सरकारी जमीन पर MIC मेम्बर का कब्जा,संयुक्त टीम ने हटाया

0 शबरी एम्पोरियम के निकट पार्षद करा रहा था बेजा निर्माण
कोरबा (खटपट न्यूज)। जिला प्रशासन ने शासकीय जमीन पर अवैध कब्जों को हटाकर अतिक्रमण मुक्त करने के लिए बड़ी कार्यवाही की है। कांग्रेस के पार्षद व एमआईसी सदस्य सुखसागर निर्मलकर के द्वारा कराए जा रहे बेजा निर्माण को तोड़कर हटा दिया गया।

संयुक्त कार्यवाही के संबंध में एसडीएम श्रीमती सीमा पात्रे ने बताया कि कोरबा प.ह.नं.16 स्थित शासकीय भूमि ख.नं. 235/1 में से 4800 वर्गफीट भूमि को हस्त शिल्पियों के लिए भवन निर्माण एवं विपणन व्यवस्था हेतु शो-रूम निर्माण हेतु आबंटित किया गया है। हस्तशिल्पियों की सामग्री विक्रय करने हेतु शबरी एम्पोरियम की स्थापना कर संचालित की गयी है तथा शेष रिक्त भूमि में क्षेत्र के शिल्पियों हेतु सामान्य सुविधा केन्द्र स्थापित करने हेतु आरक्षित रखा गया है। उक्त भूमि पर वार्ड 21 के पार्षद सुखसागर निर्मलकर द्वारा 16 जुलाई से अवैध निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था। अवैध कब्जा हटाने के संबंध में निर्माण कार्य के ठेकेदार अभिषेक सिंह को नगर निगम द्वारा नोटिस दिया गया था किन्तु ठेकेदार द्वारा पुन: निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया था, जिसे हटाकर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया।
0 निगम क्षेत्र और जिले की सरकारी जमीन कब्जे की चपेट में

गौरतलब है कि जब से शासन ने सरकारी/उपक्रमों की जमीन पर काबिज लोगों को भी पट्टा देने की घोषणा की है, खाली पड़ी जमीनों पर बेजा कब्जा करने की बाढ़ सी आ गई है। नगर निगम कोरबा से लेकर नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों की जमीनों पर कब्जा कराने के लिए दलाल भी सामने आने लगे हैं। सरकारी जमीन पर कब्जा करने के बाद उसे महंगी कीमत पर बेचा भी जा रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि नगरीय निकायों सहित राजस्व विभाग का अमला आंखों देखी बेजा कब्जा और अतिक्रमण पर कार्यवाही नहीं कर रहा बल्कि नजरें फेर लेता है। यह एक बड़ी वजह है कि निगम व अन्य क्षेत्रों में सड़कों के किनारे, लाखों-करोड़ों की लागत से पदयात्रियों के लिए निर्मित फुटपाथों पर बढ़ती दुकानों की संख्या, सड़क तक बढ़ता अतिक्रमण और निर्माण, नालियों पर ढंके स्लैब के ऊपर तक और सड़क तक निर्माण की संख्या बढ़ती जा रही है। नगर निगम के मैदानी अमले की अनदेखी और भेंट-चढ़ावा लेकर छूट देने की बढ़ती संस्कृति सुगम आवागमन में बाधक बन रही है। अतिक्रमण पर कार्यवाही के दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं लेकिन समय के साथ यह दावे फुग्गे की तरह फूट जाते हैं। अधिकांश कार्यवाही उन्हीं मामलों में देखने को मिलती है जिनमें किसी का स्वार्थ छिपा हो या शिकायत विरोधी पक्ष ने की हो वरना निगम, राजस्व, वन विभाग, सिंचाई विभाग, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के देखते-देखते बेजा कब्जा की बाढ़ सी आ गई है।

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