0 राजस्व अमला सही, पुलिस की कार्यवाही अनुचित तो क्या जमीन मालिक गलत…?
कोरबा (खटपट न्यूज)। पावर हाऊस रोड स्थित एक निजी जमीन के गायब होने और उसकी तलाश में लगे भू-स्वामी द्वारा की गई शिकायतों व प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर चल रही पुलिस जांच और पूछताछ को अनुचित एवं बेवजह परेशान करने वाला बताया जा रहा है। राजस्व अमले ने विभागीय जांच में खुद को सही होना साबित किया है वहीं पुलिस की कार्यवाही को अनुचित ठहरा रहे हैं तो क्या जो भूस्वामी अपनी जमीन को खोज रहा है, वह गलत है? भू स्वामी को कहना पड़ रहा है कि हे भगवान ! क्या जमीन खरीद कर हमने बड़ी गलती कर दी?
कोरबा जिले में जमीन के हेर-फेर, स्थान व स्वरूप का परिवर्तन कर फर्जीवाड़ा के कई मामले सामने आते रहे हैं। जमीनों के दस्तावेजों में कूटरचना, छेड़छाड़ करना आम बात हो चली है। यह कैसे कर दिया जाता है, इसका जवाब तो सिर्फ और सिर्फ राजस्व अमला और अधिकारियों के पास ही होता है लेकिन जब कोई मामला उजागर हो तो उसके जांच में अपेक्षित सहयोग करने की बजाय खुद को ही सही साबित करने की कोशिशें शुरू कर दी जाती हंै। ऐसे में यह सवाल भी जायज है कि क्या जमीन खरीदने वाला राजस्व अमले की गलतियों का, जानबूझकर किए गए फर्जीवाड़े का अथवा विभागीय दफ्तर में दखल देकर की गई छेड़छाड़ का खामियाजा भुगतने के लिए ही है?
कुछ इसी तरह के हालातों से दीपका के ऊर्जानगर कालोनी निवासी श्रीमती अरूणिमा सिंह पिता स्व. रामगुलाम दुबे 45 वर्ष जूझ रही है। वर्ष 1991 में खरीदी गई खसरा नंबर 663/3 की रकबा 0.0380 हेक्टेयर जमीन चौहद्दी के अनुसार भी अब नहीं मिल रही है। वर्ष 2017 से गायब हुई अपनी इस जमीन को पुत्र अंकित सिंह के साथ मिलकर तलाश रही हंै। 2017 में यह भूमि कृष्णा बिल्डकॉन प्रा.लि. द्वारा निर्मित पॉम माल के भूमि क्षेत्र के अंदर दशाई गई वहीं 2018 में भुईया एप से जानकारी लेने पर भू-स्वामी के नाम में छेड़छाड़ कर श्रीमती रू पिता रा दर्शाया मिला। नक्शा निकलवाने पर जमीन पूरी तरह गायब मिली। वर्ष 2019-20 में यह जमीन पुन: अरूणिमा सिंह के नाम पर दिखी किंतु चौहद्दी परिवर्तित मिला और नक्शे में भी अंतर साफ दिखा और यह जमीन पॉम माल की हद से बाहर व सड़क से दूर हो चुकी थी। जमीन के खसरा नंबर और नक्शा में छेड़छाड़ के मामले में अरूणिमा सिंह की रिपोर्ट पर अज्ञात आरोपी के विरूद्ध 22 दिसंबर 2020 को कोतवाली में धारा 420, 465, 467, 468 व 471 भादवि के तहत जुर्म दर्ज कर विवेचना की जा रही है। जांच के सिलसिले में राजस्व विभाग से अपेक्षित बिन्दुओं पर तथ्यात्मक जानकारी नहीं मिल पा रही है जो स्वमेव तत्कालीन राजस्व अधिकारियों को संदेह के कटघरे में खड़ा करता है।
इधर जब जांच के सिलसिले में पुलिस ने तत्कालीन पटवारी रहे वर्तमान राजस्व निरीक्षक चक्रधर सिंह सिदार से पूछताछ का सहयोग चाहा तो छत्तीसगढ़ राजस्व निरीक्षक संघ ने बिना विभागीय जांच के एफआईआर दर्ज करने की शिकायत शासन व प्रशासन स्तर पर दी। आरआई के बचाव में उतरे संघ का कहना है कि तत्कालीन पटवारी चक्रधर सिंह सिदार के विरूद्ध विभागीय अधिकारी राजस्व, कोरबा द्वारा 15 मार्च 2021 को प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में हल्का पटवारी अथवा किसी अन्य राजस्व अमले के द्वारा किसी भी प्रकार से राजस्व अभिलेखों में किसी भी तरह की कूटरचना किया जाना नहीं पाया गया है। फिर भी पुलिस-प्रशासन द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है। थाना श्यांग में पटवारी मंजीत लकड़ा, भूपेन्द्र मरकाम, विनोद कंवर के प्रार्थी होने पर भी बेवजह परेशान कर रहे हैं जिनकी विभागीय जांच लंबित है। थाना उरगा में पटवारी सूरज निराला के विरूद्ध झूठी शिकायत कर पुलिस द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है।
अब इस तरह जब राजस्व अमला खुद को सही बता रहा है और पुलिस की कार्यवाही को अनुचित ठहराने पर जोर दे रहा है तो क्या जमीन मालिक की ही गलती है, जो वह अपनी जमीन की तलाश में चक्कर पर चक्कर काट रहा है।
0 निजी भू-स्वामियों व शासन को लेना होगा सबक
राजस्व विभाग की शासकीय वेबसाइट भुईया के आईडी, पासवर्ड में छेड़छाड़ कर बड़े झाड़ का जंगल, घास मद की शासकीय भूमि को कूटरचना कर व विभिन्न खसरा नंबर से छेड़छाड़ कर निजी दर्शाकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे रजिस्ट्री कर देने के मामले भी सामने आए हैं। जबकि भुईया साफ्टवेयर में लॉग इन के लिए आईडी, पासवर्ड संबंधित हल्का पटवारी व राजस्व अधिकारियों की जिम्मेदारी में होता है और रजिस्ट्री के लिए उप पंजीयक कार्यालय में प्रस्तुत दस्तावेजों को पटवारी व आरआई ही सत्यापित करते हैं तो भला फर्जीवाड़ा की जवाबदेही किसकी होगी? जिस तरह से कोरबा शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचलों की जमीनों में हेरफेर हो रही है, सरकारी को निजी जमीन बताकर कब्जाया जा रहा है और अनेक निजी जमीनों को हेरफेर कर सांठ-गांठ पूर्वक दूसरों को लाभ पहुंचाने की कवायदें हो रही हैं, ऐसे में यह बहुत ही जरूरी हो गया है कि निजी भू-स्वामी व खुद सरकार भी अपनी जमीनों को तलाश कर, सीमांकन कराकर सुरक्षित कर लें। कहीं ऐसा न हो कि आने वाले समय में वे कागजात लेकर दर-दर की ठोकरें खाते फिरें।