जिले में नहीं है थ्री फेस मीटर, उपभोक्ताओं को तरह-तरह से लगाई जा रही आर्थिक चपत….

कोरबा(खटपट न्यूज़)। ऊर्जा की नगरी में दिया तले अंधेरा की कहावत तो वक्त-बेवक्त चरितार्थ होती रहती है लेकिन विद्युत वितरण विभाग के द्वारा मीटर को लेकर भी घोर लापरवाही और उदासीनता बरती जा रही है। कोरबा जिले में थ्री फेस कनेक्शन के लिए मीटर नहीं है। विभागीय सूत्र बताते है कि बार-बार मांग के बावजूद बिलासपुर से भी इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है, इसके कारण उपभोक्ता मीटर की आड़ में कई तरह से आर्थिक क्षति झेलने के लिए मजबूर हैं।

फाइल फोटो

थ्री फेस मीटर का जहां नया कनेक्शन नहीं लग पा रहा है वहीं पिछले करीब 3-4 महीने से इसका लगातार अभाव होने के कारण ऐसे मीटर जो बिगड़ चुके हैं, जिन मीटरों में फाल्ट है और उन्हें बदल कर नया मीटर लगाना है वह कार्य पूरी तरह से ठप्प है। इसकी वजह से विद्युत उपभोक्ताओं को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। विभाग के कुछ मैदानी कर्मचारी मीटर खराब होने का हवाला देकर वसूली करने के साथ-साथ एवरेज बिल थमाने से नहीं चूक रहे। यहां तक कि उपभोक्ता की हालत को देखकर पुलिस कार्रवाई का भय दिखाकर वसूली तक की बातें सामने आ चुकी हैं। लापरवाही विद्युत वितरण विभाग की है लेकिन भुगतना उपभोक्ता को ही पड़ रहा है। यदि मीटर खराब है या कोई फाल्ट है तो उसके सुधार के लिए ले जाए गए मीटर को सुधार कर वापस नहीं लगाया जा सका है, वहीं जिनके मीटर खराब हैं और बदले भी नहीं गए हैं ऐसे उपभोक्ताओं को एवरेज बिल के नाम पर 2-2 महीने का भारी-भरकम राशि वाला बिल थमाया जा रहा है। यहां तक कि कई ऐसे उपभोक्ता हैं जिनका बिल बिजली खपत के अनुसार चालू मीटर के समय मसलन 4000 रुपये आता था तो उसे मीटर खराब होना बताकर 10000 रुपये तक का बिल थमा दे रहे हैं और उसे बाद में समायोजन कर लेना कहा जाता है। अब उपभोक्ता के लिए मजबूरी है कि वह या तो 10000 रुपये का भुगतान करे या फिर कार्यवाही के लिए तैयार रहे। इस तरह से अनेक उपभोक्ता हैं जिन्होंने बिल संबंधी सुधार के लिए आवेदन दे रखा है लेकिन निराकरण करने में बार-बार कोताही बरती जा रही है। विद्युत विभाग के शीर्ष अधिकारियों तक यह बात पहुंचती है या नहीं यह तो अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी ही जानें लेकिन यह भी बता दें कि अनेक ऐसे आवेदक भी हैं जिनके नए मीटर कनेक्शन के लिए सभी तरह के दस्तावेज पेश होने के बाद भी सालों- साल से आवेदन लटका कर रखे गए हैं। संबंधित अधिकारी के द्वारा ऐसे अनेक फाइलों को दबा कर रख दिया गया है और उसे आगे बढ़ाने का नाम नहीं ले रहे। बताया जाता है कि इस संबंध में सहायक अभियंता टीआर कोसरिया का हीला-हवाला वाला रवैया भी हलाकान करता है। उनसे संपर्क करने के प्रयासों में मोबाइल ही नहीं उठता।
0 मेंटनेंस में भर्राशाही, सरकार की छवि खराब कर रहे अधिकारी-ठेकेदार
जिले में बिजली संबंधी भर्राशाही कुछ ज्यादा ही हावी होने लगी है। विभाग के ठेकेदारों से लेकर विभागीय कर्मियों की मनमानी इस कदर है कि इनके कारण जहां उपभोक्ता को बेमतलब का चूना लग रहा है वहीं सरकार की भी छवि विद्युत संबंधी मामलों को लेकर कुछ ज्यादा ही खराब हो रही है। मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कराने वाला यह विभाग विद्युत सुधार के नाम पर जमीनी हकीकत में खानापूर्ति करता ही नजर आता है। नया कार्य और मेंटेनेंस के काम में ठेका लेने के चक्कर में कमीशनखोरी जहां हावी है वहीं मोटी रकम देकर ठेका प्राप्त करने वाले कई ठेकेदार गुणवत्ता हीन सामानों का उपयोग करते हैं। इन पर किसी भी तरह की निगरानी नहीं होती और ना कोई कार्यवाही। यही कारण है कि कालांतर में जो कार्य विद्युत विभाग ने किए वह गुणवत्ता पूर्ण होने के कारण आज भी कई जगह टिके हुए हैं जबकि लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर होने वाले नए कार्य को कुछ साल या कुछ ही महीने में दम तोड़ते नजर आते हैं। सरकार के रुपयों का दुरुपयोग अच्छा- खासा वेतन पाने वाले अधिकारी चहेते ठेकेदारों से सांठगांठ करने में कोई कसर नहीं छोड़ते और कहीं ना कहीं इन सब का खामियाजा वार्ड से लेकर विधानसभा तक के चुनावों में भुगतने को भी मिल जाता है।
चाहे केबल खींचने का काम हो या डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स लगाने का मामला हो या फिर मीटर लगाने या बदलने का मामला हो, इन सभी में विद्युत विभाग फिलहाल जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका है और इससे सरकार की छवि भी खराब हो रही है। यह हालात तब हैं जब ऊर्जा विभाग खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास है। समझा जा सकता है कि विभाग के शीर्ष से लेकर निचले स्तर के अधिकारियों में शासन का कितना भय है। आम जनता बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर त्रस्त हो चुकी है और जनप्रतिनिधियों की भी कोई सुनवाई नहीं होती। इस दिशा में लोगों को नवपदस्थ कलेक्टर श्रीमती रानू साहू और नए अधीक्षण अभियंता श्री गोपवार से उम्मीद है।

00 सत्या पाल 00 (7999281136)

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