विलम्ब : कोरोना संक्रमित के घर चार दिन में भी दवा नहीं पहुंची, कंट्रोल रूम और सीएमएचओ से भी नहीं मिली कोई राहत…देखें पीड़ित ने क्या कहा

कोरबा(खटपट न्यूज़)। नगर पालिक निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 12 चिमनीभट्ठा निवासी की कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आने के चार दिन भी दवा संबंधी राहत नहीं मिली। स्वास्थ्य अथवा निगम अमले के द्वारा उसे दवाई प्रदान नहीं की गई जो 5 दिन का डोज होती है। इसके लिये न तो कंट्रोल रूम काम आया और न ही सीएमएचओ की जानकारी में लाने का कोई मतलब हुआ। हर दिन जारी होने वाली पॉजीटिव मरीजों की सूची में भी उसका नाम नहीं है तो स्टीकर भी चिपकने का सवाल नहीं उठता।

बता दें कि चिमनीभट्ठा निवासी एवं पत्रकारिता से जुड़े दिलीप कुमार वैष्णव ने एसईसीएल के मुड़ापार स्थित अस्पताल में 15 अप्रैल को रैपिड एंटीजेन टेस्ट कराया था। इसी दिन दोपहर करीब 1.30 बजे रिपोर्ट पॉजीटिव निकली। उसे कहा गया कि वह घर जाकर आइसोलेशन में रहे और दवाईयां घर पहुंचा कर संबंधित लोगों के द्वारा दे दी जाएगी। दिलीप ने खुद को अलग कमरे में आइसोलेट कर लिया। 15 अप्रैल को उसके घर दवाई नहीं पहुंची। 16 अप्रैल को उसने जिला प्रशासन द्वारा जारी कंट्रोल रूम के विभिन्न नंबरों सहित मेडिकल सर्विस के नंबर पर भी संपर्क किया तो उसे दूसरों का नंबर देकर बात करने कहा जाता रहा। सीएमएचओ डॉ. बीबी बोर्डे को उसने फोन लगाया तो टेक्स्ट मैसेज भेजने का रिप्लाई आया। दिलीप के मुताबिक उसने सारी जानकारी सीएमएचओ को दी फिर भी दवाई नहीं मिली। 18 अप्रैल सुबह तक उसके घर दवा लेकर न तो स्वास्थ्य अमला पहुंचा और न ही नगर निगम के संबंधित कर्मचारी, तब उसने एक अन्य पूर्व पॉजीटिव आए मीडिया कर्मी साथी से चर्चा कर दवाईयों की जानकारी ली और अपने परिचित से 600 रुपए खर्च कर मेडिकल स्टोर से दवा मंगवाकर खाना शुरू किया है।
यहां यह व्यवस्थागत खामियों का विषय भी है कि हर दिन होने वाली जांच में पॉजीटिव मिले मरीजों के नाम, जांच करने वाले अस्पताल व डॉक्टर का नाम, स्थान सहित सूची हर दिन जारी की जाती है। 15 व 16 अपै्रल की इस सूची के हवाले से दिलीप वैष्णव ने बताया कि उसका नाम कहीं भी नजर नहीं आया है, आखिर ऐसा कैसे और क्यों हुआ? जारी पॉजीटिव मरीजों की रिपोर्ट निगम अमले को प्रदाय की जाती है और उसके आधार पर संबंधितों तक दवाई पहुंचाने की व्यवस्था तय की गई है। यह भले ही एक छोटा सा मामला प्रशासन की नजर में हो सकता है किंतु इसे गंभीरता से भी लेने की जरूरत है। यह तो गनीमत है कि पॉजीटिव आने के बाद के 3-4 दिनों में दिलीप वैष्णव की हालत खराब नहीं हुई। यहां सवाल यह भी है कि जब उसका नाम लिस्ट में नहीं है तो भला उसकी हर दिन की मॉनिटरिंग/ तापमान व स्वास्थ्यगत की जानकारी कौन चिकित्सक लेगा?

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