रायपुर(खटपट न्यूज़)। प्रदेश में गो धन का तरह-तरह से उपयोग कर आय के साधन विकसित किये जा रहे हैं। गोबर से निर्मित दीये, भगवान की गोबर निर्मित मूर्तियां आकर्षण का केंद रहे वहीं इन दिनों गोबर से बनी चप्पल खास चर्चा में है। वजह है इसका स्वास्थ लाभ। गोबर से बनी चप्पल पहनने से बीपी और शुगर कंट्रोल करने में सकारात्मक लाभ मिल रहा है। गोबर से बने इन विशेष चप्पलों को गोठानों में तैयार किया जा रहा है। इस चप्पल की कीमत 400 रूपए है और अभी तक लगभग एक दर्जन चप्पल बिक चुकी है और 1000 चप्पलों का ऑर्डर मिल चुका है। रोजगार के साथ-साथ इनोवेशन के इस तरह की खबरों ने गोठान योजना को नई दिशा दी है। राजधानी में गोबर से बनी चप्पल लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। गोकुल नगर निवासी रितेश अग्रवाल प्लास्टिक या रबर की जगह गोबर से चप्पल बनाने का काम कर रहे हैं। रितेश अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार गौठान बनाकर सड़को पर लावारिस घूमने वाले गौवंश को संरक्षित कर रही है। साथ ही अब वैदिक पद्धति से गोबर से चप्पल बनाकर वो गोठान के लक्ष्य को एक नया रूप दे रहे हैं। गोहार गम, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, चूना और गोबर पाउडर को मिक्स करके चप्पल बनाई जा रहा है।
पुरानी पद्धति से गोबर की चप्पल बना रहे हैं। गोबर के दीए हों या गोबर की ईंट या फिर भगवान की प्रतिमा इन सब काम से गौशाला में गौवंश के देखरेख के लिए 15 लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहां महिलाएं 1 किलो गोबर से 10 चप्पलें बनाती हैं। गोबर से बनी चप्पल को घर, बाहर या ऑफिस कहीं भी पहनकर जाया जा सकता है। ये चप्पल 3 से 4 घंटे भीगने पर भी खराब नहीं होती है यदि कुछ भीग जाए तो धूप दिखाने के बाद वापस से पहनने लायक हो जाती है।