Sunday, December 22, 2024
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Homeकोरबाकोरबा:रेंजर मृत्युंजय का घोटाला 1.38 करोड़,वसूली और कार्यवाही अटकी,आखिर संरक्षण किसका?

कोरबा:रेंजर मृत्युंजय का घोटाला 1.38 करोड़,वसूली और कार्यवाही अटकी,आखिर संरक्षण किसका?


कोरबा (खटपट न्यूज)। कटघोरा वन मंडल के बांकीमोंगरा वन क्षेत्र में प्रतिबंध अवधि होने के बावजूद 550 बांस के वृक्षों की कटाई कराने के मामले से सुर्खियों में आए रेंजर मृत्युंजय शर्मा के घोटालों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। इनका ताजातरीन घोटाला सामने आया है जिसमें 1 करोड़ 38 लाख के पौधे लगाए बिना ही राशि का आहरण कर लिया गया। पौधे अगर लगाए भी गए तो वे 10 प्रतिशत से भी कम संख्या में जीवित बचे हैं और रोपण असफल है।

मृत्युंजय शर्मा के हाथ भ्रष्टाचार में काफी गहरे तक जमे हैं और इन्हें अधिकारियों से लेकर कतिपय नेताओं का भी समर्थन इस कदर प्राप्त है कि इन पर कार्यवाही करने में विभाग के भी हाथ कांप रहे हैं। पूर्व डीएफओ शमा फारुखी के कार्यकाल में इन्होंने जमकर घोटाले किए लेकिन वर्तमान डीएफओ प्रेमलता यादव के द्वारा भी इन पर कार्यवाही संभव नहीं की जा सकी है।
दरअसल ग्रीन इंडिया वन प्रबंधन समिति के द्वारा ग्रीन इंडिया मिशन के तहत पाली वन परिक्षेत्र अंतर्गत वन का विकास करने के लिए पौधारोपण का कार्य कराया गया था। वन मंडल कटघोरा के 7 ग्रीन इंडिया मिशन वन प्रबंधन समितियों को आबंटित कक्षों में यह कार्य कराना था और तत्कालीन सचिव ग्रीन इंडिया मिशन परिक्षेत्र पाली रेंजर मृत्युंजय शर्मा के द्वारा गुणवत्ताहीन कार्य कराए जाने के साथ ही कार्य किए बगैर ही राशि आहरित किया गया। उस समय शर्मा पाली के डिप्टी रेंजर थे और वर्तमान में चैतमा के रेंजर हैं ।

जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि ग्रीन इंडिया वन प्रबंधन समिति चनवारीपारा, कर्रानवापारा कर्रा परसापानी में रोपण कार्य बताया गया है किन्तु क्षेत्र में पौधे जीवित नहीं है। पौधों का जीवित प्रतिशत 10 प्रतिशत से भी कम है। प्लांटेशन जनरल एवं माप पुस्तिका तत्कालीन सचिव ग्रीन इंडिया मिशन मृत्युंजय शर्मा द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया, रोपण असफल है। मृत्युंजय शर्मा द्वारा वन वित्तीय नियमों का पालन नहीं कर वित्तीय अनियमितता किया गया है। इस तरह ग्रीन इंडिया मिशन परिक्षेत्र पाली, वनमंडल कटघोरा के 7 ग्रीन इंडिया मिशन वन प्रबंधन समितियों को आबंटित कक्ष क्रमांकों में कराए गए कार्य के लिए भारित राशि रुपए 4 करोड़ 51 लाख 40 हजार 54 रुपए में से राशि 1 करोड़ 38 लाख 14 हजार 503 रुपए अमान्य करने योग्य है। जांच में पाया गया कि 4 करोड़ 51 लाख 40 हजार 54 रुपये के बताए गए कार्य में मौके पर 2 करोड़ 63 लाख 8 हजार 857 रुपये का कार्य भौतिक सत्यापित पाया गया। इस तरह 1करोड़ 38 लाख से अधिक राशि का भुगतान कराए गए कार्य के एवज में ले लिया गया। जांच समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने इस मामले में 1 करोड़ 38 लाख 14 हजार 503 रुपए रेंजर मृत्युंजय शर्मा से वसूल करने एवं उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा की है। यह दुर्भाग्यजनक है कि शिकायत के बाद कि गई जांच में प्रमाणित हो चुके भ्र्ष्टाचार में भी विभागीय तौर पर कार्यवाही करने में विलंब किया जा रहा है जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ इन्हें संरक्षण और संवर्धन भी प्राप्त हो रहा है।

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