रायपुर। ‘गोधन न्याय योजना’ के विज्ञापन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के सवाल उठाए जाने पर प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और वन मंत्री मो. अकबर ने घेरा है. मंत्री द्वय ने कहा कि रमन सिंह तो अपने कार्यकाल में विज्ञापन घोटाले के शहंशाह रहे हैं, और उन्होंने सारी लोक मर्यादाएं तथा संसदीय नियमों को बलाए-ताक रख के खर्च किया था.
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि 15 साल के मुख्यमंत्री को यह सामान्य समझ होनी चाहिए कि विज्ञापन का खर्च किसी जनहितकारी योजना की शुरूआत में आवश्यक होता है. यह खर्च शासकीय कार्यकलापों की पारदर्शिता तथा जनशिक्षा के रूप में भी उपयोगी होता है, ताकि जनता ऐसी योजनाओं का लाभ उठा सके. अभी तो योजना का आगाज हुआ है और जो संतुलित व्यय हुआ है, उसे योजना के पहले दिन गोबर खरीदी के आंकड़े से जोड़ना निहायत ही घटिया मानसिकता का प्रतीक है.
कृषि मंत्री और वन मंत्री ने कहा कि रमन सिंह ने तो इस बात का आज तक जवाब नहीं दिया है कि चुनाव वर्ष में जनसम्पर्क विभाग का बजट डेढ़ गुना से अधिक करते हुए 250 करोड़ रुपए क्यों किया था, और भयंकर भर्राशाही करते हुए पारित बजट से भी लगभग दोगुना 400 करोड़ रुपए की राशि किस हिसाब से खर्च की थी. आज डेढ़ साल बाद भी ऐसे अनेक लेनदार निकलकर आ रहे हैं, जिन्हें न तो कोई कार्यादेश दिया गया था और न ही कोई प्रशासकीय स्वीकृति ली गई थी.
मंत्री द्वय ने कहा कि रमन सिंह को इस बात का हिसाब देना चाहिए कि उन्होंने बाड़ी से तेल निकालने के नाम पर कितने करोड़ का विज्ञापन दिया था, और कितने रूपए का तेल निकाला. थोथी संचार क्रांति के नाम पर कितने करोड़ों का विज्ञापन दिया था. स्मार्ट फोन बांटने के नाम पर करोड़ों का विज्ञापन दिया, नया रायपुर, कमल विहार, स्वाई वाॅक, एक्सप्रेस-वे, मड़वा ताप बिजलीघर आदि अनेक जनविरोधी योजनाओं पर कितने करोड़ रूपए प्रचार-प्रसार में खर्च हुए.
रविन्द्र चौबे और मोहम्मद अकबर ने कहा है कि रमन सिंह ने खुद की छवि चमकाने के लिए ब्रांडिंग के नाम पर करोड़ों रूपए फूंक दिए. विदेशी निवेश लाने के नाम पर आपने अरबो रूपए फूंक दिए, लेकिन निवेश कितना आया रमन सिंह जी? छत्तीसगढ़ की जनता पूछ रही है. गरीबों के हित की योजना पर सवाल उठाना तो आपकी और आपकी पार्टी की आदत है. आपका हर बयान यह बता रहा है कि आप गांव, गरीब, किसान विरोधी हैं. आप कितना भी दुष्प्रचार कीजिए नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का काम ग्रामीणों, किसानों के दम पर हम आगे बढ़ाते रहेंगे.