कोरबा(खटपट न्यूज़)। लोगों की निजी जमीन से लेकर सार्वजनिक स्थलों और श्मशान घाट में रात के अंधेरे में राख फेंकने वाले अपना काम बदस्तूर जारी रखे हुए हैं जबकि संबंधित प्रशासनिक अधिकारी और क्षेत्र के पंचायत से लेकर जनप्रतिनिधि दिन में भी खामोश बैठे हैं। इनकी खामोशी और कागजों के सरकने की सरकारी चाल ने राख फिंकवाने वाले कथित लैंको प्रबंधन से लेकर फेंकने का ठेका लेने वाले ठेकेदार तक का मनोबल बढ़ा कर रखा हुआ है। खामियाजा सीधे-साधे और अक्सर खामोश रहने वाले आम ग्रामीण जनता को यही नियति समझकर भुगतना पड़ रहा है,जो कार्यवाही के मामले में सक्षम सरकारी अधिकारियों की ओर निगाहें टिकाए बैठे हुए हैं।
इन ग्रामीणों को पता है कि वह न तो लैंको का कुछ बिगाड़ सकते हैं और ना ही राख फेंकने वाले ठेकेदार का, जबकि सरकारी महकमा चाहे तो लोगों का जीवन संकट में डालने वाले लोगों पर न सिर्फ कार्यवाही बल्कि एफआईआर भी करा सकता है बावजूद इसके किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने यहां तक कि जांच के नाम पर नोटिस-नोटिस का खेल करके समय बिताने का काम हो रहा है। खटपट न्यूज़ ने कोरबा अनुविभाग के करतला ब्लॉक के गांव सरगबुंदिया स्कूल मैदान, जर्वे श्मशानघाट स्कूल के पास नदी किनारे , पुरैना लाल पहरी के पास नदी के कुछ ऊपर तथा इसी तरह बरपाली से पुरैना जाने वाले नहर मार्ग पर कई जगहों पर जगह-जगह राख फेंकने का मामला प्रमुखता से सामने लाया लेकिन इसके बाद भी मौके पर सरकारी महकमे के कदम आज तक नहीं पड़े। परिणाम यह है कि सोमवार रात भी बरपाली में लैंको संयंत्र की राख डालने का काम किया जाता रहा।
सूत्र बताते हैं कि आगामी 2 महीने में लैंको प्रबंधन को अपना राख डेम खाली करना है, यदि 2 माह में राख डेम खाली नहीं किया तो बरसात के दिनों में संयंत्र की राख का निस्तार उसके लिए मुश्किल होगा। यही कारण है कि लैंको प्रबंधन संयंत्र की राख को जिला प्रशासन के सक्षम अधिकारी और पर्यावरण विभाग से अनुमति लिए बगैर ही विभिन्न शर्तों का उल्लंघन करते हुए मात्र ग्राम पंचायत से कथित तौर पर एनओसी प्राप्त कर जगह-जगह राख फेंक रहा है। राख का इस तरह खुले में निस्तारण आम जनजीवन के लिए संकट का कारण बना हुआ है। अब चोरी-छिपे रात के अंधेरे में अज्ञात ठेकेदार के माध्यम से फ़ेंकवाए जा रहे राख का मामला हमने सामने लाया तो उस पर चोरी का अवैध मुरुम और मिट्टी पटवाया जा रहा है। आखिरकार लैंको प्रबंधन और उसके साथ शामिल ठेकेदार अपनी मनमानी कर ही रहे हैं लेकिन प्रशासनिक अमला इन पर न जाने क्यों मेहरबान बना हुआ है या फिर कार्यवाही करने में हाथ कांप रहे हैं। न जाने कौन सी अदृश्य शक्तियां प्रशासनिक महकमे का हाथ बांधे हुए हैं। लोगों का जीवन संकट में डालने के साथ ही जल स्रोतों को भी बुरी तरह प्रभावित करने के मामले में कोई कार्यवाही अब तक होती नजर नहीं आई है। नोटिस-नोटिस का खेल कर न जाने किसको और क्यों गुमराह करने पर संबंधित अमला तत्पर है? ऐसे संवेदनशील मामलों में संबंधितों पर त्वरित कार्यवाही और मानव जीवन संकट में डालने राख फेंकने के नियमों का उल्लंघन करने पर, बिना अनुमति राख फेंक कर जमीनों को बर्बाद करने पर, मुरूम का अवैध रूप से खनन एवं परिवहन के मामले में प्रशासन को ज्ञात अथवा अज्ञात ठेकेदार और काम कराने वाले प्रबंधन पर कार्यवाही तो करनी चाहिए। सब कुछ जागती आंखों से देख कर भी यदि अमला सोया हुआ है तो भला आम आदमी अपेक्षा किससे करेगा? फिर ऐसे में शासन- प्रशासन की किरकिरी तो होना ही है जिसके लिए जवाबदार संबंधित अधिकारी और मैदानी अमला ही होते हैं।