कोरबा-कटघोरा(खटपट न्यूज़)। बीते साल कटघोरा वन मंडल में एक हाथी की मौत पर डीएफओ संत हटाये गए थे, उनकी जगह आईं शमा फारूकी के डीएफओ रहते हाथी के 2 बच्चों की मौत हुई, तेंदुआ का शव मिला लेकिन छूट पर छूट मिल रही है। इधर सूरजपुर जिले में करीब 12 दिन पहले हुई हाथी की मौत पर वन मंत्री ने फिर बड़ी कार्रवाई करते हुए डीएफओ, एसडीओ और रेंजर को हटा दिया है। रेंज के वनपाल और वनरक्षक को निलंबित कर दिया है। ऐसे में प्रदेश के वन अधिकारियों में यह चर्चा सरगर्म है कि हाथी की मौत पर कार्यवाही में भेदभाव क्यों बरती जा रही है? क्या मंत्री का वरदहस्त होना किसी बेजुबान की मौत पर की जा रही कार्यवाही से ज्यादा मायने रखती है? क्या शमा फारुखी के लिए नियम-कायदे बदल जाते हैं? वन मंत्री अकबर को डीएफओ शमा फारूकी के अनुभवहीन व लापरवाह प्रबंधन पर कोई ऐतराज नहीं दिखता।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के दरहोरा गांव में 11 जून 2021को दंतैल हाथी का शव मिला था। उसके दांत गायब थे लेकिन वन महकमे को कई दिन तक भनक न लगी। अब हाथी की मौत पर वन मंत्री मो. अकबर की नाराजगी के बाद विभाग ने लारवाह सूरजुपर डीएफओ डीपी साहू को हटा कर रायपुर मुख्यालय तो एसडीओ बीके लकड़ा और रेंजर प्रेम चंद्र मिश्रा को सीसीएफ ऑफिस अटैच किया गया है। वनपाल विजय कुमार कुजूर और वनरक्षक मानसिंह को निलंबित कर दिया गया है। हाथी की मौत मामले में जांच के बाद इन सभी को आरोपी माना गया है। वन मंत्री की नाराजगी के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने यह कार्यवाही की है।
निःसंदेह लापरवाही पर कार्यवाही उचित है लेकिन जब बात कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल की करें तो यहां की डीएफओ शमा फारुखी पर आकर नियम-कायदे, नाराजगी, सख्ती, विभागीय कार्यवाही थम जाते हैं, सिर्फ इसलिए कि वे वनमंत्री की वरदहस्त हैं। एसडीओ(वन)रहते हुए कटघोरा वन मण्डल की प्रभारी डीएफओ बनाकर इन्हें पदस्थ किया गया। यहीं रहते हुए इन्हें डीएफओ अवार्ड(उपकृत) किया गया। प्रदेश के बड़े वनमण्डल में शामिल कटघोरा व वनमण्डल का प्रभार दे तो दिया गया पर अनुभव तो एसडीओ का था। डीएफओ शमा के अनुभवहीन और लापरवाहीपूर्ण प्रबंधन के कारण साल 2020 में इनके कार्यकाल में हाथी के 2 बच्चों की मौत और तेंदुआ का पंजा कटा शव मिलने पर अभयदान दिया गया। एक हाथी की मौत पर कई अधिकारी निपटा दिए जा रहे हैं पर यहां तो किसी की दाल नहीं गलती। शीर्ष वन अधिकारी भी अपने पदीय दायित्व को भूल जाते हैं कटघोरा के वर्तमान हालातों में। बड़े मामलों में भी किसी भी तरह की कार्यवाही डीएफओ पर आज तक नहीं की गई। सिलसिला यहीं नहीं थमा बल्कि इन्हीं के कार्यकाल में बांकीमोंगरा के हर्राभाठा बीट के बांस बाड़ी से 500 से अधिक हरे-भरे बांस की कटाई प्रतिबंधित अवधि में रेंजर, डिप्टी रेंजर, वन रक्षक की मौजूदगी में कराई गई। मामला राजधानी तक गूंजा और बीट गार्ड शेखर सिंह रात्रे ने अपने अधिकारियों पर की लेकिन शीर्ष अधिकारी मौन रहे। वन क्षेत्र में करोड़ों रुपये के आधे-अधूरे, गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की गूंज कटघोरा वनमंडल में सुनाई पड़ रही है, लेकिन ऊर्जाधानी से लेकर राजधानी तक खामोशी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
00 सत्या पाल 00 (7999281136)