कोरबा (खटपट न्यूज)। कोरबा पटवारी हल्का की खसरा नंबर 188/2 की 0.068 हेक्टेयर जमीन के वास्तविक मालिक को लेकर मामला फंस गया है। भुईयां पोर्टल में यह जमीन जयश्रीराम पिता राजा दशरथ, पता अयोध्या के नाम से अंग्रेजी में दर्ज होने का मामला खटपट न्यूज ने सामने लाया तो आनन-फानन में सुधार कर यह जमीन छराविमं के नाम रिकार्ड में दर्ज कर दी गई। सीएसईबी का कहना है कि इस खसरा नंबर की जमीन उसकी कभी नहीं रही। जिस जमीन को राजस्व अधिकारी मैनुअल राजस्व अभिलेख में सीएसईबी के नाम की बता रहे हैं, और जब सीएसईबी ने इनकार कर दिया है तो भला यह जमीन वास्तव में किसकी हैं, यह बड़ा सवाल है। इससे भी अहम बात यह है कि जब जमीन निजी है तो सीएसईबी के नाम से दर्ज कैसे हुई, सीएसईबी के नाम दिख रही थी तो भला सरकारी भू-स्वामी के नाम से छेड़छाड़ क्यों, कैसे और किसने करते हुए जय श्री राम के नाम दर्ज किया? यह गहन जांच का विषय बनता है।

0 62 डिसमिल जमीन बेचना बताया भूस्वामी के परिजन ने
इस मामले में पुरानी बस्ती आदिले चौक निवासी स्व. मनीराम आदिले की जमीन होने का पता चला है। उनके निधन उपरांत पुत्र टीकम आदिले के नाम पर अधिकार अभिलेख दुरूस्त होना था। मनीराम के पोता याने टीकम आदिले के पुत्र रणवीर आदिले ने बताया कि सीएसईबी ने कभी हमसे जमीन ली ही नहीं। 188/2 खसरा नंबर की जमीन में से 62 डिसमिल जमीन 2007 में नमन विहार बिल्डर्स के दिनेश मोदी को बेची गई। शेष 32 डिसमिल जमीन नमन विहार के अंदर फंसी हुई है। 2009-10 में राजस्व रिकार्ड में सीएसईबी के नाम से दर्ज है लेकिन जबकि सीएसईबी के अधिकार अभिलेख में यह खसरा नंबर है ही नहीं। कोरबा तहसीलदार कार्यालय अभिलेख दुरूस्त करने के लिए आवेदन दिया गया है।
0 सीएसईबी के स्वामित्व में नहीं 188/2 की जमीन
सीएसईबी कोरबा पूर्व में पदस्थ संपदा अधिकारी एच कुरैशी ने बताया कि कोरबा क्षेत्र में जब सीएसईबी ने अपनी रेल रेल लाइन का निर्माण किया तब 188/क के टुकड़े के रूप में 56 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, इसके अलावा 188 /1 वन भूमि थी इसलिए इस भूमि को नहीं लिया गया। 188/2 खसरा नंबर की कोई भी जमीन सीएसईबी प्रबंधन के स्वामित्व में नहीं है।
0 क्या खेला जा रहा था बड़ा खेल, जिसका भांडा फूट गया..!
यह मामला जितना सीधा दिख रहा है और सरल तरीके से निपटाया जा रहा है, उतना ही पेचीदा होते जा रहा है।
राजस्व अधिकारी कह रहे हैं कि यह जमीन मैनुअल अधिकार अभिलेख में सीएसईबी की है। अगर यह मान भी लें तो भला सरकारी कंपनी सीएसईबी का नाम हटाकर अंग्रेजी में श्रीराम के नाम जमीन दर्शाने की हिमाकत किसने की? क्या रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करना इतना आसान है? इससे बड़ी बात यह भी है कि किसी रिकॉर्ड में हुई छेड़छाड़ को 1 घंटे के भीतर ही किन प्रक्रियाओं से गुजर कर बदल दिया गया। यह सवाल भी उपजा है कि क्या किसी दलाल ने राजस्व कर्मी से मिलीभगत कर पहले रिकॉर्ड में श्री राम दर्ज किया और यदि इस पर किसी की नजर न पड़ती तो भविष्य में इसे पुनः बदलकर अपनी मनमानी करते हुए किसी और का नाम दर्ज कर भूस्वामी बना देता! यदि ऐसा कुछ नहीं है तो भी यह बहुत ही गंभीर विषय है जिसकी त्रुटियों को सुधारने का काम कर मामले को ठंडा करने की बजाय गहन जांच और कार्रवाई करने की जरूरत है। वैसे भी कोरबा जिले में राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर जमीनों की कूट रचना के मामले हाल- फिलहाल में काफी तेजी से सामने आए हैं। पुलिस ने कई मामलों में अपराध भी दर्ज कर कुछ आरोपियों को जेल भेजा है।
