कोरबा/पाली(खटपट न्यूज)। बुड़बुड़ कोयला परियोजना खदान में एसईसीएल के अधिकारियों की जानकारी में नाबालिगों से काम कराया जा रहा है। बाल श्रम कानून की उड़ती धज्जियां न तो एसईसीएल और न ही इसकी रोकथाम करने वाले विभाग को नजर आ रही है। संज्ञान में लाये जाने के बाद क्या होता है, यह तो अधिकारी ही जानें?
कोरबा क्षेत्र एसईसीएल के सराईपाली परियोजना अंतर्गत बुड़बुड़ में ओपन कास्ट खदान संचालित है। एसईसीएल ने वर्ष 2005 में प्रोजेक्ट लाया जहां 2008 से कोयला उत्खनन शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था बावजूद इसके आज पर्यन्त इस खदान से कोयला खनन कार्य शुरू नही हो पाया है।पहले सरायपाली माइंस स्थापना लागत 60 करोड़ थी जो बढ़कर अब 130 करोड़ से भी अधिक हो गया है लेकिन अधिकारियों की हठधर्मिता एवं मनमानी के कारण इन 12 वर्षों में इस खदान से अभी तक कोयला का एक ढेला निकल नही पाया है। दूसरी ओर वर्तमान में यहां ओसीपी के कार्य में ठेकेदार द्वारा बाल श्रमिकों को नियोजित किया गया है जबकि डीजीएमएस के नियमानुसार खान के किसी भी स्थान पर 18 वर्ष से कम उम्र वाले मजदूर को कार्य में नियोजित किया जाना प्रतिबंधित है।अधिकारी उस नियम- कानून को धत्ता बताते हुए आंख मूंदे बैठे हैं। खदान के ओसीपी में नानबांका निवासी 17 वर्ष एवं 15 वर्ष के बालक सहित अनेक नाबालिगों को कार्य पर नियोजित कर ना सिर्फ ठेकेदार द्वारा बाल कानून का खुला उलंघन किया जा रहा है बल्कि अधिकारियों की भी मौन सहमति है। गरीबी की मार झेल रहे नाबालिगों की मजबूरी का फायदा उठाकर और कम मजदूरी पर खदान के भीतर कार्य में नियोजित कर क्षमता से अधिक कार्य कराते हुए ठेकेदार अपना काम निकलने में लगा है। शासन स्तर पर नाबालिग व गरीब बच्चों के विकास के लिए अनेक योजनाओं सहित नियम- कानून बनाए तो गए हैं लेकिन वे सब कागजों तक ही सीमित लगते हैं। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाए कि बालश्रम रोकने सरकार द्वारा बनाए गए कड़े नियम बुड़बुड़ खदान में प्रभावशील नहीं हो पा रहे हैं जिसके कारण बालश्रम रोकने के सारे प्रशासनिक दावे भी खोखले नजर आ रहे।