कोरबा (खटपट न्यूज़) . छत्तीसगढ़ के स्पंज आयरन उद्योगों पर पिछले साल का बैकलॉग कोयला लेने का साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि एसईसीएल ने दबाव बनाते हुए कहा है कि कोयला नहीं लेने पर जुर्माना ठोका जाएगा। इसे लेकर छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन ने राज्य सरकार के उद्योग विभाग से हस्तक्षेप की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि कोविड-19 के कारण उद्योगों के बंद होने की वजह से कोयले की खपत कम हुई है।
बताया गया है कि एसईसीएल के पास वर्तमान में सरप्लस कोयला हो चुका है। ऐसी स्थिति में स्थानीय स्पंज आयरन उद्योगों पर बीते वर्ष अगस्त – सितंबर -2019 से लेकर जून -2020 तक का कोयला लेने का दबाव है। एसोसिएशन एसईसीएल मुख्यालय को पत्र लिखकर उद्योगों की वर्तमान समस्याओं से अवगत कराया है कि उद्योग अभी इस हालत में नहीं है कि सालभर का कोयला एक साथ ले सकें। इससे उद्योगों पर करोड़ों रुपए का आर्थिक भार आएगा। स्पंज आयरन उद्योगों में सालाना कोयले की खपत 8 से 9 मिलियन टन है। उद्योगपतियों का कहना है कि सामान्य स्थिति में कोयले के लिए उद्योगपतियों को एसईसीएल से गुहार लगानी पड़ती है। स्पंज आयरन उद्योगों में कोयले की आपूर्ति के लिए स्थानीय उद्योगों को विदेशों पर भी निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन कोविङ -19 के दौरान जब कोयले की खपत उद्योगों में कम हुई तब इसका भार अब स्पंज आयरन उद्योगों पर लादा जा रहा है। उद्योगों के साथ एसईसीएल फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट करता है। इस एग्रीमेंट में लिंकेज के साथ ही हर महीने कोयले की सप्लाई, पेमेंट, पेनाल्टी, ब्याज, छूट और अन्य प्रावधान शामिल किए जाते हैं।