कोरबा(खटपट न्यूज़)। पर्यटन मंडल की आ दूरदर्शिता की वजह से करोड़ों के खर्च से तैयार दर्शनीय पर्यटन केंद्र सतरेंगा की खूबसूरती में अव्यवस्था का एक दाग लग गया है। यहां आने वाले स्थानीय से लेकर बाहरी और विदेशी सैलानियों को जहां खूबसूरत वादियां पसंद आती हैं वहीं वे व्यवस्थाओं को तब जमकर कोसते हैं जब आपात परिस्थितियों में उन्हें शौचालय/प्रसाधन की सुविधा नहीं मिल पाती। खासकर महिला-बुजुर्ग वर्ग काफी परेशान होता है जब उन्हें आपात स्थितियों में झाड़ियों का सहारा लोक लाज का भय के बीच लेना पड़ता है।
बेशक कोरबा के अलावा प्रदेश और देश के विभिन्न शहरों से लेकर विदेशों में भी सतरेंगा पर्यटन केन्द्र अपनी धूम मचा रहा है। दूर-दूर से यहां सैलानी पहुंच तो रहे हैं लेकिन सुविधाओं के लिए उन्हें भटकते देखा जा सकता है। खासकर प्रसाधन की सुविधा इस पूरे परिसर में अब तक नहीं की जा सकी है जो कि अति आवश्यक सुविधा में शामिल है।
यहां पूर्व में स्थापित रेस्ट हाऊस को अब विस्तारित कर पर्यटन विभाग के द्वारा विभिन्न सुविधाओं से सुसज्जित करते हुए रिसोर्ट, बोटिंग एवं फ्लोटिंग रेस्टोरेंट जैसी आकर्षक व्यवस्थाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका लोकार्पण करने के बाद यहां लाव-लश्कर के साथ आकर एक रात भी गुजारी। चूंकि उस वक्त व्यवस्थाएं खास थीं इसलिए आम जन से जुड़ी इस समस्या की ओर न तो अधिकारियों का ध्यान गया न ही वन विभाग और ना ही पर्यटन मंडल का। आम जनता के लिए इस पर्यटन केन्द्र में व्यवस्था कुछ खास नजर नहीं आती बल्कि सारा कुछ पैसे पर केन्द्रित दिखता है। करोड़ों की लागत से तैयार इस पर्यटन केन्द्र में सैकड़ों/ हजारों रुपए खर्च कर रिसोर्ट अथवा कॉटेज बुक कराने पर आपको सुविधाएं मिलेंगी लेकिन यदि आप आम सैलानी हैं तो फिर आम ही बनकर घूमते-फिरते नजर आना होगा। आम सैलानी यहां लघुशंका सहित अन्य आपात स्थितियों में झाड़ियों का सहारा लेने विवश है।
पर्यटन केन्द्र में टिकट कटाकर गेट के भीतर प्रवेश करने के बाद बच्चों से लेकर महिलाएं, बुजुर्ग खूबसूरती से मुग्ध हो जाते हैं किंतु जब लघुशंका या अन्य आपात नौबत आती है तो पूरे परिसर में मायूस होना पड़ता है। पूरे परिसर में यह अहम सुविधा नहीं दी जा रही है। वीआईपी कमरे से लेकर ओपन थिएटर के पास निर्मित कमरों को किसी भी आपात स्थिति में खोलने से सीधा इनकार कर दिया जाता है और कोई जवाबदार व्यक्ति भी यहां मौजूद नहीं मिलता जिससे आपात स्थितियों के संबंध में चर्चा की जा सके। कर्मचारी भी साफ-सफाई का हवाला देकर किसी भी आम कमरे का दरवाजा खोलने से इनकार कर देते हैं व सहयोगात्मक रुख नहीं अपनाते।
यहां कोरबा में काम के सिलसिले में ठहरे विदेशी सैलानी भी घूमने आते हैं जिन्होंने तारीफ तो की लेकिन लघुशंका समाधान के लिए इधर-उधर भटकते नजर आए। इन्हें भी कोई राहत नहीं मिली। इसके अलावा पूरे परिसर में कहीं भी बैठक के लिए एक भी कुर्सी-बेंच नजर नहीं आते। पीने के लिए पानी की भी समस्या है। हालांकि भीतर जगह-जगह पाइप से नल निकाले गए हैं लेकिन वे गार्डनिंग की सिंचाई के लिए हैं। भीतर खाने-पीने की वस्तुएं लाने पर प्रतिबंध है किंतु भीतर व्यवस्था अपर्याप्त है । बाहर सड़क किनारे जरूर पेयजल की व्यवस्था है। हमने जब प्रसाधन की समस्या से अवगत कराकर समाधान जानने के लिए पर्यटन विभाग के यहां चस्पित नंबर 0771- 4224600/ 4224611 पर दो बार संपर्क किया तो कोई जवाब नहीं मिला, फोन उठा ही नहीं।
0 गार्डन के बाहर प्रसाधन निर्माण के औचित्य पर सवाल
पर्यटन केन्द्र के मेन गेट के भीतर मौजूद पर्यटकों के लिए प्रसाधन की सुविधा बिल्कुल भी नहीं है। दूसरी ओर गेट से बाहर सड़क के दूसरी ओर काम्प्लेक्स के पीछे जंगल की ओर 2 कमरे के प्रसाधन का निर्माण धीमी गति से कराया जा रहा है। इसके पर्यटन स्थल से बाहर निर्माण पर लोगों ने सवाल उठाए हैं कि घूमने आने वालों को गेट से बाहर आना और फिर जाना पड़ेगा जो कि खासकर महिलाओं, वृद्धों और दिव्यांग सैलानियों के लिए कष्टप्रद होगा। बाहर से ज्यादा पर्यटन स्थल गार्डन के परिसर में निर्माण की आवश्यकता है ताकि जरूरतमंदों को बार-बार अंदर-बाहर न होना पड़े। लोगों ने इस जरूरी सुविधा के अभाव के लिए पर्यटन मंडल व स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जबकि शौचालय-प्रसाधन सुविधा तो पहले हो जानी चाहिए थी।
0 सत्या पाल 0