रायपुर। गोधन न्याय योजना ग्रामीणों और पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन गई है। छत्तीसगढ़ राज्य में हरेली पर्व से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ग्रामीणों से दो रूपए प्रतिकिलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। पशुओं का गोबर आय का जरिया बन जाने से ग्रामीण किसान और पशुपालक बहुत खुश नजर आ रहे हैं। अब ग्रामीण किसान पशुपालन को लेकर उत्साहित है तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने आ रहे है। गौठानों में स्थित गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने के लिए सभी हितग्राहियों को गोबर क्रय पत्रक दिया गया है। क्रय पत्रक में गोबर खरीदी की मात्रा, राशि दर्ज की जा रही है। गोबर को दो रूपए प्रतिकिलो की दर से खरीद कर प्रत्येक 15 दिनों में भुगतान हितग्राही के बैंक खाते में सीधे ही किया जाएगा।
कोरबा जिले में गोधन न्याय योजना शुरू होने के दो दिनों मे ही किसानों नेे लगभग 11 हजार किलो गोबर की बिक्री की है, जिससे 21 हजार रूपए से अधिक आय हुई है। जनपद कोरबा में सर्वाधिक गोबर की बिक्री हुई है। किसानों ने तीन हजार 975 किलोग्राम गोबर बेचकर सात हजार 950 रूपए की आवक प्राप्त की है। जनपद करतला मे किसानों से एक हजार 817 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई जिससे तीन हजार 634 रूपए की आमदनी किसानों को हुई। जनपद कटघोरा के किसानों ने एक हजार 753 किलोग्राम गोबर बेचकर तीन हजार 306 रूपए कमाए। जनपद पाली के किसानों ने एक हजार 216 किलोग्राम गोबर बेची और दो हजार 433 रूपए का लाभ प्राप्त किए। इसी प्रकार जनपद पोड़ी-उपरोड़ा में कुल दो हजार 130 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई जिससे किसानों को चार हजार 260 रूपए का लाभ मिला। इसी तरह उत्तर बस्तर कांकेर जिले के 197 गौठानों में किसानों और पशुपालकों ने 137 क्विंटल तथा नारायणपुर नगर पंचायत क्षेत्र के बखरूपारा और कुम्हार पारा स्थित एसएलआरएम सेंटर में गोधन न्याय योजना के शुभारंभ अवसर पर 3.57 क्विंटल गोबर की खरीदी दो रूपए किलो की दर पर की गई। जांजगीर-चांपा जिले के 216 गौठानों में 13 हजार 771 क्विंटल तथा दंतेवाड़ा जिले के 4 गौठानों में 8.68 क्विंटल गोबर की खरीदी हुई है। जिससे किसानों और पशुपालकों को अतिरिक्त लाभ होने लगा है।
विकासखंड पाली के ग्राम रैनखुर्द की महिलाएं गोधन न्याय योजना से बहुत खुश नजर आ रही है। इस योजना को उन्होंने किसान हितैषी और ग्रामीणों की आय का अतिरिक्त जरिया बताया। ग्राम रैनखुर्द की नंदनी यादव ने बताया कि उनके पास सात मवेशी है, जिससे वह लगभग 35 किलो गोबर एक दिन में बेच रही है। यादव बताती है कि पहले गोबर को बिना उपयोगी समझकर फेंक देते थे अब गोबर के दो रूपए प्रतिकिलो पैसा मिलने से और अधिक संख्या में मवेशी रखने को प्रोत्साहित हो रही है। महिलाओं ने बताया कि पहले गोबर से खाद बनाने में तीन महीने लग जाते थे, जिससे गोबर खाद का उपयोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता था। अब गौठानों में गोबर बेचने से 45 दिनो में ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाएगी और किसान अपनी सुविधाजनक समय में इसका उपयोग कर सकेंगे। गोधन न्याय योजना से महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ होगा। जैैविक खाद के उपयोग से विषसहित खाद्यान्न का उत्पादन होगा। रसायनिक खाद के उपयोग में कमी आएगी। खेती की लागत कम होगी। खुले में मवेशी चराई पर रोक लगेगी। लोग अपने मवेशी को घर में ही रखेंगे। गोबर बेचने से होने वाली अतिरिक्त आय से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।