Thursday, February 6, 2025
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कलेक्टर-जिला सीईओ के तेवर से गबनकर्ताओं में हड़कंप

0 कोरबा जनपद सीईओ व बाबू पर एफआईआर के बाद कुछ और कतार में..!

कलेक्टर संजीव झा व जिला सीईओ नूतन कंवर

कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा जिले में शासकीय राशि का गबन करने के मामले में शिकायत उपरांत कलेक्टर संजीव झा एवं जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर के द्वारा दिखाए गए सख्त तेवर से गबनकर्ताओं में हड़कंप मच गई है। ऐसे और भी कई मामले हैं जिनमें इस तरह की त्वरित जांच और कार्रवाई की आवश्यकता बनी हुई है। ऐसे लोग अपने बचाव की जुगत लगाने में भी जुट गए हैं लेकिन अगर उनकी करतूतों को गंभीरता से लेकर जांच कराई जाए तो नि:संदेह और भी लोगों पर एफआईआर की गाज गिरना तय है।

ज्ञात हो कि कोरबा जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष कौशिल्या देवी वैष्णव ने आरोप लगाया था कि जनपद सीईओ गोपाल कृष्ण मिश्रा और बाबू सुरेश पाण्डेय सहायक ग्रेड-2 के द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से अपने निजी खाता में शासकीय मद की राशि 3.50 लाख रुपए जमा कराया गया और निजी उपयोग किया गया है। इस शिकायत को कलेक्टर संजीव झा ने काफी गंभीरता से लिया और उनके निर्देश पर शिकायत की जांच जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नूतन कंवर एवं जिला कोषालय अधिकारी की संयुक्त समिति द्वारा किया गया। उक्त समिति ने 3 लाख 50 हजार रुपए शासकीय राशि का कपटपूर्ण गबन एवं गंभीर अनियमितता की पुष्टि की है। इस संबंध में जांच प्रतिवेदन कलेक्टर के अनुमोदन उपरांत सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीमती माया वारियर के निर्देश पर क्षेत्र संयोजक राधेश्याम मिर्झा के द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है। सीईओ श्री मिश्रा एवं बाबू सुरेश पाण्डेय के विरूद्ध अमानत में खयानत पर धारा 409, 34 भादवि के तहत सिविल लाइन थाना, रामपुर में अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है।
जनपद सीईओ और बाबू पर एफआईआर दर्ज होने के बाद से प्रशासनिक गलियारे में खलबली मची हुई है। निष्पक्ष जांच और स्वच्छ प्रशासनिक व्यवस्था की मंशा रखने वाले लोगों ने कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ के इस तरह की कार्रवाई की सराहना की है वहीं सरकारी राशि को अपने निजी संपत्ति की तरह उपयोग करने वाले अन्य लोगों में इस बात का भय कायम हो गया है कि कहीं उनकी पोल पट्टी खुल गई तो वह भी एफआईआर के हकदार बन जाएंगे।
वैसे बता दें कि कोरबा जिले के कुछ विभागों में ऐसे भ्रष्ट कारनामे कर बैठे हुए लोग आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। इनमें कटघोरा वन मंडल का मामला ताजातरीन और सुर्खियों में है। यहां के रेंजर मृत्युंजय शर्मा पर ग्रीन इंडिया मिशन में करीब डेढ़ करोड़ रुपए की गड़बड़ी का मामला प्रमाणित हो चुका है और इन पर एफआईआर व रिकवरी भी होना है। इसी तरह पसान के तत्कालीन डिप्टी रेंजर सत्तूलाल जायसवाल के द्वारा पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम कुटेश्वरनगोई में जंगल में तालाब खुदाई में करतला ब्लाक के सरगबुंदिया की सरपंच व पसान रेंज में कार्यरत बीटगार्ड प्रद्युम्न सिंह तंवर के परिजनों को भी मजदूर बताकर फर्जी मजदूर होते हुए भी मजदूरी की राशि उनके खातों में डाली गई और इसे भी जांच में प्रमाणित पाया गया है लेकिन रिकवरी/एफआईआर की कार्यवाही अब तक लंबित है। पुटुवा स्टॉप डेम के बहने का मामला हो या स्टॉप डेमों से लेकर वनमार्ग के निर्माण में आर्थिक अनियमितता के मामले हों, वन विभाग के विभिन्न निर्माण कार्यों में फर्जी मजदूरों के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपए डकार लेने के मामलों की जांच भी आज तक लंबित है। इन सभी मामलों की निष्पक्ष और त्वरित जांच कर संबंधित लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की जरूरत बनी हुई है। लैंटाना उन्मूलन का भी काम कागजों में दर्शाकर फर्जी मजदूरों के नाम से लाखों रुपए डकार लिए गए हैं। जब जिले में सख्त कार्रवाई की बात निकली है तो इन सभी मामलों में भी कलेक्टर संजीव झा को संज्ञान लेने की जरूरत अपेक्षित है।

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