कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा वन मंडल के पसरखेत वन परिक्षेत्र कार्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर मांझीडेरा में हरे-भरे बेशकीमती सागौन के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। कटाई का सबूत मिटाने के लिए ठूंठ को जलाया और छिपाया भी जा रहा है। ऐसी स्थिति में वनरक्षकों पर सवाल खड़े होते हैं कि जब कार्यालय से लगे जंगलों की सुरक्षा नहीं हो रही तो पूरे वन परिक्षेत्र का क्या हाल होगा?
कोरबा वनमण्डल के पसरखेत रेंज के मदनपुर में माँझीडेरा और गरनहा पहरी में ईमारती वृक्षों की कटाई के सबूत मिटाने के लिए ठूंठ को जला कर और मिट्टी डालकर छिपाया गया है। जब स्थानीय सूत्रों ने पड़ताल की तो इसका पता चला। इसकी ईमानदाराना जांच की जाए तो अवैध कटाई का राज खुल सकता है। बता दें कि पसरखेत रेंज अंतर्गत गरनहा पहरी और मांझीडेरा में दिन-प्रतिदिन हरे-भरे वृक्षों को काटा जा रहा है। वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण की मंशा बताई जा रही है। वन विभाग की भूमि पर वैसे भी बेधड़क कब्जा किया जा रहा है।
दूसरी तरफ जंगल की सुरक्षा वन अधिकारियों व जिम्मेदार कर्मियों द्वारा कार्यालय में बैठकर हो रही है। रेंज में पदस्थन वन रक्षक घर बैठकर जंगल की सुरक्षा करते हैं। इसी का नतीजा है कि वन भूमि पर पट्टा प्राप्त करने की होड़ में जंगल में अवैध कब्जा के मामले बढ़ रहे हैं। बताया जाता है कि रेंज के कक्ष क्रमांक 1135 में अवैध कटाई और अतिक्रमण को लेकर जन शिकायत भी की गई थी जिस पर कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की गई। अब माँझीडेरा और गरनहा पहरी के मामले में भी लीपापोती के साथ ही वृक्षों की कटाई के साक्ष्य को मिटाया जा रहा है।
0 कटघोरा वन मंडल भी अछूता नहीं : जिले के कटघोरा वन मंडल में भी ईमारती महत्व के वृक्षों की बेधड़क कटाई हो रही है। पूर्व में कुछ मामले पकड़े गए तो इसके बाद की खामोशी बताती है कि रेंजर से लेकर डिप्टी रेंजर और वन सुरक्षाकर्मी अपने कर्तव्य से मुंह मोड़े हुए हैं। जटगा वन परिक्षेत्र के जंगल लकड़ी तस्करों के निशाने पर हैं। यहां के रेंजर अपने जंगल की सुरक्षा कर पाने की ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।