विवादित और भ्रष्टाचारपूर्ण कार्यशैली में विभागीय मंत्री से लेकर सदन को गुमराह करने वाले कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों सहित शीर्ष अधिकारियों के द्वारा लीगल नोटिसों का जवाब तक नहीं दिया जा रहा है। 48 लाख की लागत से निर्मित गुणवत्ताहीन स्टापडेम और 2 बार मरम्मत के बाद पूरी तरह बह चुके पुटवा स्टॉप डेम का मामला अब हाईकोर्ट की ओर अग्रसर है।
कोरबा (खटपट न्यूज)। यह गंभीर मामला वर्ष 2019-2020 में कटघोरा वनमंडल के जटगा वनपरिक्षेत्र अंतर्गत कैम्पा मद से स्वीकृति स्टाप डेम से जुड़ा हुआ है। इस वन परिक्षेत्र में कुल 14 स्टॉप डेम स्वीकृत किये गए थे वहीं वर्ष 2020-21 में चार और स्टॉपडेम को वन मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की थी। इसके तहत सभी 18 डेम की लागत राशि करीब 8 करोड़ रूपये आंकी गई थी, इनमें से ज्यादातर का निर्माण अभी भी अधूरा है जबकि एक स्टॉप डेम जो कि आर.ए. 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 में 2019 में ही पूर्ण हो चुका था, वह पहली ही बारिश में बह गया। इसके पश्चात वन विभाग ने उक्त निर्माण कार्य का पुन: मरम्मत कराया लेकिन यह मरम्मत भी काम नहीं आया और डेम पूरी तरह धराशायी हो गया। उक्त निर्माण में लगे मजदूरों और मटेरियल सप्लायर्स की भी राशि अब तक अटकी हुई है जो पत्राचार करते थक चुके हैं।
यहां तक कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में दी गई जानकारी में कटघोरा वनमंडल ने ना सिर्फ स्टॉप डेम की संख्या कम बताई बल्कि सोढ़ीनाला पार्ट-6 स्टॉप डेम को ही जवाब से गायब कर दिया। कटघोरा वनमंडल ने वन मंत्रालय को इस 18वें बह चुके स्टॉप डेम की जानकारी नहीं दी। जिस कार्य का मटेरियल सप्लाई वर्क ऑर्डर जारी हुआ था, जिसका पत्र क्रमांक/2019-403 दिनांक 11/04/2019 था उसे जवाब की सूची में शामिल नहीं किया गया? इस स्टॉप डेम निर्माण की संख्या 18 थी जबकि जवाब में 17 स्टॉप डेम की जानकारी विधानसभा को दी गई। कटघोरा वनमंडल के द्वारा बड़ी चालाकी से आरए 194 सोढ़ीनाला क्रमांक 06 के स्टॉप डेम लागत 48 लाख रूपये का जिक्र ही नहीं किया।
कटघोरा वन मंडल के अधिकारियों के गले की हड्डी बन चुके जटगा रेंज के पुटवा स्टॉप डेम निर्माण के लिए मटेरियल सप्लायर मुकेश कुमार गोयल ने 6 अगस्त 2019, 7 जुलाई 2020 और 2 जनवरी 2021 को लीगल नोटिस वन विभाग के पीसीसीएफ रायपुर, सीसीएफ बिलासपुर संभाग, डीएफओ एवं उप वनमंडलाधिकारी जटगा डिवीजन को अपने अधिवक्ता के माध्यम से भिजवाया किन्तु इसका कोई जवाब आज तक नहीं दिया गया और न ही बकाया भुगतान जारी किया जा रहा है। मुकेश कुमार की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता द्वारा पुन: 2 फरवरी को एक अन्य लीगल नोटिस उपरोक्त अधिकारियों को प्रेषित कर 15 दिवस के भीतर निराकरण करने कहा गया है। इसके पश्चात मामला हाईकोर्ट में ले जाया जाएगा। बता दें कि सप्लायर मुकेश कुमार गोयल ने कटघोरा वन मंडल में पौधा रोपण के लिए पौधों का परिवहन भी किया था जिसका भी भुगतान नहीं किया जा रहा है और यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। यह भी गौरतलब है कि वन मंडल के अधिकारियों की कार्यशैली और भुगतान नहीं करने से त्रस्त होकर ठेकेदार अभय गर्ग ने वन मंडल कार्यालय परिसर में आत्मदाह करने का प्रयास भी किया था। उसे तीन-चार दिन के भीतर भुगतान करने का आश्वासन दिया गया और उसके विरुद्ध थाना में एफआईआर दर्ज करा दी गई। ठेकेदार के ऊपर मुकदमा तो दर्ज हो गया लेकिन उसकी राशि वन अधिकारियों द्वारा आज तक नहीं दी गई है। सूत्रों की मानें तो पूर्व के कार्यों की राशि को लेकर अच्छी खासी बंदरबांट हुई है और दूसरों के नाम पर भुगतान किए जा कर वास्तविक लोगों का पैसा गड़प कर लिया गया है।