
कोरबा (खटपट न्यूज)। महामारी नियंत्रण अधिनियम और कोविड-19 का प्रोटोकाल सिर्फ आम जनता के लिए ही बना है। आम आदमी सड़क पर बिना मास्क चलते पकड़े गए तो न सिर्फ जुर्माना बल्कि महामारी एक्ट का अपराध भी इन पर दर्ज होता रहा, लेकिन जब यही लापरवाही खास लोग बरतें तो उनके लिए न कोरोना का भय होता है और न कानून का। कोरबा जिले के पाली-तानाखार विधायक एवं राज्यमंत्री दर्जा मोहित राम केरकेट्टा ने इसी कानून और कोविड प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हुए समर्थकों व ग्रामीणों के साथ कोरोना काल में पर्यटन स्थलों पर प्रतिबंध के बावजूद बुका पर्यटन केंद्र में अपना जन्मदिन धूमधाम से मनाया। अनेक जनप्रतिनिधि जनता के रोल मॉडल भी होते हैं और कोविड के दौर में सरकार ने भी खास हिदायत दी है कि जनप्रतिनिधि आवश्यक रूप से मास्क लगाएं, सेनेटाइजर का उपयोग करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, ताकि उनकी देखा-देखी जनता भी कोरोना से बचाव के इन उपायों को अपनाए।

जनता के लिए रोल मॉडल तो बनना दूर, विधायक केरकेट्टा ने कोविड प्रोटोकाल का किसी भी तरह से पालन नहीं किया और अपने 7 जून सोमवार को जन्मदिन समारोह में नियमों की धज्जियां उड़ाई। इनके जन्म दिवस पर न सिर्फ पुरुष समर्थक बल्कि महिलाएं, युवतियां और छोटे-छोटे बच्चे भी सेलिबे्रट करने के लिए इकट्ठा करवाए गए थे। सारा कुछ कटघोरा वन मंडल क्षेत्रांतर्गत पर्यटन स्थल बुका में हुआ और वह भी वर्किंग डे सोमवार को। इस दिन न तो कोई शासकीय अवकाश रहा और न ही दफ्तर बंद रहे, लेकिन विभागीय अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक महकमें को या तो भनक नहीं लगी या फिर जानबूझकर अनदेखा किया गया। अब विधायक महोदय या उनके जन्म दिन का आयोजन करने वाले समर्थकों पर कानून की कौन सी गाज गिरेगी और यह गाज कौन गिराएगा? विधायक ने तो यह बड़ी लापरवाही उजागर होने पर सारा ठीकरा समर्थकों पर ही मढ़ दिया। उनका कहना है कि समर्थकों ने छोटा सा आयोजन बुका के समीप रखा था और सीमित संख्या में लोग मौजूद थे। कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और संक्षिप्त समारोह का आयोजन में कोरोना प्रोटोकाल का पूरी तरह से ध्यान रखा गया था।
अब विधायक महोदय अपनी बातों से इस लापरवाही को भले ही झुठला दें लेकिन तस्वीरों में कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना प्रोटोकाल दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा। क्या इनके जन्मदिन में युवतियों, महिलाओं और बच्चों को बुलाना जरूरी था, जन्मदिन के बहाने बैठक करना या बैठक के बहाने जन्मदिन का समारोह करना इतना ही जरूरी था? क्या जन्मदिन के लिए पर्यटन स्थल पर जाने अथवा व्यवस्थाओं के लिए विशेष छूट प्रदान की गई थी और यदि हां तो आम जनता ने भला क्या बिगाड़ा है? क्या कोरोना और कानून का भय सिर्फ आम जनता के लिए है, माननीयों के लिए क्यों नहीं? इस सवाल का जवाब तो मिलना मुश्किल है, लेकिन बात तब और गंभीर हो जाती है जब किसी के परिवार में दुख होने या सुख के अवसर पर मात्र 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति का आदेश जारी किया गया हो, तब विधायक के जन्मदिन सेलिबे्रशन में 150 लोगों से अधिक की भीड़ कैसे जमा होती है? समर्थकों की आड़ तो एक तरह से बात को टालना है, नजीर तब पेश होती जब विधायक कोरोना काल में ऐसे सामूहिक आयोजन से दूरी बनाते।

इधर, पर्यटन केंद्र बुका में यह आयोजन होता है और कटघोरा वन मंडलाधिकारी शमा फारुखी अथवा उनके अधीनस्थ रेंज स्तर के कर्मचारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती। उन्होंने कहा है कि इस तरह के समारोह की कोई जानकारी नहीं है। विभागीय स्तर पर पर्यटन केंद्र खोलने अथवा समारोह आयोजन की कोई अनुमति नहीं दी गई है। इस बात की जानकारी संबंधित एसडीओ व रेंजर से वे लेंगी। अब यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या डीएफओ सब कुछ गलत पाकर भी कार्रवाई कर सकेंगीं? पहले विधायक श्री केरकेट्टा के लेटरपेड और हस्ताक्षर से इन्हीं डीएफओ के खिलाफ लंबी-चौड़ी शिकायत हुई थी और इसके दूसरे ही दिन शिकायत सार्वजनिक होने पर विधायक ने डीएफओ को क्लीन चिट देकर शिकवा-शिकायतों को दूर कर दिया। अब भला ऐसे में कौन सी जांच, किस तरह की कार्रवाई की अपेक्षा होगी?














