कोरबा (खटपट न्यूज)। 23 सितंबर से शुरू हो रहे 10 दिन के पूर्ण लॉकडाउन के ठीक एक दिन पहले मंगलवार को प्रशासन के तमाम निगरानी दलों को धता बताकर बाजारों में विक्रेताओं ने उम्मीद से कहीं अधिक दर पर सब्जियों को बेचा। वैसे तो प्रशासन ने जिला स्तरीय छह प्रभारी अधिकारियों सहित 32 राजस्व निरीक्षक-पटवारियों की 10 टीमें तैयार की जो जिले के संपूर्ण नगरीय क्षेत्रों के साथ-साथ जिले के पांचों तहसीलों में भी आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी रोकने आवश्यकतानुसार भ्रमण कर सघन निगरानी रख रहे हैं। ग्राहकों से भी रेट और सामग्री की क्वालिटी के बारे में फीडबैक लिए जाने का भी दावा किया गया। कलेक्टर ने स्वयं व्यापारियों से दाम नहीं बढ़ाने की अपील की लेकिन सभी दावे और अनुनय-विनय आज मंगलवार को उस समय काफूर हो गए जब लोगों ने बाजार में कदम रखा। अप्रत्याशित दाम के बावजूद सामानों की खरीदारी इनकी मजबूरी रही तो निम्न वर्ग के लोग मामूली खरीददारी कर लौटने में भलाई समझे।
दिन चढ़ने के साथ सब्जियों के दाम भी आसमान छूते रहे। सुबह तक जो टमाटर 60 रुपए किलो में बिका, वह दोपहर होते ही 70, शाम होते-होते 80, फिर 90 और छह बजे के बाद 100 रुपए प्रति किलो में बेचा गया। टमाटर के साथ-साथ आलू, प्याज के भी भाव चढ़े रहे। आलू 60 रुपए तो प्याज पहले 50 और शाम होते-होते 60 रुपए भाव में बिका। थोक विक्रेताओं ने सब्जियों के दाम बढ़ाए तो फुटकर व्यापारियों ने उस दाम में खरीदी से 15 से 20 रुपए अधिक दर पर सामान बेचे। धनिया 400 रुपए किलो, मिर्ची 200 रुपए किलो, 80-90 रुपए किलो वाला अदरक आज 200 रुपए किलो में बिका, जबकि अन्य सब्जियों के दाम भी उछले रहे। आज थोक विक्रेताओं ने आलू 45-47 रुपए प्रति किलो थोक भाव में बेचा जिसे फुटकर व्यापारियों ने 60 रुपए में ग्राहकों को बेचा। बाजारों में पहुंचने वाले अधिकतर लोगों की जुबान से यही सुनने को मिला कि प्रशासन की निगरानी टीम कहां है? और यदि निगरानी कर रही है तो दाम इतने कैसे बढ़ गए?