कोरबा,(खटपट न्यूज)। सृष्टि इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के चेयरमैन देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा है कि ननकीराम जैसे दिखते हैं वैसे हैं नहीं, वे बहुत खतरनाक आदमी हैं। उनका संपर्क ऐसे लोगों से है जो उनके लिए कुछ भी कर सकते हैं और कुछ भी करा सकते हैं। अभी भी मुझे और मेरे परिवार को फंसाने के लिए दिमाग लगा रहे हैं।
सृष्टि इंस्टीट्यूट को लेकर चल रहे घटनाक्रम के मध्य चेयरमैन देवेन्द्र पाण्डेय ने सृष्टि कॉलेज में बुधवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि वर्ष 1995 में स्थापित इस संस्था में प्रारंभ से 10 सदस्य रहे और सदस्य की मृत्यु उपरांत उनके परिजनों में से ही एक को सदस्य बनाया गया। अस्पताल को प्रारंभ करते समय सेवा का संकल्प लिया गया था लेकिन संस्था के नियमों का पालन ना करने के कारण ही सारी दिक्कतें सामने आई हैं। मैंने ही संस्था की स्थापना की है, पारिवारिक संबंध होने के नाते ननकीराम कंवर को संस्था का संरक्षक बनाया गया और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शकुंतला कंवर कोषाध्यक्ष थीं। वे दोनों खुद ही सृष्टि का संचालन करते थे, पैसों का हिसाब स्वयं शकुंतला रखती रहीं। ननकीराम के पुत्र संदीप शराब के आदी हैं और संस्था में अवैधानिक रूप से सदस्य बनने के लिए बार-बार दबाव बना रहे हैं। संस्था के संविधान की धारा 7(ड) में स्पष्ट है कि मद्यपान करने वालों को संस्था की सदस्यता नहीं दी जा सकती और यह बात ननकीराम भी भली भांति जानते हैं। अपने पुत्र की गलतियों को नजरअंदाज कर झूठ और दबाव की राजनीति ननकीराम कर रहे हैं जबकि उनके साथ 40 वर्षों का पारिवारिक और घनिष्ठ संबंध है। झूठे प्रपंच में उलझ कर वे इन संबंधों को भी दरकिनार कर बैठे हैं जबकि हम आज भी उनका सम्मान और आदर करते रहे हैं।
श्री पांडेय ने कहा कि कुछ कारणों से बाधाएं आई हैं लेकिन सृष्टि हॉस्पिटल को अंचल का सबसे किफायती अस्पताल बनाना मेरी जिम्मेदारी है। इस अस्पताल के माध्यम से पिता स्व. काशी प्रसाद पांडेय के दीन-दुखियों की सेवा के सपनों को साकार करेंगे। जल्द ही सृष्टि का संचालन प्रारंभ होगा और सेवा भाव का कार्य निरंतर जारी रहेगा। अस्पताल में आने वाले गरीबों को नि:शुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की जाएगी।
देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि संदीप कंवर के द्वारा सदस्यता के लिए 20 लाख रुपए देने की बात और दावे खोखले हैं। संस्था के संविधान में आजीवन सदस्यता के लिए मात्र 500 रुपये देने होते हैं तो भला कोई 20 लाख रुपए क्यों जमा करेगा? संस्था में 10 रुपये से लेकर अपनी-अपनी क्षमता अनुसार हजारों लोगों ने सहयोग राशि दिया है। ननकीराम की अदूरदर्शिता के कारण यह सब हुआ है। संस्था के ही चिकित्सक यादव की शिकायत के बाद समिति द्वारा निष्कासित किए जाने की बात ननकीराम को नागवार गुजरी है। अब इसे ही अहम की लड़ाई बनाकर वे राजनीतिक षड्यंत्र करने में लगे हैं।
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