0 संगठन की कार्यप्रणाली पर कार्यकर्ता ही उठा रहे सवाल,
कोरबा(खटपट न्यूज़)। जहां एक ओर भाजपा महिलाओं की अस्मिता, सुरक्षा, स्वाभिमान और सशक्तिकरण की बात करती है तो दूसरी ओर चाल-चरित्र- चेहरा को महत्व देने वाली इस पार्टी के अनुषांगिक संगठन युवा मोर्चा ने महिला प्रताड़ना के आरोपियों को पद से नवाजा है। इनको पद देने से पहले चरित्र का सत्यापन नहीं किया गया।
भाजयुमो की घोषित जिला कार्यकारिणी में कुसमुंडा के दिलीप दास को विशेष आमन्त्रित सदस्य मनोनीत किया गया है। दिलीप दास वह है जिसके विरुध्द भाजपा की नेत्री ने छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया है। विकासनगर कुसमुंडा में रहने वाली बांकी मंडल की नेत्री के साथ जून 2017 में दिलीप ने जबरजस्ती की थी। कुसमुंडा थाना में धारा 354 की रिपोर्ट दर्ज है। एक अन्य युवती के साथ भी यह लीव इन रिलेशन में रहा फिर धोखा दिया तो की गई शिकायत को समझौते से खत्म करा लिया। अब ऐसे लोगों को पद देकर जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो तो विरोध लाजिमी है। हालांकि इस मामले में दिलीप दास का कहना है कि उसके खिलाफ दर्ज अपराध को पुलिस ने खात्मा में डाल दिया है और वह वर्तमान में किसी मामले में आरोपी नहीं है और बेदाग है।
इसी तरह युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष बनाये गए दिव्यांश अग्निहोत्री की पत्नी निधि ने शनिवार को भाजपा कार्यालय पहुँचकर कोरबा प्रवास पर आईं राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पांडेय के समक्ष रोते हुए अपनी व्यथा बताई। दिव्यांश अग्निहोत्री पर आरोप है कि वह अपनी पत्नी को छोड़ दूसरे की पत्नी को रखे हुए है। उसके खिलाफ माह अगस्त 2020 में पत्नी द्वारा लिखाई गई रिपोर्ट पर रामपुर चौकी में धारा 498अ, 323, 506 भादवि के तहत अपराध दर्ज है। ऐसे व्यक्ति को भाजपा ने युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। पीड़िता ने सरोज पांडे से न्याय करने की गुहार लगाई। दिव्यांश अग्निहोत्री को युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष के पद से हटाने की मांग की है। अग्निहोत्री ने जिस दूसरी महिला को अपने घर में रखा है, उसके पति ने भी अपनी व्यथा सुनाई है। बताया जाता है कि सुश्री सरोज पांडे ने मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही का आश्वासन पीड़ित महिला एवं दूसरी महिला के पति को दिया है।
अब देखना है कि पद देने में जमीनी कार्यकर्ताओं से लेकर अनेक क्षेत्रों से कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप झेल रही युवा मोर्चा चरित्र के दागी इन दोनों युवाओं को हटाकर अपना बोझ कुछ हल्का करती भी है या फिर पदाधिकारी अपनी किरकिरी करते रहेंगे। इसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं क्योंकि काफी कुछ सतह पर नहीं दिखता पर भीतर दबी कसक मौका देखकर निकलती है।