कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा वनमंडल अंतर्गत विभिन्न कार्यों के लिए जारी टेंडर पर गंभीर सवाल उठे हैं। पहले काफी बढ़े हुए दर पर टेंडर खोला गया और जब मामला गर्म हुआ तो आनन-फानन में उक्त टेंडर को आपस में मिल-बैठकर कागजों में ही निरस्त कर अपेक्षाकृत कम दर पर पुनः टेंडर कागजी खानापूर्ति करते हुए पूर्व के ही लोगों को जारी किया गया। इस विभागीय सांठगांठ से हुए खेल में न सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग होगा बल्कि अन्य वंचित और प्रतिस्पर्धी निविदाकारों के अधिकारों पर भी कुठाराघात हुआ है।
कोरबा निवासी सुखनंदन प्रसाद साहू ने डीएफओ कोरबा को पत्र प्रेषित कर 10 दिसंबर को हुए निविदा के संबंध में शिकायत की है। सुखनंदन ने बताया कि उसके द्वारा डीएफओ कार्यालय से निकाले गए निविदा हेतु निविदा फार्म क्रमांक 3 दिनांक 10.12.2020 को दोपहर 12 बजे के पूर्व क्रय किया गया। पूर्व में निर्धारित समयावधि लगभग 2 बजे के पूर्व दोपहर 1.30 बजे टेंडर को विधिवत् कार्यालय में जमा करने आया था, तब कार्यालयीन कर्मचारियों द्वारा निविदा पेटी को बंद कर दिया गया था जबकि कार्यालय के द्वारा दिये गये निविदा फार्म में या अन्य कहीं पर भी समय का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, जबकि निविदा फार्म भर रहे निविदाकारों को जमा करने की निर्धारित समय की जानकारी होना अति आवश्यक होता है। उक्त निविदा बाजार भाव से भी बढ़े रेट में खोला गया है तथा उक्त निविदा प्रक्रिया में अत्यंत ही गड़बड़ी हुई है। निविदा जमा करने हेतु समय का उल्लेख नहीं होने से उक्त निविदा फार्म भरने से वंचित हुए सुखनंदन ने उसे हुए अपूर्णीय क्षति की भरपाई होना असंभव बताया है। श्री साहू ने त्रुटिपूर्ण निविदा की जांच कर उक्त निविदा को निरस्त कर पुन: नया निविदा आमंत्रित करने की मांग की थी।
इधर वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक विभिन्न कार्यों के सिलसिले में जारी टेंडर में गुपचुप तरीके से कागजी खानापूर्ति कर अपने ही चहेते लोगों को काम दिया गया है। बताया जाता है कि 10 दिसंबर को हुए टेंडर में ज्यादा दाम डालने के बाद भी संबंधितों को उपकृत कर दिया गया। इसे लेकर जब जब शिकायत हुई और मीडिया में बात उछली तो इस टेंडर को निरस्त करने की बात होने लगी। शिकायतकर्ता सुखनंदन प्रसाद साहू के द्वारा खुद डीएफओ कार्यालय जा कर पता किया जाता रहा तो अधिकारी व बाबुओं ने इस टेंडर को निरस्त कर दुबारा टेंडर करने की जानकारी दी। यह भी कहा था कि जब कभी टेंडर दोबारा किया जाएगा तब सूचना भी दी जाएगी। प्रथम बार में चूके सुखनंदन प्रसाद साहू के द्वारा दुबारा टेंडर भरकर प्रयास करने की उम्मीद में उस तिथि का इंतजार किया जाता रहा और दूसरी तरफ गोपनीय तरीके से कागजी खानापूर्ति करते हुए और पूर्व के दर में थोड़ी बहुत कमी दर्शा कर दुबारा टेंडर कर लिया गया और जिन लोगों के नाम 10 दिसंबर को टेंडर जारी हुआ था उन्हीं लोगों के नाम से ही 14 दिसंबर को भी टेंडर जारी किया गया। पूर्व का टेंडर निरस्त करने और पुनः टेंडर करने की ना तो इस हेतु गठित समिति को कोई जानकारी दी गई और ना ही टेंडर भरने से चूके शिकायतकर्ता को कुछ पता चला जबकि वह 13 दिसंबर को भी वन कार्यालय पहुंचा था। विभागीय सूत्र बताते हैं कि 10 दिसंबर का टेंडर निरस्त कर गुप्त तरीके से यही टेंडर उन्हीं लोगों को 14 दिसंबर को जारी कर दिया गया और विभागीय सूचना पटल पर उक्त टेंडर प्रक्रिया होने की सूचना संपूर्ण काम निकालने के बाद सिर्फ दिखावे के लिए 15 दिसंबर को चस्पा की गई लेकिन तारीख 11 दिसंबर का डाला गया। टेंडर में हिस्सा लेने के इच्छुक उक्त शिकायतकर्ता के अलावा विनोद ट्रेडर्स ने भी गड़बड़ी की बात कही है। इस पूरे मामले में डीएफओ से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया पर मोबाइल कवरेज से बाहर बताता रहा।