कोरबा(खटपट न्यूज़)। सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर को लेकर चल रहे आपसी खींचतान के बीच संस्था के संरक्षक एवं इसकी नींव रखने वाले पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक ननकीराम कंवर का रुख कुछ स्पष्ट नहीं दिख रहा। हालांकि वे अभी अपने एक प्रतिनिधि के कोरोना संक्रमित होने के कारण उसके संपर्क में आ जाने से खुद को होम क्वारर्ण्टाइन किए हुए हैं। दूसरी तरफ 26 अगस्त की शाम ननकीराम कंवर के पुत्र संदीप कुमार कंवर उर्फ बल्ला ने सृष्टि इंस्टीट्यूट में सदस्यता के लिए 20 लाख रुपए पूर्व में दिए जाने और सदस्यता न मिलने पर रुपए वापस नहीं करने को लेकर संस्था के चेयरमैन व ननकीराम के खास समर्थकों में शुमार देवेंद्र पांडेय से उलझ बैठे हैं। मामले में दोनों पक्षों पर पुलिस ने अलग-अलग अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। इस बीच एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है व खबरों की सुर्खियां भी है कि संदीप कंवर ने अपने इस कृत्य के लिए देवेंद्र पांडेय के समक्ष खड़े, होकर हाथ जोड़कर माफी भी मांगी है।…एक बार माफी दे देने और आइंदा ऐसा नहीं होने का भी आग्रह इस वीडियो में किया गया है दूसरी तरफ संदीप कंवर ने ही एक अन्य लिखित शिकायत आदिम जाति कल्याण थाना में दर्ज कराई है। कहा है कि उनके साथ जातिगत दुर्व्यवहार कर और कमरे में बंधक बनाकर देवेंद्र पांडेय एवं पुत्र शिवम पांडेय के द्वारा मारपीट की गई है।
अब शिकवा-शिकायत, मारपीट, रिपोर्ट के बाद माफी और दूसरे दिन फिर आजाक में की गई शिकायत के कई मायने गढ़े जा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर तरह-तरह की बातें और कयासों का दौर भाजपा से लेकर दूसरे राजनीतिक गलियारों और दोनों नेताओं को करीब से जानने वाले लोगों में चल पड़ा है। क्या संदीप कंवर के द्वारा माफी मांगने के बाद मामला यहीं ठंडा पड़ जाएगा या फिर ननकीराम कंवर अपने पुत्र के साथ हुए इस बर्ताव को किसी अंजाम तक पहुंचाने का इरादा रखते हैं। ऐसा संदेह इसलिए भी उत्पन्न हो रहा है क्योंकि पुलिस सूत्रों के मुताबिक ननकीराम कंवर के द्वारा जिला सहित शासन स्तर पर देवेंद्र पांडेय के विरुद्ध उचित कार्यवाही हेतु पत्र लिखा गया है। अब इसमें कितनी सच्चाई है कि ननकीराम कंवर और संदीप कंवर इस पूरे मामले को देवेंद्र पांडेय के साथ बैठकर सुलझाना चाहते हैं या फिर यह मामला तूल पकड़ने वाला है?
हालांकि सृष्टि इंस्टीट्यूट लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है, यहां के कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। आपसी खींचतान और तनाव की वजह तो संचालक मंडल ही समझेगा क्योंकि इस बारे में खुलकर कभी भी कोई बात समक्ष लाई नहीं गई है। संचालन को लेकर किस तरह की बाधाएं सामने आई हैं, उन बाधाओं को दूर करने में किसने कितना और किस हद तक जाकर अपना योगदान दिया है ? यह भी किसी को ज्ञात नहीं।
अपने मंत्री काल में ननकीराम कंवर ने देवेंद्र पांडेय की पुत्री सृष्टि के नाम से इस मेडिकल इंस्टिट्यूट की स्थापना की थी। इसके पीछे मंशा यही थी कि ग्रामीण और दूरदराज के अंचल से आने वाले ग्रामवासियों/गरीबों को इस सृष्टि इंस्टीट्यूट से यथासंभव नि:शुल्क और बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सके । गांव के गरीब किसानों मजदूरों पर किसी तरह का आर्थिक भार दूसरे निजी अस्पतालों के बनिस्बत कम पड़े। लेकिन आपसी खींचतान की वजह से इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य भी धूमिल होने लगा है। संस्था में वर्चस्व कायम करने की बात को अगर छोड़ दें तो भी इसका गरीबों के हित में निरंतर कार्यरत रहना जरूरी है । अब यह बात देवेंद्र पांडेय, ननकीराम कंवर और संदीप कंवर को ही आपस में बैठकर समझनी व सुलझानी चाहिए, ऐसी अपेक्षा जिले के सुलझे हुए इन तीनों से करते हैं। हालाकि पार्टी संगठन के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच इस तरह की खींचतान भाजपा के लोगों से भी छिपी नहीं है, यह और बात है कि आपस का मामला बताकर इसमें संगठन कोई दखल देने से परहेज कर ले लेकिन इस मामले को नहीं सुलझाना भी एक तरह से पार्टी की ही फजीहत का कारण भी बन सकती है। हो सकता है कि कुछ लोग पर्दे के पीछे से किसी के कंधे पर बंदूक रखकर किसी के लिए गोली चलाने का काम कर रहे हों।
पूरे मामले का सार यही है कि संदीप कंवर के माफीनामा के बाद क्या पार्टी संगठन के नेता, पदाधिकारी और ननकीराम कंवर इस पूरे मसले पर बैकफुट पर जाने आपसी सहमति देंगे और समझौते से सृष्टि इंस्टीट्यूट के मुद्दे को सुलझाने में रूचि रखेंगे या फिर उच्च स्तर तक पत्र लिखकर इस मामले को और भी आगे ले जाने का काम करेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा ।