0 उपार्जन केंद्रों में व्याप्त अनियमितता दूर नहीं कर पा रहा विभाग
कोरबा(खटपट न्यूज़)। एक चर्चित कहावत है- अपने मरे मं ही स्वर्ग दिखथे। इस तरह की कहावत किसानों के साथ चरितार्थ हो रही है जिन्हें उपार्जन केंद्रों में धान बेचना है तो कई तरह की व्यवस्था खुद ही करनी होगी वरना परेशान होते रहेंगे। इस तरह की अव्यवस्था अनेक केंद्रों में मौजूद है लेकिन विभागीय अधिकारी और अमला सब कुछ ओके बताता फिरता है। धान खरीदी जब अंतिम चरण पर है, तब भी किसान परेशान हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर जिले की मुखिया श्रीमती रानू साहू के द्वारा किसानों को किसी भी तरह की समस्या धान बेचने में नहीं होने के निर्देश तो दिए गए हैं लेकिन अव्यवस्था का मारा किसान सब कुछ सहकर अपना धान बेचने के लिए मजबूर है।
अव्यवस्था का यह आलम धान खरीदी केंद्र कुदुरमाल व कनकी में नजर आया जहां अपना धान अपनी बोरियों में लेकर पहुंचे किसानों को पलटी करने के लिए फटे हुए बोरे दिए जा रहे हैं। किसानों को अपनी ही व्यवस्था से इन बोरों को सिलना भी पड़ा। सिलने के सामान उपलब्ध नहीं हुए तो पेपर, कपड़ा ठूंसकर फटे हुए हिस्से को भरने की कवायद भी होती दिखी। यदि किसान इन फटे बोरों को न सिले तो उसका धान गिरता जाएगा, तौल में भी कमी बताकर गिरने वाले धान के एवज में अतिरिक्त धान भी ले लिया जाता है।
उपार्जन केंद्र में जूट के फटे और घटिया बोरों की भरमार बारदाना खरीदी में अनियमितता को भी दर्शाने के लिए काफी है। धान बेचने आए किसान शांतिलाल, गोरेलाल आदि ने बताया कि जैसी व्यवस्था है, उसी में धान बेच रहे हैं। नोडल अधिकारी जमाल खान की इस अव्यवस्था पर सफाई रही कि ऐसी व्यवस्था दी गई है तो हम क्या करें, जैसा है वैसा चलने दो। आदिवासी सेवा सहकारी समिति मर्यादित भैसमा के उपार्जन केंद्र कुदुरमाल जैसी समस्या दूसरे ही उपार्जन केंद्रों में है।
बता दें कि छग राज्य सहकारी विपणन समिति मर्यादित के द्वारा जूट के बोरों में कमी के मद्देनजर प्लास्टिक के बोरे उपलब्ध कराए गए हैं लेकिन कुदुरमाल सहित अनेक केंद्रों में उपलब्धता पर सवाल उठे हैं। कुदुरमाल व कनकी के केंद्र में तो प्लास्टिक की ये बोरियां नजर नहीं आई। दूर-दूर से आने वाले किसानों के लिए जल्दी धान बेचकर गांव लौटने की हड़बड़ी रहती है लेकिन अव्यवस्था के आलम में जब उन्हें खुद ही फटी बोरियां सिलकर धान पलटी करना हो तो भला व्यवस्थागत विडंबना और क्या होगी? जबकि अच्छे बोरे उपलब्ध कराना विभाग की ही जिम्मेदारी है।