कोरबा (खटपट न्यूज)। जिला प्रशासन और खनिज विभाग की दरियादिली का फायदा रेत के चोरों अवैध खननकर्ताओं के द्वारा बखूबी और बेखौफ होकर उठाया जा रहा है। इसका चस्का विभाग के एक राजपत्रित अधिकारी को लग गया तो उसने भी कुछ नेता टाइप लोगों से मिलकर रेत की ठेकेदारी शुरू कर दी। जब इन साहब के संरक्षण में रेत के ट्रेक्टर निकलवाना शुरू हुए तो भला वर्दीवालों की क्या मजाल जो गाड़ी पकड़ लें।

उधर बात माइनिंग तक पहुंची तो उनकी मर्जी के बिना हो रहे काम पर निर्देशानुसार आधी रात छापा पड़ गया। पुलिस विभाग के ही राजपत्रित अधिकारी के संरक्षण में कुछ दिन शांत रहने के बाद सिलसिला रविवार को फिर से शुरू हुआ। गेरवाघाट रेतघाट से पहले राताखार क्षेत्र से यह अवैध दोहन होने लगा था। राजपत्रित अधिकारी के संरक्षण में रेत के खेल की जानकारी आला अधिकारी को फिलहाल नहीं थी लेकिन आला अधिकारी से एक पायदान नीचे के अधिकारी को पूरी खबर है। इस अधिकारी ने आला अधिकारी को धोखे में रखा कि कोई गलत काम नहीं हो रहा है लेकिन राजपत्रित के साथ यह अधिकारी और नेता टाइप लोग सिंडीकेट बनाकर काम करते रहे। हर दिन 50-100 ट्रैक्टर रेत निकाली जाती रही। आला अधिकारी इस मुगालते में रहे कि उनके मातहत भरोसे को नहीं तोड़ रहे जबकि कहानी इसके विपरीत थी। जनता के बीच विभाग की छवि सुधारने की उनकी कोशिशों को विभाग के ही चंद अधिकारी पलीता लगाने में जुटे रहे और इस पलीते को प्रशासनिक दरियादिली ने हवा देने का काम किया है। अब आला अधिकारी की सीधी नजर इस राजपत्रित अधिकारी पर है।
0 उड़नदस्ता सुस्त, खत्म हो निजी ठेका सिस्टम
कोरबा जिले में यह बड़ा ही रहस्यमय है कि खनिज संसाधनों की चोरी, अवैध खनन, परिवहन की रोकथाम के लिए गठित उड़नदस्ता की सक्रियता बिल्कुल शून्य है। गठजोड़ से काम हो रहा हो तो सब ठीक लेकिन जहां भी लेन-देन का गठजोड़ कमजोर हुआ तो प्रतिद्वंदी और एक-दूसरे विभाग के द्वारा जड़ में मट्ठा डालने का काम शुरू कर दिया जाता है। प्रशासन और आला अधिकारी की आंख में धूल झोंककर सारा खेल हो रहा है। सरकार की भी किरकिरी आम जनता के बीच हो रही है कि सरकारी तंत्र से जुड़े लोग ही जब अवैध काम करने व कराने में शामिल हैं तो भला जनता को सस्ते और सरकारी दर पर रेत कहां नसीब होगी? वैसे भी रेत के सभी घाट का ठेका सिस्टम खत्म कर नगर पालिक निगम या माइनिंग को संचालन के लिए सौंपे जाने की जरूरत लोगों ने महदूस की है, ताकि खदान में वर्चस्व की लड़ाई/सिंडिकेट/अवैध खनन/परिवहन/विवाद /शांति भंग /सरकार को बड़े राजस्व की क्षति और महंगाई की मार से छुटकारा मिल सके।
0 भावी ठेकेदार को रेत मिलेगी या झुनझुना
एक ओर माइनिंग विभाग ने पिछले दिनों कहा है कि नियमतः संचालित के अलावा चिन्हित लगभग 15 अवैध रेत घाटों को जल्द ही ठेका पर देने की प्रक्रिया शुरू होगी। अवैध घाटों को वैध घाटों की तरह चलाने की अनुमति संबंधित ठेकेदार को दी जाएगी। यह तो अभी दूर की कौड़ी है लेकिन इससे पहले अवैध खननकर्ताओं के द्वारा जिस तरीके से रेत का दोहन रातों-रात किया जा रहा है, उससे भविष्य में ठेका लेने वाले के लिए सौदा घाटे का हो सकता है। उसे कारोबार के लिए रेत मिलेगी या रेत के नाम पर झुनझुना?अवैध खननकर्ता रेत की इस कदर चोरी कर रहे हैं कि बड़े पैमाने पर दोहन हो रहा है। चोरी की रेत महंगे दाम पर बेची जा रही है और सरकारी निर्माण कार्यों में भी इस रेत का उपयोग हो रहा है।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)