Friday, October 18, 2024
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उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुंध उत्खनन के चक्कर में सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करा रहा एसईसीएल, डि-पिलरिंग एरिया को रेड जोन घोषित कराया जाए

0 ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

कोरबा-कटघोरा (खटपट न्यूज)। ग्राम सिंघाली की भू-धंसान घटना की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्यवाही एवं क्षेत्र के जानमाल की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्यवाही हेतु कटघोरा एसडीएम से मांग की गई है।
इस संबंध में ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के क्षेत्रीय संयोजक गजेन्द्र सिंह ठाकुर ने क्षेत्रवासियों के साथ एसडीएम सूर्यकिरण तिवारी को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि एसईसीएल कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली परियोजना में 26 जुलाई 2020 की रात करीब 10 बजे भू-धंसान की घटना हुयी है जिसमें एक बड़ा कुआँ के आकार में गड्ढा बन गया है तथा आवासीय क्षेत्र में बोर धंस गया है साथ ही इसी खदान से प्रभावित ग्राम भेजीनारा में भी कई मकानों में लगभग 10 दिन पूर्व दरार आ गयी थी। एसईसीएल द्वारा कोयला उत्खनन और उत्खनन उपरान्त फेस बंद करने के लिए डी-पिलरिंग के कारण यह स्थिति निर्मित हुआ है, ऐसा प्रतीत होता है क्योंकि इससे पूर्व भी वर्ष 2000 से 2010 के मध्य कोरबा क्षेत्र अंतर्गत ही रजगामार, मानिकपुर, बलगी, बांकी परियोजना एवं ढेलवाडीह आदि भूमिगत खदानों के आसपास ऐसी ही भू-धंसान एवं मकानों और जमीन में दरार होने की घटना सामने आ चुकी है तथा इसका कारण डी-पिलरिंग को बताया गया था। वहां पर प्रति वर्ष बरसात का मौसम आते ही घटना की पुनरावृत्ति देखने को मिलती है। डी-पिलरिंग करने से पूर्व खान सुरक्षा महानिदेशालय से विधिवत अनुमति एवं प्रभावित होने वाले क्षेत्र में आवश्यक सुरक्षा उपाय तथा ग्रामीणों से सहमति लेना अनिवार्य होता है किन्तु एसईसीएल के अधिकारी ज्यादा उत्पादन बढ़ाने के लिए अंधाधुंध उत्खनन करवाने के चक्कर में सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करते तथा कोयला खदान में काम करने वाले कर्मचारियों सहित आमजनों को खतरे डाल दिया जाता है।
0 सुरक्षा मापदंडों का पालन नहीं किया है तो अपराधिक मामला दर्ज हो

ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति ने घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाने और एसईसीएल के द्वारा सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है तो आपराधिक मामला दर्ज कर दोषियों पर कार्यवाही करने, प्रभावित क्षेत्र सहित कोयला उत्खनन एवं उत्खनन के पश्चात फेस बन्द करने के लिए की गयी डी-पिलरिंग एरिया को रेड जोन घोषित कर फेंसिंग करवाने, भू-धंसान एवं मकानों में आयी दरार के कारण आम ग्रामीणों और किसानों को हुए नुकसानी के एवज में क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किया जाए, अन्य भूमिगत खदानों के आसपास के क्षेत्र में प्रति वर्ष हो रही बार बार की भू-धंसान एवं दरार का वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाए और आवश्यकता होने पर गाँव और प्रभावित क्षेत्र का अधिग्रहण कर नियमत: मुआवजा,रोजगार और बसाहट प्रदान किया जाए, ढेलवाडीह-सिंघाली-बगदेवा परियोजना अंतर्गत सभी गोदग्रामो में तत्काल सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया करायी जाए।

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