कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरोना का संक्रमण नए वेरिएंट के साथ शुरू होने के साथ ही कालाबाजारियों ने भी अपनी दुकानदारी शुरू कर दी है। कहने को तो जिला प्रशासन ने जमाखोरों और कालाबाजारियों को सख्त चेतावनी दे दी है लेकिन यह चेतावनी जारी होने से पहले ही अनुभवी थोक व्यापारियों ने माल की शॉर्टेज बताने के साथ-साथ कीमतों में इजाफा कर दिया है। इसका सीधा असर फुटकर विक्रेताओं से लेकर मध्यम व गरीब वर्ग के उपभोक्ताओं पर पड़ने भी लगा है। पिछले लाकडाउन में इन थोक व्यापारियों की तरफ प्रशासन ने झांका तक नहीं था।
बाजार से मिली जानकारी के अनुसार लाकडाउन से पहले ही कोरबा शहर दाल की कीमत प्रति किलो 3 रुपए बढ़ गई है, रिफाइन तेल में 7 रुपए का इजाफा हुआ है। थोक में जो तेल 123 रुपए प्रति लीटर में खरीदकर बेचा जा रहा था वह अब 130 रुपए कर दिया गया है जो बाजार में 135 रुपए में बिक रहा है। आटा की कीमत 10 रुपए प्रति 5 किलो बढ़ा दी गई है।
इसी तरह गुटखा, गुड़ाखू सहित आम दिनचर्या में शामिल तम्बाकू के उत्पाद सामानों की कीमत देखते ही देखते बढ़ा दी गई है। 5 रुपये में मिलने वाला राजश्री गुटखा का पाउच 7 रुपये कर दिया गया है और 20 रुपये में 3 पाउच बेचा जा रहा है। सिगरेट की कीमतों में प्रति पैकेट 10 से 15 रुपये की वृद्धि कर दी गई है। गुड़ाखू का चलन छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा में भी बहुतायत है। अधिकांश लोग इसे मंजन के रूप में दिन भर में कई बार उपयोग करते हैं। इस गुड़ाखू के पैकेट में प्रति पैकेट 100 रुपये सीधे-सीधे बढ़ा दिया गया है। बताया जा रहा है कि खरसिया का गुड़ाखू सप्लाई काफी दिनों से बंद है और बिलासपुर का गुड़ाखू बाजार में खप रहा है। कोरबा के बड़े थोक पान मसाला, गुटखा, गुड़ाखू तम्बाकू के व्यापारियों ने कीमत बढ़ाकर अपना फायदा फिक्स कर लिया है। अब परेशानी उन दुकानदारों की है जो थोक विक्रेता से बड़े दर पर सामान खरीदने और बाजार में अल्प लाभ में बेचने के लिए मजबूर हैं। छोटे-छोटे दुकानदार और ठेला संचालक अपनी ग्राहकी बचाने के चक्कर में भले ही लाभ नहीं कमा रहे हों/कम लाभ कमा रहे हों लेकिन थोक व्यापारी को कोरोना संक्रमण की आड़ में शुद्ध मुनाफा देने के लिए भी विवश हैं। एक बार फिर वही दौर शुरू हो गया है जब 5 रुपये का गुड़ाखू-तम्बाकू 20 रुपये में लेने की मजबूरी बन गई है।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)