उरगा-चाम्पा फोरलेन में अवैध मुरुम का उपयोग,कार्यवाही में संशय,अनुमति पर संदेह

अवैध खनन स्थल

कोरबा(खटपट न्यूज़)। कोरबा में चंद ठेकेदारों के लिए रामराज्य सा माहौल है। फोरलेन सड़क का निर्माण हो या जैसी भी सड़क बना रहे हैं, उसमें नियोजित ठेकेदार और उनके कर्मचारियों द्वारा जितना मर्जी, जहां से चाहे जितना चाहे उतना मिट्टी-मुरूम खोदकर उपयोग कर रहे हैं। भले ही इसके लिए जमीन की सूरत क्यों न बिगड़ जाए, समतल जमीन गड्ढों में तब्दील क्यों ना हो जाए और उस पर खड़े लहलहाते खड़े पेड़ ही क्यों ना धराशाई हो जाएं लेकिन खोदना है तो खोदना है। कार्यवाही करने वाले एक-दूसरे पर बात को टालते रहेंगे और अवैध खनन चलता रहेगा जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश उपरांत कलेक्टर ने स्पष्ट हिदायत दी है कि निर्माण कार्यों में अवैध सामग्रियों का बिलकुल भी उपयोग ना करें।
अभी जिले में उरगा से चाम्पा के मध्य निर्माणाधीन फोरलेन का काम कर रही ठेका कंपनी द्वारा नियमों की अनदेखी की जा रही है। इसके बारे में कुछ ग्रामीणों के द्वारा अवैध उत्खनन के संबंध में जानकारी ली गई तो पता चला कि ग्राम पंचायत पुरैना में सिंचाई विभाग की जमीन को जहां-तहां खो दिया जा रहा है। सिंचाई विभाग वालों से संपर्क करने पर फोन नहीं उठाया गया। हरे-भरे वृक्षों के उखाड़ दिए जाने के मामले में वन विभाग खामोश है। खनिज विभाग के अधिकारी ने फोन उठाया और कार्यवाही की बात कही लेकिन कोई टीम शाम-रात तक नहीं पहुंची। कोरबा एसडीएम हरिशंकर पैकरा से संपर्क किया गया तो उन्होंने खनिज विभाग वालों को मौके पर जाने के लिए निर्देश देने की बात कही पर हुआ कुछ नहीं। बरपाली की तहसीलदार को अवगत कराया गया पर नतीजा शून्य रहा। एक पेड़ काट लेने पर कार्यवाही करने वाला वन अमला भी ख़ामोश है। इस तरह शुक्रवार को सुबह के वक्त सूचना देने के बाद भी कोई टीम शाम तक मौके पर नहीं पहुंची।

बता दें कि इससे पहले भी बरपाली तहसील क्षेत्र में ही तालाब गहरीकरण का मुरुम निकाल कर सड़क में लगाने की अनुमति लेकर गांव के टीला को पूरा खोद दिया गया। अनुमति की आड़ में प्रशासन को बहुत गुमराह किया जा रहा है और मैदानी अमले से लेकर उनके अधिकारी अपने मुखिया को गुमराह करते आ रहे हैं।
काम सरकार का हो या निजी, नियम का पालन करना अनिवार्य है। सरकार की छवि को जनमानस में बेहतर बनाना संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही है लेकिन तब क्या करें जब जनमानस के बीच यही अधिकारी सरकार की छवि को ढुलमुल बनाने पर तत्पर हैं। नि:संदेह इसका पूरा-पूरा फायदा तो अवैध दोहन करने वाले उठाएंगे ही और यही काम खासकर ग्रामीण अंचलों में होने वाले सड़क जैसे निर्माण कार्यों में धड़ल्ले से हो रहा है। लोग जवाबदेही से बचने वाले अधिकारियों के रवैया या मामूली सी कार्यवाही कर दोबारा अवैध खनन के लिए अप्रत्यक्ष अनुमति देने की कार्यशैली से हैरान भी हैं।
बता दें कि कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने पिछले महीनों में बैठक लेकर स्पष्ट हिदायत दी है कि किसी भी सूरत में निर्माण कार्यों में अवैधानिक मिट्टी-गिट्टी-मुरूम रेत आदि निर्माण सामग्रियों का उपयोग बिल्कुल भी ना किया जाए। शासन ने व्यवस्था दी है कि यदि आप खनिजों का उपयोग करते हैं तो उसके लिए रॉयल्टी का भुगतान किया जाए। इधर सैकड़ों नहीं हजारों घन मीटर जमीन खोदकर बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से मुरुम-मिट्टी खोदकर फोरलेन ही नहीं प्रधानमंत्री योजना की भी सड़क में लगाई जा रही है जिसके लिए न तो कोई मापदंड है ना कोई पैमाना ना कोई जुर्माना। अगर जुर्माना हुआ भी तो एकाध हाईवा/ट्रैक्टर में भरे सामग्री पर न कि, पूरे खनन क्षेत्र में।

https://youtu.be/bvLxW_K0bs0
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