कोरबा(खटपट न्यूज़)। कड़कड़ाती ठंड में वृद्धों और गरीबों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का निर्देश कोरबा जिले में हवा हवाई हो गया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि ठंड से किसी की भी मौत ना हो इसके लिए जरूरतमंद खासकर वृद्धों को कंबल बांटे जाएं। फरमान के बाद कलेक्टर, आयुक्त, जिला पंचायत सीईओ,पुलिस अधीक्षक आदि ने बस स्टैंड रेलवे स्टेशन व सार्वजनिक स्थानों पर रात में घूम कर चंद लोगों को कंबल बांटे। इसके बाद कुछ गांवों में जन शिविर लगाए गए जहां आने वाले लोगों में से चंद लोगों को अधिकारियों के हाथ कंबल बंटवाया गया। पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल द्वारा खाकी के रंग कार्यक्रम के तहत हुए आयोजन में भी कुछ लोगों को कंबल बांटा गया।कलेक्टर,जिला पंचायत सीईओ ने हाल ही के दिनों में कोरोना संक्रमण फैलने से पहले जहां-जहां शिविर किया या दौरा किया वहां सरपंच-सचिव को बोलकर कम्बल मंगवाकर चंद लोगों को बुलाकर कंबल देने की औपचारिकता निभाई गई। कुछ समाजसेवी संस्थाओं और दरियादिल लोगों ने भी अपनी क्षमता अनुसार कम्बल बांटे इसके बाद कंबल गर्मी की तरह गायब हो गया।
मकर संक्रांति से पहले बारिश हुई और बाद में ठंड ने अपना रूप दिखाया लेकिन गरीबों को, वृद्धों को, पेंशन प्राप्त करने वाले हितग्राहियों को कंबल नसीब नहीं हुआ। ना अधिकारियों के दौरे हुए और न कंबल बांटे गए। कोरबा जिले में कंबल के नाम पर खेल हो गया है। इस बारे में जब सरपंचों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर कलेक्टर- कलेक्टर के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ- जिला पंचायत सीईओ के निर्देश पर जनपद सीईओ और जनपद सीईओ के निर्देश पर सरपंच को कंबल बांटना है लेकिन किस मद से बांटना है, खरीदने के लिए राशि कहां से आएगी, कैसे आएगी इसका कोई मार्गदर्शन नहीं है।
अब सरपंच कंबल लाए तो कहां से, सचिव बंटवाए तो कैसे? प्रारंभ में थोड़ा दबाव रहा तो सौ-पचास कंबल मुश्किल से बांट दिए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सीधे सरल ग्रामीण वृद्ध आज भी सरकारी राहत का इंतजार कर रहे हैं।ग्रामीण ननकीराम, भागवत, तिलकमोती, हेतराम, बिसाहू, रामगोपाल, कार्तिक कंवर, वीर सिंह, मनमोहन सिंह, रूप सिंह, फुल मत बाई जैसे न जाने कितने गरीब और वृद्ध कंबल की राह ताक रहे हैं।
इनमें तो बिसाहू एक ऐसा शख्स है जिसे कंबल तो क्या पेंशन, राशन कार्ड जैसी कोई सरकारी राहत नहीं मिल रही। फुलमत बाई को 4 महीने से निराश्रित पेंशन नहीं मिली है, कंबल तो दूर की बात। यह उस जिले की जमीनी हकीकत है जो आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल होने के साथ-साथ डीएमएफ का बहुत बड़ा फंड भी रखता है। जहां प्रदेश के राजस्व मंत्री के साथ-साथ राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त विधायक भी हैं।
कोरबा जिले में धन की कमी नहीं है लेकिन धनवान मन की कमी जरूर है।अधिकारियों को निर्देश देने से मतलब है, इसका पालन कराने से कोई ज्यादा वास्ता नहीं रखते। यही वजह है कि ठंड बीतने को है लेकिन कंबल का एक कोना भी वृद्धजनों को नसीब नहीं हो सका है। 10 का 100 बनाने का खेल भले ही कंबल वितरण की आड़ में किया जा रहा है किंतु कंबल की गर्माहट से गरीब नहीं बल्कि चंद अधिकारी, पंचायत/जनप्रतिनिधि गर्म हो रहे हैं। जिले के कोरबा, करतला,कटघोरा,पाली और पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक में यह जमीनी हकीकत है।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)