कोरबा(खटपट न्यूज़)। पाली विकासखंड के अंतर्गत आने वाले हरदीबाजार से लगे ग्राम पंचायत रामपुर में एक-एक कर 8 गोवंश की मौत का मामला भले ही प्रशासनिक जांच में सुलझने का दावा कर दिया गया हो लेकिन इसकी सच्चाई से पंचायत के सरपंच-सचिव और वे ग्रामीण वाकिफ हैं जो पूरे लीपापोती में शामिल हैं। क्या मरने वाली सभी गायों का उम्रदराज होना उनके लिए गुनाह जो गया?
दरअसल फसलों की रक्षा के लिए आषाढ़ के महीने से आवारा घुमंतू गौवंश मवेशियों को बाजार से लगे कांजी हाउस में रखे जाने हेतु तीन-चार कर्मियों को नियुक्त किया गया है। इन कर्मियों के द्वारा यहां रखे जा रहे मवेशियों में से 8 गोवंश की पिछले कुछ दिनों में मौत हो गई। जब इस मामले की रिपोर्टिंग कराई गई तो स्पष्ट हुआ कि कांजी हाउस में चारा-पानी की पूरी कमी है। यहां रखे जाने वाले मवेशियों को चारा की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध नहीं होने के साथ ही पानी की व्यवस्था नहीं है।
यह खबर खटपट न्यूज़ में प्रसारित होने के बाद रातों-रात व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया गया और दूसरे दिन जब यहां प्रशासनिक टीम जांच के लिए पहुंची तो उन्हें सब कुछ ओके मिला। प्रशासन की अपनी जांच-पड़ताल का अलग तरीका और नजरिया है किंतु वास्तविकता इससे पृथक है। स्थानीय ग्रामीणों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि स्थानीय कुछ जनप्रतिनिधियों के दबाव में आकर उनके द्वारा मुंह खोलने से परहेज किया गया लेकिन यह सच है कि कांजी हाउस में मवेशियों के लिए चारा-पानी की व्यवस्था नहीं है। इसकी हकीकत वह पानी की टंकी भी बयां करती है जो कांजी हाउस के दरवाजे के निकट बनी हुई है। 2 दिन पहले पूरे घटनाक्रम की रिपोर्टिंग के दौरान पानी की टंकी पूरी तरह से सूखी नजर आई जिसमें एक बूंद पानी नजर नहीं आया बल्कि जमे हुए कचड़े की पपडियां झलक रही थीं।
इसी तरह कांजी हाउस के निकट ही एक पुराना डबरा भी है जो थोड़े से पानी में कीचड़ युक्त है और जमीन की सतह जगह-जगह से फट चुकी है। इसके बगल से मवेशी भी गुजरते हैं किन्तु पानी नसीब नहीं होता। कांजी हाउस के आसपास पानी भरने का कोई साधन नजर नहीं आया। हालांकि आज गांव पहुंचे हमारे प्रतिनधि को सरपंच-सचिव ने कांजी हाउस में किनारे में पड़ा थोड़ा सा पैरा दिखाया और बताया कि बाहर की टंकी में पानी नही रुकता। भीतर एक गड्ढे में पानी दिखाया जो पास के स्कूल से पाइप खींचकर कल ही ताजा-ताजा भरा प्रतीत हुआ। बताया कि कल यहां के अन्य मवेशियों को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया है। अब सवाल तो कायम है कि जब कांजी हाउस में चारा-पानी दे रहे थे तो मवेशियों को शिफ्ट करने/कराने की क्या जरूरत पड़ गयी?
यहां तक कि ग्राम पंचायत रामपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी गौठान योजना का क्रियान्वयन भी भगवान भरोसे है। यहां का गौठान अपने उजाड़पन की कहानी बताने के लिए पर्याप्त है। ना कोई सुविधा ना कोई व्यवस्था, बस एक गौठान का ढांचा खड़ा कर दिया गया है। सरपंच और सचिव गोवंश की मौत के मामले में अपनी गर्दन बचाने के लिए तथा स्थानीय कुछ जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी पूरे मामले को गलत करार देने के लिए अपने मंसूबे में कामयाब तो हो गए हैं लेकिन हकीकत से उनकी अंतरात्मा भी वाकिफ है।
गोवंश की मौत पर लीपापोती का यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि इसके पहले भी पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाक के ग्राम कोरबी में कथित तौर पर टीका लगने के बाद 3 दर्जन से अधिक मवेशियों की मौत का मामला भी प्रशासनिक जांच टीम की लीपापोती की भेंट चढ़ गया। गोवंश की मौत के 1 सप्ताह बाद एक पशुपालक के तालाब में मछलियों के मरने की हुई घटना से जोड़कर जहरीला पानी पीने से मौत होना बताकर फाइल बंद कर दी गई है। पीड़ित किसानों/पशुपालकों को आज तक मुआवजा नहीं मिला और घटना के रुख को ही बदल कर रख दिया गया। जिले के कुछ अधिकारी घटनाओं और मामलों को बड़े ही सधे तरीके से दूसरा रूप देने में माहिर हैं और यही वजह है कि पीड़ितों को न तो न्याय मिल पाता है और ना ही उन्हें होने वाली क्षति का भुगतान।
इसमें कोई संदेह नहीं कि जो पशुपालक मतलब निकल जाने के बाद मवेशियों को भगवान भरोसे यूं ही खुला छोड़ देते हैं, उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। किंतु पशुपालन विभाग इससे नजरें फेरे हुए है। प्रशासनिक तौर पर ऐसे पशुपालकों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि इस तरह की कोई घटना की पुनरावृत्ति ना हो और जांच के लिए लीपा पोती करने की जरूरत ना पड़े।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)