0 सकारात्मक विचारों से बड़ा कोई इम्यूनिटी बूस्टर नहीं
0 कोरोना पॉज़िटिव0
किसको कोरोना हुआ, किसको नहीं हुआ.. अब यह मसला नहीं रह गया ! ऐसा लगता है कि देर-सवेर सभी को इससे गुजरना है ! अब लड़ाई चरम पर है! लगभग आधा भारत और एक चौथाई विश्व कोरोना पॉज़िटिव है! कोरोना की फ़ौज बढ़ती आ रही है, किले ढहते जा रहे हैं ! जो बंकर में महफूज हैं, वह भी कितने दिन महफूज रहेंगे कहा नहीं जा सकता !!
आपके कोविशील्ड, कवच (वैक्सीन आदि) बेशक आपकी जान बचा सकते हैं, लेकिन आसन्न हमले को नहीं रोक सकते ! अदृश्य दुश्मन के वार से बच पाना लगभग नामुमकिन है! किंतु वार हो जाने पर, किस तरह लड़ा जाए यह जरूर हमारे वश में है !

जरूरी है कि सबसे पहले तो खौफ़ से बाहर आ जाएं! यह खौफ़, कि ‘कहीं मुझे न हो जाए, कहीं इसे न हो जाए, कहीं उसे न हो जाए!’.. इन बातों से बाहर आ जाएं, क्योंकि खौफ़ज़दा होकर युद्ध नहीं लड़ा जाता! आपकी आधी ताकत तो खौफ़ ही खत्म कर देता है !
सजग होकर रक्षात्मक सारे उपाय अपनाएं.. लेकिन साथ ही मानसिक तैयारी भी रखिए कि अगर हो गया तो इससे कैसे लड़ना है ? ख़याल रहे, वायरस का लोड उतना घातक नहीं है जितना भय का लोड घातक है !
जीवन की सबसे बड़ी जंग, रोग से जंग होती है.. क्योंकि इसमें आपके धैर्य, निडरता और मानसिक ताकत का वास्तविक परीक्षण होता है !
रोग हो जाना बड़ी बात नहीं है, रोग से लड़ कर जीत जाना बड़ी बात है!
कोरोना पॉजिटिव आने पर, मन को नेगेटिव न होने दें क्योंकि नकार से बड़ा कोई ‘विष’ नहीं और सकार से बड़ी ‘औषधि’ नहीं!
आप जीवन भर किस तरह जिए हैं, यही बात रोग होने पर भी काम आती है ! अगर आप आजीवन.. दु:खी, निराश, अविश्वासी, संकुचित और सशंकित होकर जिए हैं.. तो यही मनोभाव, रोग हो जाने पर जयचंद की तरह, शत्रु सेना का साथ देकर आपकी ताकत कम कर देते हैं, किंतु अगर आप जीवन में खुशमिजाज, निडर और पॉजिटिव रहे हैं.. तो यही मनोभाव, पेशवा बाजीराव की तरह, संकट में घिरे छत्रसाल की मदद भी करते हैं ! याने कि आपकी ताकत को बढ़ा देते हैं !!
याद रखें, सकारात्मक विचारों से बड़ा कोई इम्यूनिटी बूस्टर नहीं है।
कोई बात नहीं, जो आप कोरोना पॉजिटिव आ गए तो….तब पहली बात यह कि खौफ से बाहर आ जाएं! हो गया, तो हो गया.. ऐसी भी कोई बहुत बड़ी बला नहीं आ गई है !
दूसरी बात, अफवाहों को सिर ना चढ़ाएं ! अफवाह, शक्की स्वभाव का लक्षण है! यह गैरजरूरी बातों में ऊर्जा का अपव्यय करना है ! विश्वसनीय और प्रामाणिक खबरों पर ही दृष्टि रखें ! शक्की न बनें, अन्यथा अफवाहें आपकी आधी ताकत खा जाएंगी!
तीसरी बात, अज्ञानियों के ज्ञान से बाहर आ जाएं। आपदा की बारिश में सब ओर से ज्ञान के मेंढक टर्राने लगते हैं!
सभी अवैज्ञानिक बातों से बाहर निकल आएं! अथवा उन्हें, वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की तरह ही लें, प्राथमिक ट्रीटमेंट न बनाएं !
वे दवाएं, जिनका मोड ऑफ एक्शन, रिसर्च बेस्ड और विज्ञान सम्मत हो, चिकित्सकीय परामर्श से उनका सेवन ही करें ! चाहे वह आइवरमेक्टिन हो कि अज़ीथ्रोमायसिन, या ज़िंक, विटामिन सी, डी अथवा फेवीपिराविर या रेमडेसिविर इंजेक्शन ही क्यों न हो !!
स्वयं अपने वैद्य न बनें वरना अपने रोग की भयावहता के ख़तावार आप स्वयं होंगे !
🙏🏻प्रार्थना : इस महामारी में जिन्होंने अपनों को खोया है, उन सभी के पास..सभी की संवेदना और संबल पहुंचे 🙏🏻
💐आभार : उन योद्धाओं का जो इस अदृश्य शत्रु को पराजित करने में अपनी अनथक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहभागिता निभा रहे हैं 💐
असतो मा सदगमय: तमसो मा ज्योतिर्गमय: मृत्योर्मामृतं गमय:(साभार)














