रायपुर (खटपट न्यूज)। हमारी संस्कृति, त्योहार और इतिहास वृक्षों के प्रति समर्पित रही है। वृक्ष हमे बहुमूल्य औषधि, फल-फूल आदि प्रदान करते आए है। वृक्षों की अत्यधिक उपयोगिता होने के कारण ही हमारी परंपराओं में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। हमारे देश में उत्सव और व्रतों में बरगद, पीपल, नीम, कदंब और अन्य वृक्षों की पूजा करने की अत्यंत प्राचीन परंपरा है। हमारे पूर्वज इन पेड़ो और वनो के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए इनकी पूजा करते रहे है। साथ ही उनके संरक्षण के लिए भीं सतत् प्रयास करते रहे है।
इस वर्ष की कृष्ण जन्माष्टमी से छत्तीसगढ़ सरकार भी, नगरीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक महत्व के वृक्ष लगाने का कार्य करने जा रही है। इसके लिए वनविभाग को, नगरीय क्षेत्र में न्यूनतम 1 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी जिसमे सांस्कृतिक महत्व के वृक्षों का रोपण किया जाएगा।
0 वृक्षों का संरक्षण हम सबका परम कर्तव्य
विगत वर्षों में तीव्र विकास होने के कारण नगरीय क्षेत्रो में वृक्षों की अगणित कटाई से वृक्षों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
जिसके कारण कई महत्वपूर्ण वृक्ष अब नगरीय क्षेत्रों में कम पाए जाते है। अगर यही स्थिति रही तो हो सकता है भावी पीढ़ियों को इन वृक्षों के परंपरागत महत्व के बारे में जानकारी तक नहीं हो सकेगी। इसलिये वृक्षों की अमूल्य विरासत का संरक्षण हम सबका परम कर्तव्य है।
यह अत्यंत आवश्यक है कि मनुष्य के लिये जितने भी जीवनोपयोगी वृक्ष हैं उन्हें सभी नगरीय क्षेत्रों में बड़े स्तर पर लगाया और संरक्षित किया जाये जिससे हमारे पर्यावरण और परंपराओं को फलने फूलने का अवसर मिलेगा।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में ’कृष्ण कुंज’ विकसित किए जाएंगे। कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम और कदंब जैसे पारंपरिक एवं सांस्कृतिक महत्व के जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को ’कृष्ण कुंज’ विकसित करने के लिए, न्यूनतम एक एकड़ भूमि, वन विभाग को आवंटित करने के निर्देश दिए हैं।
इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हित स्थल पर सांस्कृतिक महत्व के वृक्षों का रोपण प्रारंभ किया जाएगा।
0 कृष्ण कुंज रखा जाएगा नाम
वृक्षारोपण के महत्व को हर व्यक्ति को समझाने, उन्हें अपनी परंपरा और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने और साथ ही एक विशेष पहचान देने के लिए इसका नाम “कृष्ण कुंज” रखा जाएगा।
आवंटित भूमि में वन विभाग द्वारा, इस वर्ष की कृष्ण जन्माष्टमी से वृक्षों के रोपण का कार्य विधिवत प्रारंभ किया जाएगा।
कृष्ण कुंज के विकसित हो जाने से, हमारी संस्कृति और परम्पराओं के विकास के साथ साथ, पर्यावरण प्रदूषण, गर्मी, जैसी कई समस्याएं कम हों जाएंगी। कृष्ण कुंज के दीर्घकालीन प्रभाव हमारे और आने वाली पीढ़ियों के लिए उत्तम स्वास्थ, शुद्ध वायु, पेड़ो के छाव में फिर से बच्चो को लाने का अवसर देंगी। इन वृक्षों की छाव में खेलते बच्चे, श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को जीवंत करते हुए कृष्ण कुंज के नाम को साकार करेंगे।