कटघोरा-पाली में भाजपा की हालत पतली,मुकाबले में खिसकेगी जमीन…!

0 इस बार महज वोटकटवा की भूमिका में प्रेम और उईके
कोरबा (खटपट न्यूज़)। कोरबा जिले में मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और इसके साथ ही चुनावी शोर भी थम चुका है। चुनावी शोर थमने के साथ अब घर-घर जाकर प्रचार प्रसार प्रत्याशियों के द्वारा अपने पक्ष में किया जा रहा है। जिले की कोरबा और रामपुर विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के मध्य सीधी टक्कर होती दिख रही है तो वहीं कटघोरा और पाली-तानाखार विधानसभा में मुकाबला चतुष्कोणीय और त्रिकोणीय बना हुआ है। इस मुकाबले में कटघोरा और पाली-तानाखार में भाजपा की जमीन खिसकती नजर आ रही है। दोनों ही प्रत्याशियों को जनता तीसरे चौथे नंबर पर देख रही है।

कटघोरा विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार प्रेमचंद पटेल अभी भी अपने ही लोगों के विरोध का सामना कर रहे हैं तो पाली-तानाखार में रामदयाल उइके दल बदल कर पिछले बार चुनाव हार गए और इस बार टिकट की दौड़ में शामिल अन्य लोगों को दरकिनार करवाकर टिकट प्राप्त कर लिए जिससे भीतर ही भीतर उनके विरुद्ध अभी भी असंतोष कायम है। कटघोरा में कांग्रेस के पुरुषोत्तम कंवर, जोगी कांग्रेस के सपूरन कुलदीप और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के सुरेंद्र राठौर के बीच मुकाबला होता दिख रहा है और भाजपा यहां अंतर कलह से जूझ रही है। पाली-तानाखार में रामदयाल उइके नहीं बल्कि कांग्रेस की दुलेश्वरी सिदार और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर मरकाम के बीच टक्कर है।
पिछले चुनाव में यहां भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई थी और इस बार भी कुछ ऐसे ही हालात बनते दिख रहे हैं। दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशियों की आम लोगों के बीच पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर मानी जा रही है और संगठन के नेतागण भी बिखरे हुए हैं। दोनों विधानसभा में प्रत्याशियों का कोई शोर नजर नहीं आ रहा बल्कि बेमन से कार्यकर्ता लगे हुए हैं। विश्वासी सूत्र बताते हैं कि रामदयाल उइके ने विधायक रहते क्षेत्र में कोई कार्य नहीं किया और इस कारण से अगला चुनाव हार गए और फिर से खुद ही चुनाव में खड़े हुए हैं।हारे हुए प्रत्याशी पर भाजपा ने टिकट देकर जो दांव खेला है, उसमें उल्टे मुंह की खानी पड़ सकती है। कटघोरा में जोगी कांग्रेस और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी ने भाजपा की हालत खराब कर रखी है। दोनों ही क्षेत्र में भाजपा के वोट बड़ी संख्या में कट कर दूसरे प्रत्याशियों को मिलने के आसार हैं। भाजपा संगठन के द्वारा भी इन दोनों सीटों पर कोई खास ध्यान न देकर रामपुर और कोरबा पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

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