ और साथी कलाकारों ने भरे गले से कहा कि जाकिर की कमी हमेशा खलेगी।अंतिम यात्रा में गुलशन अरोरा, प्रहलाद सिंह, टीआई विवेक शर्मा, डॉ. राजीव शर्मा, रमेश शर्मा,इवेन्ट सॉल्यूशन डायरेक्टर सत्या जायसवाल,गायक दिनेश सिंह,सुनील मानिकपुरी, अश्वनी श्रीवास, बसंत वैष्णव, जयेश पांचाल,गुड्डू डेनियल,मनीष,प्रवेश अग्रवाल,विजय अरोरा,दिलीप वर्मा,मीना सोनी,,रामप्रवेश पाल,संदीप शर्मा,मुस्कान, तारिणी कंवर,इशाक मेमन,सपना सिंह,रूबी सागर,ओमकार श्रीवास सहित कोरबा के अलावा रायगढ़,रायपुर व आसपास के कलाकार,नगरजन, परिजन,शुभचिंतक बड़ी संख्या में शामिल हुए।
(सत्या पाल, साभार-पारिवारिक सूत्र)