Tuesday, December 24, 2024
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KORBA:सीतामढ़ी का रेत घाट,अवैध कोल साइडिंग चालू..! सीएम का निर्देश रद्दी में,माइनिंग का गड्ढा गायब,प्रशासन जेब में

0 सरगबुंदिया के अवैध कोल साइडिंग पर भी संज्ञान नहीं
0 खनिज अमला नतमस्तक या किसी के दबाव में..? नहीं रोक पा रहा खनिज चोरी

कोरबा(खटपट न्यूज़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्पष्ट निर्देश और पूरा का पूरा माइनिंग अमला बदल देने के बाद भी जिले में खनिजों की चोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। खनिज विभाग के अधिकारी और मैदानी अमला चोरी रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। दो -चार बार कुछ एक मामले पकड़ कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर लेने और शासन-प्रशासन को अच्छे कार्य की रिपोर्टिंग भेज देने के बाद अमला खामोश बैठ जाता है लेकिन इसके पहले और बाद में सरकार को लंबा- चौड़ा राजस्व नुकसान बेधड़क होकर पहुंचाया जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट तौर खनिजों की चोरी रोकने, इनके अवैध दोहन और परिवहन पर लगाम लगाने के निर्देश दिए हैं। कोरबा जिले में यह निर्देश या तो रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है या फिर अमला जानबूझकर और मानवीय संसाधनों की कमी होने का हवाला देकर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ना चाह रहा है।
सिटी कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सीतामढ़ी रेत घाट को संचालन की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है, यहां खनिज विभाग के अधिकारियों ने खनिज जांच नाका पर पूरी तरह से सील करने की कार्यवाही और रास्ते को पूर्ण रूप से बाधित करने के लिए जिम्मेदाराना कदम उठाने की बजाय दो बार गड्ढे खुदवा कर कर्तव्य निभा दिया। इन्हें लग रहा है कि गड्ढे खुदवा देने से रेत के चोर दरियादिली दिखाएंगे लेकिन गड्ढों को भरकर रेत की बेधड़क चोरी हसदेव नदी से हो रही है। बंद पड़े और अनुमतिविहीन घाट से रेत का निकाला जाना ही अपराध है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर सुरक्षा और चोरी रोकने के लिए जिम्मेदार लोगों का रवैया इसके प्रति उदासीन बना हुआ है। माइनिंग विभाग इसके लिए पुलिस की मदद नहीं ले रहा और पुलिस ने रेत की धरपकड़ के कार्य को अपना नहीं होना कहा है।
इसी तरह उरगा थाना क्षेत्र के ग्राम सरगबुंदिया में कोयले का अवैध कारोबार डंके की चोट पर किया जा रहा है। कोल एडजस्टमेंट की आड़ में ओव्हरलोड मालगाड़ियों का कोयला खाली करवा कर इसे रोड सेल के वाहनों के जरिए भेजा जा रहा है। रेलवे के अधिकारियों ने यह साइडिंग अपना नहीं होना बताया है। पूर्व में यहां कोल साइडिंग खुली जरूर थी लेकिन विरोध के चलते इसे बंद करना पड़ा। अब यहां अवैधानिक कोल साइडिंग चल रही है। एक ओर जबकि कोयला के मामले में चारों ओर का माहौल गर्म है तो वहीं यह रहस्यमय है कि इस अवैधानिक कोल साइडिंग पर न तो प्रशासन की नजर पड़ रही है और न ही खनिज विभाग व एसईसीएल के अधिकारी भी कोयला के प्रति गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।

बार-बार नाम आने के बाद भी रेलवे प्रबंधन संज्ञान नहीं ले रहा है।
कोयला के इस अवैध साइडिंग पर पुलिस-प्रशासन, खनिज विभाग का कोई जांच/छापा भी अब तक नहीं पड़ा है जबकि हाल ही में इनके लगभग डेढ़ दर्जन वाहनों को स्थानीय ग्रामीणों ने बीच सड़क पर रुकवाया और इसकी सूचना प्रशासन को दी गई। मजाल है जो, एक भी अधिकारी अथवा कर्मचारी मौके पर पहुंचा हो। बताए अनुसार अवैध कोल साइडिंग का संचालन कर रहे लोगों का मनोबल शासन-प्रशासन के निर्देशों से भी ऊंचा उठ गया है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि रेत चोरी और अवैध कोल साइडिंग का संचालन कर रहे लोग प्रशासन और शासन के निर्देश को अपनी जेब में लेकर घूम रहे हैं। विभागीय और विश्वस्त स्थानीय सूत्रों की मानें तो दो प्रमुख विभाग में प्रति ट्रैक्टर 5-5 हजार रुपये प्रतिदिन की डील पर चोरी और परिवहन का काम धड़ल्ले से हो रहा है। हालांकि यह मामले पहले भी संज्ञान में लाए जा चुके हैं लेकिन कार्यवाही करना तो प्रशासन के हाथ में है और जब वही कार्यवाही करना नहीं चाहता तो ऐसे में शासन की छवि आम जनता के बीच धूमिल होना लाजमी है। कुछ गैर जिम्मेदार अधिकारी और अधीनस्थ कर्मचारी ही सरकार को पलीता लगाने पर तुले हुए हैं अन्यथा मुख्यमंत्री के निर्देश को इस तरह धता बताने की कोई जुर्रत और दूसरी वजह शायद हो।

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