कोरबा(खटपट न्यूज़)। जिले के सिविल लाइन क्षेत्र कहे जाने वाले आईटीआई से कलेक्ट्रेट मार्ग पर गुरुवार सुबह करीब 9 बजे एक नजारा पेश आया।आगे-आगे परिवहन विभाग के उड़नदस्ता की सरकारी गाड़ी क्रमांक सीजी 02 जे 8008 और उसके पीछे पीछे कोयला से पूर्णतःभरी एक हाईवा चली आ रही थी। जनपद कार्यालय के सामने आकर हाईवा के पहिए थम गए। कुछ तकनीकी खराबी या कोई और वजह से यह गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाई तो सरकारी वाहन में सवार लोग भी उतर कर हाईवा के पास पहुंचे। आसपास मौजूद लोगों के लिए कौतूहल का विषय रहा कि आखिर इस हाईवा को पकड़ कर क्यों और कहां ले जाया जा रहा है?
यहां मौजूद कुछ लोगों ने इस घटनाक्रम का फोटो और वीडियो बनाया जरूर लेकिन उन्हें भी या जानकारी नहीं दी गई। मौजूद मीडिया कर्मी ने जानना चाहा पर बात को टाल दिया गया। कथित तौर पर यह जरूर कहा जाता रहा कि उक्त वाहन का कई महीने का टैक्स बकाया है तो यह भी कहते रहे कि यह वाहन ओवरलोड पाया गया! इस हाईवा का नंबर सीजी 11 एबी 2508 और कंपनी मेसर्स रॉयल एसोसिएट्स कोरबा है। इस कार्रवाई के संबंध में हकीकत जानने के लिए परिवहन अधिकारी को फोन किया गया तो उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग ने इस तरह कोई कार्रवाई नहीं की है। अक्सर उड़नदस्ता ऐसी कार्रवाई करता है। जब उड़नदस्ता अधिकारी श्री मिंज से उनके मोबाइल नंबर 81037-89793 पर संपर्क किया गया तो कल से लेकर आज तक वे फोन पर उपलब्ध नहीं हो सके। ना तो फोन उठाया और ना ही कॉल बैक कर जानना जरूरी समझा। इस तरह हाईवा की धर पकड़ का रहस्य 36 घंटे बाद भी कायम है।
0 अधिकारियों की बनी हुई है संवादहीनता, जनसंपर्क भी दरकिनार
यहां यह बताना लाजिमी है कि जिले के अनेक विभागों के प्रशासनिक अधिकारी मीडिया के साथ लगातार संवादहीनता बनाए हुए हैं। खबरों के संबंध में उनके द्वारा जानकारी देने से जहां परहेज किया जाता है वहीं फोन उठाने से भी गुरेज करते हैं। सही बात जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा नहीं बताने के कारण भिन्नता के साथ ही कई बार विपरीत हालात भी निर्मित होते हैं जिससे सरकार और प्रशासन की छवि खराब होती है। ऐसे अधिकारी इसके लिए पूरी तरह से जवाबदार हैं। यह गंभीर विषय है कि विभागीय कार्यवाही की जानकारी समान रूप से प्राप्त नहीं होती। किसे बताना है और कितना-कितना बताना है, यह इनकी इच्छा पर निर्भर रहता है । खाद्य विभाग, औषधि प्रशासन विभाग, आबकारी विभाग, पीडब्ल्यूडी, परिवहन उड़नदस्ता, वन मंडल कोरबा और कटघोरा आदि विभागों के अधिकारियों के साथ यह शिकायत है। इनके द्वारा खुद ही लिखो-खुद ही पढो की तर्ज पर कार्य किया जा रहा है। पूर्व के वर्षों में जब संचार साधन इतने विकसित नहीं थे तब किसी भी विभाग के द्वारा की जाने वाली कार्यवाही से लेकर आयोजन-प्रयोजन की सूचनाएं विधिवत तौर पर जनसंपर्क विभाग को दी जाती रही और जनसंपर्क विभाग से सभी मीडिया को एक समान सूचनाएं आती थीं। अब जबकि संचार के साधन विकसित हो गए हैं तब भी अनेक विभागों के अधिकारी जनसंपर्क से दूरियां बनाकर अपने ही कवायद में लगे रहते हैं। प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों को चाहिए कि वे संवादहीनता को दूर करने के साथ जनसंपर्क के जरिए विभागों की कार्यवाही से लेकर आयोजनों की जानकारी मुहैया कराने की सुचारु व्यवस्था करें।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)