
बिलासपुर (खटपट न्यूज)। छत्तीसगढ़ केडिया सभा ने शुक्रवार को तिफरा स्थित झूलेलाल मंगलम में समाज के वरिष्ठजनों का सम्मान व मंगलपाठ का आयोजन कराया। दोपहर से शुरू हुए इस कार्यक्रम का समापन देर रात महासाद वितरण के साथ हुआ। मंगलपाठ कराने रांची से आईं वाचिका मधु केडिया और उनकी टीम ने अपने भजनों से सभी का मन मोह लिया। इसमें उन्होंने दादी जी के बताए गए मार्गों पर चलने की बात कही। वहीं नृत्य नाटिका से लोगों की मदद करने और समाज में एकजुटता बनाए रखने प्रेरित किया गया।

सभा के प्रदेश अध्यक्ष नवल केडिया ने बताया कि मुख्य अतिथि अग्रवाल सभा के अध्यक्ष रामअवतार अग्रवाल रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में केड नसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद केडिया दिल्ली से, सह कोषाध्यक्ष राजकुमार केडिया जयपुर व निताय सोनी शामिल हुए। महामंत्री प्रतीक केडिया ने बताया कि मंगलपाठ करीब 2 बजे से शुरू हुआ। इसमें करीब 5 घंटे तक रांची से आई मधु केडिया ने मंगलपाठ व भजनों की प्रस्तुति दी। इस दौरान जीवंत झांकी भी सजाई गई थी। इसके जरिए दादी की जीवनी बताने की कोशिश की गई। साथ ही वर्तमान समय में परंपराओं व अपनी संस्कृति को अपनाने पर भी जोर दिया गया। इस दौरान केडिया सभा के संरक्षक बजरंग केडिया, हरिश केडिया, कोषाध्यक्ष अमित केडिया, – श्रीनिवास केडिया, जगदीश राय केडिया, विनोद मित्तल सहित अन्य मौजूद रहे।
दादी की जीवनी पर प्रस्तुति देने कोलकाता से पहुंची थी टीम
मंगल पाठ की शुरुआत गणेश वंदना विनायक राजा राखो सभा में म्हारो मान से हुई। इस दौरान श्री केड सती दादी की जीवनी पर आधारित नाटिका का प्रदर्शन किया गया। इसके लिए कोलकाता से विशेष टीम पहुंची थी। प्रतीक केडिया ने बताया कि कार्यक्रम की तैयारियां करीब 15 दिन से चल रही थी। माता का भव्य दरबार और डेकोरेशन के लिए बाहर से कारीगर बुलाए गए थे। भजनोत्सव का कार्यक्रम रात करीब 8 बजे तक चला। इसके बाद महाआरती हुई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। अंत में महाप्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया।
समाज के 45 वरिष्ठजन का हुआ सम्मान
मंगलपाठ से पहले समाज के वरिष्ठजन के सम्मान के लिए समारोह हुआ। इसमें 70 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों का सम्मान किया गया। इस दौरान करीब 45 वरिष्ठनों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान महिला कार्यकारिणी ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। इसमें मुख्य रूप से पावल केडिया, अनुराधा केडिया, कांता केडिया, अनिता, दिशा, एकता, स्वीटी, रसना, उमा सहित अन्य का योगदान रहा।
राधा-कृष्ण ने खेली फूलों की होली, दादी का सिंदूर से अभिषेक
मंगलपाठ के दौरान दादी जी का गरबा उत्सव, गजरा उत्सव, गणगौर उत्सव, हल्दी उत्सव, चुनरी उत्सव जैसे कई कार्यक्रम हुए। इसमें राधा-कृष्ण के रूप में जीवंत झांकी के साथ फूलों की होली खेली गई। साथ ही दादी जी का महिला श्रद्धालुओं ने सिंदूर से अभिषेक किया। इसमें बताया गया कि दादी कैसे सती बनीं। इस दौरान नई पीढ़ी को केड़ नाम के उत्पत्ति के बारे में बताया गया। केड़ राजस्थान के झुनझुनु के पास ही एक छोटा से गांव है। यहां दादा मुंडल रहते थे। उनकी धर्मपत्नी होने के कारण दादी का नाम केड़ पड़ा और वे दादा के साथ ही सती हो गई थीं। यही वजह है कि केडिया या गर्ग गोत्र के लोगों को उन्नका वंशज माना जाता है।















