नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हेट स्पीच के मामलों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल एक्शन लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण देता है तो सरकारें बिना किसी शिकायत के एफआईआर दर्ज करें। हेट स्पीच से जुड़े मामलों में केस दर्ज करने में देरी होने पर इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 12 मई को होगी।
कोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों में कार्रवाई करते हुए बयान देने वाले के धर्म की परवाह नहीं करनी चाहिए। इसी तरह धर्मनिरपेक्ष देश की अवधारणा को जिंदा रखा जा सकता है। कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश का दायरा बढ़ाते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिए हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ यूपी, दिल्ली और उत्तराखंड सरकार को ये आदेश दिया था।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है। न्यायाधीश गैर-राजनीतिक हैं और उन्हें पार्टी ए या पार्टी बी से कोई सरोकार नहीं है और उनके दिमाग में केवल भारत का संविधान है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों से दाखिल हेट स्पीच से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
बता दें कि पहले पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर नफरत फैलाने वाले बयान देने वालों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने 21 अक्टूबर 2022 को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को ऐसे मामलों में बिना शिकायत के केस दर्ज करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आज अपने आदेश का दायरा बढ़ा दिया है।
0 धर्म के साथ राजनीति लोकतंत्र के लिए खतरा
इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा था कि ‘हर रोज टीवी और सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए जा रहे हैं। क्या ऐसे लोग खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते?
जिस दिन राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे, नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे, उसी दिन नफरत फैलाने वाले भाषण भी बंद हो जाएंगे। हम अपने हालिया फैसलों में भी कह चुके हैं कि पॉलिटिक्स को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।’
0 टीवी चैनलों को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच से भरे टॉक शो और रिपोर्ट टेलीकास्ट करने पर टीवी चैनलों को जमकर फटकार लगाई है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने महीने भर पहले हुई सुनवाई में कहा कि यह एंकर की जिम्मेदारी है कि वह किसी को नफरत भरी भाषा बोलने से रोके। बेंच ने पूछा कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है