0 सुराप्रेमियों की जेब पर फिर रहा पानी, कोरोना काल में दोहरी मार
कोरबा,(खटपट न्यूज़) । करोना के संक्रमण काल में एक वर्ग जहां अपनी रोजी-रोटी के लिए डर-डर कर जद्दोजहद कर रहा है तो एक ऐसा वर्ग भी है जो हर दिन कितना भी कमा ले, पर उसकी शराब की लत पूरी करने के लिए वह पानी की तरह पैसा बहायेगा ही। सरकार के राजस्व आय में शराब का अपना अहम स्थान है जिससे होने वाली आमदनी से भारी-भरकम खर्च को सरकार मेंटेन करती है। कोरोना काल में भी शराब भठ्ठियों के दरवाजे खोले गए हैं ताकि सुरा प्रेमियों को राहत मिल सके और सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति हो। सरकार के इरादे सुरा प्रेमियों की नजर में नेक हैं किंतु बदली व्यवस्था में सरकारी ठेके पर काम कर रहे सेल्समैन और कर्मचारियों की नीयत ठीक नहीं। इनके द्वारा सुरा प्रेमियों के जेब पर खुलेआम डाका इस कदर डाला जा रहा है कि रुपए खर्चने के बाद भी उन्हें नशा नहीं चढ़ रहा। शराब की क्वालिटी भी गिरा दी गई है।
कोरोना टैक्स के साथ 80 रुपए पाव में देशी शराब खरीद कर पीने के बाद भी उतना नशा नहीं चढ़ रहा जितना कि पहले 40-50-60 रुपये की देशी शराब में चढ़ जाया करती थी। एक-एक कर तीन-चार पाव शराब पीने के बाद थोड़ा बहुत झुनझुनाहट होती है लेकिन इतना नशा चाहने के लिए इन्हें काफी रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
हरदीबाजार क्षेत्र में कॉलेज चौक के निकट संचालित देशी शराब भट्ठी को लेकर शिकायत आई है कि यहां तीन पाव शराब में एक पाव की बोतल में पानी बेचा जा रहा है और अभी तो प्योर पानी बेचा गया। इसे लेकर जब कुछ मदिरा प्रेमियों ने सेल्समेन से शिकायत दर्ज कराई तो उसका कहना था कि जैसा माल आ रहा है, वैसा ही वे बिक्री कर रहे हैं। ग्राहकों द्वारा शराब की बोतलों का ढक्कन व सील को चेक करने पर वह सही मिल रहा है। ऐसे में सवाल है कि आखिर गड़बड़ी मूल जगह से हो रही है या रास्ते में अथवा दुकान में ही कोई तकनीक अपना कर सुरा प्रेमियों की आंखों में धूल झोंकी जा रही है।
हरदी बाजार की देशी शराब दुकान को लेकर अक्सर शिकायतें सामने आती रही है यहां के सेल्समैन, संचालक शराब के नाम पर बोतल में पानी भर कर बेच रहे हैं। इनका विरोध करने की कोई नहीं जुटाता। इस तरह की बातें पहले भी सामने आ चुकी हैं और बात आबकारी विभाग के संज्ञान में लाई भी गई लेकिन जांच तो दूर यहां झांकने की फुर्सत भी अधिकारी नहीं उठाते।यदि गाहे-बगाहे पहुंचकर कोई जांच-पड़ताल की भी हो तो उसमें लीपापोती बाएं हाथ का खेल है। जिले के टीपी नगर भट्ठी सहित और भी शराब ठिकानों पर इस तरह की बातें सामने आई हैं जिन पर विभागीय अधिकारियों सहित प्रशासन के नुमाइंदों को गोपनीय और औचक निरीक्षण कर जांच की जरूरत बन पड़ी है।
0 गुणवत्ता की परख जरूरी
शराबी ही सही लेकिन कोरोना काल में डर-डर कर या डर को दिल से निकाल कर सरकार के राजस्व बढ़ाने में मदद करने वाले शराबियों को भी आम उपभोक्ता समझकर उसके हितों की रक्षा करना, उसे कीमत चुकाने की एवज में दिए जाने वाले सामग्री की गुणवत्ता की परख करना भी उतना ही जरूरी है जितना कि एक आम उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक है। कहीं ऐसा न हो कि पानी से नशा चढ़ाने के चक्कर में मिलावट किसी के लिए जानलेवा/हानिकारक हो जाय।
0 मिलावट का खेल जोरों पर, नहीं सुनवाई
शराब देशी हो या अंग्रेजी, मिलावट जोरों पर है परंतु मिलावटखोरों पर कार्यवाही बिल्कुल भी नहीं हो रही। आबकारी विभाग के अधिकारी और जिम्मेदार कर्मचारी इस ओर आंख मूंदे बैठे हैं जबकि शराब के प्रेमी कोरोना टैक्स के साथ कीमत बढ़ाकर बेची जा रही शराब के लिए कीमत चुकाने के बाद भी अपेक्षित नशा से वंचित हैं। शराबी होने का कलंक लिए इन शराब उपभोक्ताओं की आखिर सुनवाई कौन करेगा..?