कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा सिटी कोतवाली के अंतर्गत सीतामढ़ी मार्ग में शुक्रवार की रात रेत को लेकर एक बार फिर हंगामा मच गया।
पिछले दिनों रेत/मिट्टी परिवहन में लगे ट्रैक्टर से दबकर सीतामढ़ी में श्रीराम जानकी मंदिर के निकट निवासरत दादा और पोते की दर्दनाक मौत से उद्वेलित लोगों ने चक्का जाम कर सीतामढ़ी मोतीसागरपारा के घाट व आसपास के दूसरे क्षेत्र से रेत का अवैध खनन व परिवहन के मामले में रोक लगवाई। जिला प्रशासन के साथ समझौता हुआ, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि रेत का अवैध खनन और परिवहन नहीं होने दिया जाएगा। सीतामढ़ी स्थित चौकी पोस्ट में पुलिस कर्मियों की पदस्थापना की जाएगी। सीतामढ़ी रेत घाट के प्रवेश द्वार पर खनिज विभाग द्वारा गड्ढा खोदने के साथ ही बेरियर लगाकर उसे बंद कर दिया गया लेकिन रेत चोरों के लिए दूसरे रास्ते भी खुले हुए हैं। इन्हीं रास्तों से रेत की चोरी बदस्तूर जारी है।
शुक्रवार की रात 11 बजे स्थानीय लोगों ने रेत से भरे दो ट्रैक्टरों को पकड़ा। इन ट्रैक्टरों में नंबर भी नहीं लिखे हुए थे। बता दें कि जिस दिन दादा और पोते की मौत हुई उसके दो-चार दिन तक रेत का अवैध परिवहन बंद रहा लेकिन सुबह और दोपहर को छोड़कर रात के वक्त धड़धड़ाते हुए ट्रैक्टरों का आना-जाना फिर से होने लगा। कल रात बस्ती वालों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने दो ट्रैक्टरों को रोका। सीतामढ़ी चौक पर एक बार फिर स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए। सूचना पुलिस को दी गई। रात में कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों ट्रैक्टरों को रेत सहित थाना ले जाया गया,तब जाकर लोग शांत हुए। इनका कहना है कि जब कलेक्टर के निर्देश पर रेत का अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगा दी गई है तो आखिर पुलिस कार्यवाही क्यों नहीं करती? ऐसे ट्रैक्टर थाना-चौकी के सामने से होकर गुजरते हैं लेकिन उन्हें क्यों नहीं रोका जाता? रात के वक्त रेत का परिवहन किसके इशारे पर,किसके द्वारा किसके लिए, क्यों और कैसे कराया जा रहा है?इसकी जांच होकर कठोर कार्रवाई होना चाहिए। इस पूरे मामले में खनिज विभाग की भूमिका भी इसलिए संदिग्ध है क्योंकि वह अपने रेत घाटों की सुरक्षा के लिए, खनिज संसाधनों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय नहीं कर रही। उसके द्वारा खनिज संसाधनों की चोरियों के मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जाती। न सिर्फ रेत बल्कि मिट्टी और मुरूम की भी बड़े पैमाने पर जिले में चोरी, अवैध खनन और परिवहन लगातार हो रहे हैं और खनिज अमला मूकदर्शक बना हुआ है। इससे सरकार को लाखों रुपए की राजस्व हानि हो रही है, साथ ही प्रशासन की किरकिरी भी हो रही है।