कोरबा(खटपट न्यूज़)। एसईसीएल को कोयला खदान संचालित करने के लिए जमीन देने के वर्षों बाद भी नौकरी, मुआवजा, बसाहट, रोजगार व अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे लोगों के द्वारा आज कलेक्ट्रेट का महाघेराव किया जाएगा। कुसमुंडा परियोजना के मुख्य द्वार के समक्ष 350 दिन से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे इन भूमि विस्थापितों ने कलेक्ट्रेट घेराव का निर्णय लिया है। इसके मद्देनजर कलेक्ट्रेट पहुंचने के दोनों मार्ग को बैरिकेड लगाकर बंद किया गया है। एसपी कार्यालय के सामने और कोसाबाड़ी चौक के निकट दोनों तरफ से पुलिस द्वारा बैरिकेड लगा दिए गए हैं। आम लोगों को आवाजाही के लिए आंतरिक मार्गों का उपयोग करना पड़ रहा है। इस मार्ग से आवाजाही फिलहाल बंद करा दी गई है। यहां पुलिस और यातायात के जवान मुस्तैद हैं और थोड़ी देर में घेराव शुरू होने से पहले तमाम आला अधिकारी और थाना व चौकी प्रभारी व्यवस्था बनाने के लिए यहां नजर आएंगे और भू विस्थापितों को आगे बढ़ने से रोकेंगे।
समिति के प्रशांत झा ने बताया कि दोपहर लगभग 12:30 बजे घंटाघर ओपन थिएटर मैदान में चालीस गांव के भूमि विस्थापित पहुंचेंगे। यहां से रैली की शक्ल में घंटाघर, सुभाष चौक होते हुए कोसाबाड़ी चौक से आगे बढ़कर कलेक्ट्रेट का घेराव करने के लिए रवाना होंगे। एसईसीएल के लगातार उदासीन रवैया के खिलाफ यह विस्थापितों की आर-पार की लड़ाई है।
छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेतृत्व में 20 सूत्रीय मांगों के लिए या घेराव किया जा रहा है। जवाहर सिंह कंवर ने बताया कि वर्षों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन वापसी, प्रभावित गांव के बेरोजगारों को खदान में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू-विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि की मांग की जा रही है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन इसके बाद भी किसी सरकार ने, जिला प्रशासन और खुद एसईसीएल ने विस्थापित परिवारों की कभी सुध नहीं ली। अब प्रभावित 40 गांव के लोग घेराव को सफल बनाने में जुटे हैं।